दीदी अरे ओ दीदी!
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुद्दों की कोई कमी नहीं है, दस साल के ममता सरकार के कुशासन का असर ये है, कि बीजेपी को प्रत्येक मुद्दे पर आसानी से ममता पर हमला बोलने का अवसर मिल रहा है। कुछ इसी तरह से अब बीजेपी के दिग्गज नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने CAA का मुद्दा उठा दिया है, जिसका लगातार ममता समेत विपक्षी पार्टियों ने तो विरोध किया है, लेकिन उनका ये विरोध उन्हें ही राजनीतिक तौर पर भारी पड़ा है।
चुनावों में पहले ही ममता दीदी के लिए अनेकों चुनौतियां हैं, वहीं अब CAA का मुद्दा उठाकर शाह ने ममता की सबसे कमजोर नब्ज पर सबसे तीखा प्रहार किया है, जो TMC पर काफी भारी पड़ने वाला है।
बंगाल में पांचवें चरण का चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है, और वहीं अब छठवें चरण के लिए बीजेपी नेता अमित शाह कमर कस चुके हैं। 6वें चरण में 43 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। PM मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां शुरू हो गईं हैं। ऐसे में अब शाह ने सीएज का मुद्दा उठा दिया है।
उन्होंने नादिया जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “घुसपैठ करने वाले हमारे युवाओं की नौकरियां और गरीबों का खाना ले जाते है। अगर बंगाल में घुसपैठ नियंत्रित नहीं हुआ, तो यह केवल बंगाल ही नहीं पूरे देश के लिए खतरा होगा।”
शाह ने घुसपैठियों को बाहर का रास्ता दिखाने वाले NRC का मुद्दा उठाने के साथ ही CAA को लेकर कहा, “क्या मतुआ, नामशूद्र और ऐसे दूसरे समुदायों को नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए। दीदी कहती हैं कि वे जब तक सत्ता में रहेंगी, तब तक उन्हेंं नागरिकता नहीं मिलेगी।” उन्होंने कहा, “जैसे ही हम सत्ता में आएंगे, तो जल्द से जल्द भाजपा ऐसे समुदायों को सीएए के अंतर्गत नागरिकता देगी।”
CAA और NRC को लेकर बंगाल में बीजेपी के पक्ष में हवा चल रही है। बांग्लादेश से आए प्रताड़ित हिंदू समुदाय के मतुआ और नमोशूद्र को लेकर ये आवश्यक था कि उन्हें नागरिकता दी जाए। ऐसे में बीजेपी ने केंद्र में सीएए लागू कर इन लोगों को खुश कर दिया है। वहीं इस मुद्दे का विरोध कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना अलग रंग दिखाया है। ऐसे में अब ममता को लेकर सभी शरणार्थियों में आक्रोश हैं, और ये बीजेपी के लिए फायदेमंद होने वाला है।
बंगाल में एक ऐसा वर्ग भी है जो कि घुसपैठियों को बाहर फेंकने के पक्ष में है। ऐसे में NRC के जरिए घुसपैठियों को भगाने के बात करके शाह दोनों वर्ग के लोगों से समर्थन प्राप्त करने वाले है। इसीलिए ये कहा जा रहा है कि अमित शाह ने CAA और NRC के मुद्दे को एक बार फिर मुख्यता से उठाकर ममता दीदी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। वहीं इन मुद्दों पर बीजेपी को मिलता लोगों का समर्थन ये दिखाता हे कि बंगाल चुनाव में बीजेपी के लिए सीएए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।
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