मच्छिन्द्रनाथ मंदिर: कट्टरपंथी उद्धव शासन में इतना सुरक्षित महसूस करते हैं कि वे अब हिंदू मंदिरों पर हमला कर रहे हैं

महाराष्ट्र में कट्टरपंथियों को मिली हुई है खुली छूट

महाराष्ट्र के माथेरान जिले में स्थित मलंगगढ़ दुर्ग में स्थित मच्छिन्द्रनाथ मंदिर में आरती कराई जा रही थी। आरती के दौरान ही कई कट्टरपंथी मुसलमान मंदिर के भीतर घुस गाए और नारेबाजी के साथ साथ ‘अल्लाह हु अकबर’ के नारे भी लगाने लगे।

आप जानकर स्तब्ध रह जायेंगे कि यह क्लिप भारत की है, और खासकर उस राज्य से, जहां ऐसे कट्टरपंथी लोग गुंडागर्दी करने की सपने में भी नहीं सोच सकते। हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र, जिसे वर्तमान प्रशासन की कृपा से असामाजिक तत्वों का अड्डा बना दिया गया है। ये वीडियो दरअसल महाराष्ट्र के माथेरान जिले में स्थित मलंगगढ़ दुर्ग में स्थित मच्छिन्द्रनाथ मंदिर की है, जहां पर प्रात: काल में आरती कराई जा रही थी। आरती के दौरान ही कई कट्टरपंथी मंदिर के भीतर घुस गाए और नारेबाजी के साथ साथ ‘अल्लाह हु अकबर’ के नारे भी लगाने लगे।

जी हाँ, आपने ठीक सुना। जिस राज्य में कट्टरपंथी अपनी मनमानी करने से पहले हजार बार सोचते थे, जिस राज्य से छत्रपति शिवाजी महाराज, पेशवा बाजीराव बल्लाड़ जैसे वीर धुरंधर निकले हो, वहाँ ऐसे निकृष्ट लोग मंदिर में घुसकर तांडव मचाएँ और कट्टरपंथ को बढ़ावा दें, ये कितनी शर्मनाक बात होगी न।

लेकिन ये महाराष्ट्र के लिए कोई नई बात नहीं है, क्योंकि वर्तमान प्रशासन की कृपा से महाराष्ट्र पिछले कई हफ्तों से केवल गलत कारणों से ही सुर्खियां बटोर रहे हैं। चाहे वुहान वायरस के कुल भारतीय मामलों में 60 प्रतिशत तक का योगदान देना हो, या फिर उद्योगपतियों से 100 करोड़ रुपये प्रतिमाह वसूलना हो, महाराष्ट्र के वर्तमान प्रशासन ने पूरे राज्य का बंटाधार कर दिया है, लेकिन अभी कुछ राज्य में ऐसा हुआ है, जिससे ये स्पष्ट हो जाता है कि महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी गठबंधन में असामाजिक तत्वों का कितना बोलबाला है।

अभी कुछ ही दिनों पहले जब राज्य में वुहान वायरस के मामले फिर से बढ़ने लगे, तो वर्तमान प्रशासन ने बिना देरी किए कई प्रकार के आयोजन और जुलूस पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन शब ए बारात के जुलूस निकालने के मामले में इसी प्रशासन की घिघ्ग़ी बन्ध गई थी।

लेकिन जिस प्रकार से कट्टरपंथी मुसलमानों ने मच्छिन्द्रनाथ मंदिर में घुसकर उपद्रव मचाया और आरती में व्यवधान डालने का प्रयास किया, उससे स्पष्ट पता चलता है कि उद्धव ठाकरे के राज में असामाजिक तत्वों को कितनी खुली छूट मिली हुई है। कभी राम मंदिर के निर्माण में आ रहे व्यवधान आने पर सरकार को दिन रात कोसने वाले उद्धव ठाकरे ने शासन संभालते ही अपने रुख से ऐसे पलटी मारी कि स्वयं गिरगिट भी शर्मा जाए।

चाहे पालघर में नक्सलियों द्वारा दो हिन्दू साधुओं की निर्मम हत्या हो, या फिर मंदिरों से भेदभाव हो, उद्धव सरकार हमेशा हिंदुओं को नीचा दिखाने में दो कदम आगे रही है। देवेन्द्र फड़नवीस की सरकार छोड़िए, यदि काँग्रेस और एनसीपी भी कभी सत्ता में आती थी, तो वे एक सीमा के बाद अल्पसंख्यकों की जी हुज़ूरी नहीं करते थे, क्योंकि उन्हे पता था कि महाराष्ट्र की मूलभूत संस्कृति के साथ खिलवाड़ करना खतरे से खाली नहीं होगा।

लेकिन उद्धव प्रशासन के ख्याल तो कुछ और ही है। जिस प्रकार से इस सरकार ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया है, उसी का परिणाम है कि आज कट्टरपंथी मुसलमान बेधड़क कहीं भी कभी भी हुड़दंग मचा सकते हैं। इसके अलावा जिस प्रकार से कट्टरपंथी मुसलमानों ने मलंग गढ़ दुर्ग के मंदिर पर धावा बोला है, उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई न करके शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी ने अपनी विनाश का समय तय कर लिया है।

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