जैसे जैसे दिन बढ़ते जा रहे हैं, मुकेश अंबानी का मामला सुलझने के बजाए और उलझता जा रहा है। इतना ही नहीं, इस मामले में हर बढ़ते दिन के साथ ऐसी ऐसी जानकारियाँ सामने आ रही हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि दाल में कुछ तो काला है। शायद इसीलिए इस मामले में संदेह के घेरे में आए पुलिस अफसर Sachin Vaze (सचिन वाझे) का अचानक से क्राइम ब्रांच से ट्रांसफर कर दिया गया है।
हाल ही में विधानसभा को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के वर्तमान गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि सचिन वाझे को क्राइम ब्रांच से हटाकर एक अन्य विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया है। अनिल देशमुख के अनुसार यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि मनसुख हिरेन वाले मामले में निष्पक्षता से जांच हो।
Sachin Vaze will be removed from the Crime Branch and posted in some other department. It is being done so that an impartial investigation can be conducted in this case (Mansukh Hiren death case): Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh in the Legislative Council
(file photo) pic.twitter.com/fgw00lO5wD
— ANI (@ANI) March 10, 2021
लेकिन ये सचिन वाझे हैं कौन? इनके क्राइम ब्रांच से ट्रांसफर पर इतना हो हल्ला क्यों मच रहा है? दरअसल सचिन हिन्दूराव वाझे मुंबई पुलिस के जाने माने अफसरों में से एक रहे हैं। एक समय पर मुंबई पुलिस के मशहूर एनकाउन्टर स्क्वाड के सदस्य रहे सचिन वाझे पिछले कुछ वर्षों से काफी विवादों के घेरे में रहे हैं। अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने और उन्हे कथित रूप से यातना देने वालों में ये भी शामिल थे।
तो सचिन का मनसुख हिरेन और मुकेश अंबानी से क्या नाता है, और इनपर उठाए जा रहे सवालों से शिवसेना को किस बात का खतरा है? दरअसल कुछ दिनों पहले मुकेश अंबानी के घर के बाहर से एक संदिग्ध स्कॉर्पियो बरामद हुई थी, जिसमें भारी संख्या में जेलेटिन रॉड जैसे विस्फोटक भरे हुए थे। इस गाड़ी के मालिक निकले मनसुख हिरेन, जिनसे पूछताछ के कुछ ही दिनों रहस्यमयी परिस्थितियों में उनका शव बरामद हुआ।
अब मनसुख के परिवार वालों का कहना है कि जिस टीम ने मनसुख से पूछताछ की थी, उसमें सचिन वाझे भी शामिल थे। इसके पीछे नेता प्रतिपक्ष देवेन्द्र फड़नवीस ने आरोप लगाया कि सचिन वाझे का भी मनसुख हिरेन की रहस्यमयी मौत में हाथ हो सकता है। इसपे उद्धव ठाकरे ने भड़कते हुए हाल ही में कहा, “सचिन वाझे कोई ओसामा बिन लादेन नहीं हैं, जो उनकी इतनी आलोचना की जा रही है। एक आदमी को फांसी पे लटका देने के बाद जांच पड़ताल करके क्या मिलेगा?”
अब उद्धव ठाकरे की बेचैनी अस्वाभाविक नहीं है। सचिन वाझे शिवसेना के बेहद खास हैं। जब बीच में वे पुलिस सेवा में नहीं थे, तो उन्होंने 2008 में शिवसेना जॉइन की थी। लेकिन पुलिस सेवा में वापिस आने के बाद भी उन्होंने अपनी सदस्यता के बारे में कोई जानकारी नहीं साझा की। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि सचिन वाझे शिवसेना के बेहद खास हैं, और यदि वे जांच एजेंसियों के हत्थे चढ़े, तो शिवसेना की कई काली करतूतें सामने आ सकती हैं।
इसीलिए सचिन वाझे का गुपचुप ट्रांसफर कराया गया, ताकि वे सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे न चढ़ पाएँ। लेकिन जिस प्रकार से सचिन पर हो रही कार्रवाई से उद्धव बेचैन हो रहा है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि इस केस से कुछ न कुछ नाता इन दोनों का अवश्य है, और अब इनसे न निगलते बन रहा है न ही उगलते।
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