धान खरीदी पहली बार MSP नहीं भूमि अभिलेखों से हो रही है, यह क्रांतिकारी कदम है!

किसानों की योग्यता को तकनीकी कुशलता से जोड़ा जा रहा है!

खरीफ फसलों का सीजन अब खत्म होने को है। उम्मीद जताई जा रही है कि सारे रिकार्ड्स को तोड़ते हुए भारतीय किसान इस बार रिकार्ड तोड़ चावल का उत्पादन करेंगे। इन सबके बीच एक बड़ा बदलाव भी देश में हो रहा है जो किसानों की योग्यता को तकनीकी कुशलता से जोड़कर लाभकारी बनाने वाला है। सरकार इस बार SPMC को छोड़ न्यूनतम समर्थन मूल्य को सीधे किसानों तक पहुंचाने के लिए बड़ा बदलाव कर रही है।

अब तक राज्य की मंडियों में गजब का खेल होता था। किसान मंडी जाते थे। वहां पर एक आढ़तिया होता था जिसे आधे-पौने भाव पर धान बेच दिया जाता था। फिर मंडियों में MSP पर धान बेचकर लाभ कमाया जाता था। अब इस बार से इसमें बदलाव करते हुए, किसानों के भूमि लेखा जोखा के आधार पर सीधे किसानों से धान खरीदी की जाएगी और लाभ भी सीधे किसानों के खाते में पहुंच जाएगा।

पंजाब और हरियाणा सहित कम से कम 10 राज्यों ने किसानों के भूमि रिकॉर्ड और डिजिटल मंडियों जैसे प्रमुख मापदंडों को एक केंद्रीय पोर्टल के साथ एकीकृत किया है। मौजूदा खरीफ सीजन में धान की खरीद के दौरान क्रॉस चेकिंग के लिए इससे एक महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि यह कदम सुनिश्चित करेगा कि MSP सीधे किसानों तक पहुंचे न कि व्यापारियों तक।

जबकि, अन्य 10 राज्य सभी विवरणों के साथ तैयार हैं। दिल्ली, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश ‘न्यूनतम थ्रेसहोल्ड पैरामीटर्स (एमटीपी)’ के एकीकरण के उन्नत चरण में हैं, जिसे केंद्र सरकार ने सभी खरीद राज्यों को करने का निर्देश दिया है। इससे खरीद संचालन में बिचौलियों पर रोक लगाने और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
 
अधिकारी ने PTI को बताया, “देश में करीब 23 प्रमुख खरीद राज्य हैं। उनमें से 10 ने अपने खरीद पोर्टलों में MTP हासिल कर लिया है, जिन्हें केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के साथ जोड़ दिया गया है।” उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख खरीद राज्य पहले ही एकीकृत हो चुके हैं और खरीद सुचारू रूप से शुरू हो गई है, और आगे तीन और राज्य उन्नत चरण में हैं और अगले कुछ दिनों में प्रक्रिया को पूरा कर लेंगे।

न्यूनतम थ्रेशोल्ड पैरामीटर में पांच प्रमुख विवरण हैं जिन्हें राज्यों को अपने खरीद पोर्टलों में दर्ज करना आवश्यक है।
– सबसे पहले, राज्यों को किसानों और बटाईदारों के ऑनलाइन पंजीकरण, उनके पते, मोबाइल नंबर, आधार संख्या, बैंक खाते के विवरण, भूमि विवरण और अन्य के साथ सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
-दूसरा, राज्यों को पंजीकृत किसान डेटा को राज्य के भूमि रिकॉर्ड पोर्टल के साथ एकीकृत करना होगा।
-तीसरा, राज्यों को डिजीटल मंडी और खरीद केंद्र संचालन को क्रेता और विक्रेता के फॉर्म और बिक्री के बिल आदि के लिए एकीकृत करना होगा।
-चौथा, राज्यों को किसानों को एमएसपी के सीधे और तेजी से हस्तांतरण के लिए एक ऑनलाइन भुगतान तंत्र स्थापित करना होगा।
-पांचवां, राज्यों को स्वीकृति नोट, वेट चेक मेमो और स्टॉक के अधिग्रहण पर बिलिंग के ऑटो जनरेशन के लिए एक तंत्र स्थापित करना होगा।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “लाभित किसानों / बटाईदारों की वास्तविक समय रिपोर्टिंग के लिए API (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) आधारित एकीकरण के माध्यम से प्रवाहित होने वाला डेटा, छोटे/सीमांत किसानों की संख्या, उपज, खरीद की मात्रा, भुगतान, इन्वेंट्री प्रबंधन का केंद्रीय पूल स्टॉक, सबकुछ एक जगह किया जा जाएगा।”

इसमें कहा गया है कि नया तंत्र स्थापित किया जाना था क्योंकि वर्तमान में निगरानी और रणनीतिक निर्णय लेने के लिए कोई अखिल भारतीय खरीद पारिस्थितिकी तंत्र नहीं है। अक्टूबर में 2021-22 के खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ शुरू हुई इस नई प्रक्रिया राज्यों के साथ खरीद के आंकड़ों के सामंजस्य में तेजी लाने और केंद्र सरकार केंद्र द्वारा राज्यों को धन जारी करने में आसान रास्ता स्थापित करेगी।

मंत्रालय ने कहा कि “देश को खरीद कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता के अधिक स्तर प्राप्त करने में मदद करने के लिए संचालन का मानकीकरण आवश्यक है, जो अंततः देश के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।”

इन फैसलों से कई बड़े बदलाव होंगे। पहला यह कि किसानों को तकनीक से जोड़ा जाएगा। दूसरा यह है कि आढ़तियों का, बिचौलियों का खेल खत्म होगा। तीसरा, देश में कुछ किसानों के नाम पर बड़ा अन्न भंडारण का बोझ बनना खत्म होगा।
ऐसे फैसलों से बहुत लाभ होगा और देश में किसानों की स्थिति सुधरेगी।

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