अपनी सीट बचाने की ममता बनर्जी की आखिरी कोशिश, पर प्रत्यक्षदर्शियों ने इसपर पानी फेर दिया

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हिंदुओं के तुष्टीकरण की नीति के तहत ममता के प्रचार की नीति अपना रहे हैं, लेकिन उनकी ये प्लानिंग इस बार पूरी तरह फेल हो गई है। ममता ने अपनी लापरवाही के चलते प्रशांत किशोर के प्लान पर पानी फेर दिया है क्योंकि नंदीग्राम में पीके के सिखाए मार्ग कर चलते हुए ममता नंदीग्राम की सीट पर मंदिर-मंदिर मत्था टेक रही थीं, तभी कार में बैठे होने के दौरान उनके पैर में उन्हीं की लापरवाही के कारण चोट आ गई, जिसके चलते अब वो राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी को निशाने पर ले रही हैं।

नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी के सामने चुनाव लड़ने का दावा कर ममता ने अपने लिए एक बड़ी मुसीबत मोल ले ली है। ऐसे में वो अब प्रशांत किशोर की रणनीति पर चलते हुए मंदिरों के दर्शन की तस्वीरें क्लिक करवा रही हैं ,जिससे उनकी छवि किसी हिंदू हितैषी नेता की बने, लेकिन ममता की किस्मत इस मुद्दे पर भी एक बार फिर धोखा दे गई है; क्योंकि नंदीग्राम के इसी चुनाव प्रचार के दौरान उनके गिरने से पैर में चोट आ गई है, जिसके बाद वो कोलकाता के अस्पताल में भर्ती हैं। इस पूरे मुद्दे पर ममता बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही हैं।

ममता और टीएमसी के नेताओं का इस मुद्दे पर सीधा आरोप बीजेपी पर है। ममता का कहना है कि उन्हें गिराने के लिए पीछे से किसी ने धक्का दिया था जिसके चलते उनके पैर के साथ हादसा हुआ, और उस हादसे में फ्रैकचर हो गया है। वहीं ममता और टीएमसी के दावों से इतर हादसे के चश्मदीदों ने जो बयान दिए हैं वो ममता को ही कठघरे में खड़े करने वाले हैं क्योंकि लोगों का कहना है कि ममता को उनके पीछे से किसी ने भी धकका नहीं दिया था।

जी-न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक चश्मदीद ममता के लगी चोट के लिए उनकी ही लापरवाही को एक बड़ी जिम्मेदार बता रहे हैं। एक चश्मदीद चितरंजन दास ने बताया, “’मैं वहां मौजूद था, वह (ममता बनर्जी) अपनी कार के अंदर बैठी थीं, लेकिन दरवाजा खुला था। दरवाजा एक पोस्टर से टकराने के बाद बंद हो गया। किसी ने धक्का नहीं दिया और न ही मारा उस समय दरवाजे के पास कोई नहीं था। और ममता को उनकी लापरवाही के कारण ही चोट लगी है।

वहीं, इस मुद्दे पर ममता का कहना है कि उन्हें 4-5 लोगों ने पीछे से धक्का दिया था। उनका कहना है कि उस वक्त वहां पुलिस का एक सिपाही तक नहीं खड़ा था क्योंकि ममता मानती है कि उनके पैर को कुचलने की साज़िश पहले ही रच ली गईं थीं। कोलकाता के SSKM अस्पताल के डाक्टरों ने बताया है कि ममता की हालत फिलहाल स्थिर है, लेकिन विधानसभा चुनावों के लिहाज से बात करें तो चोट लगने के बाद ममता के एक जगह बैठे रहने से सबसे ज्यादा नुकसान टीएमसी को होगा।

वहीं, इस पूरे खेल के सूत्रधार प्रशांत किशोर हैं। ममता के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने पर पहले ही टीएमसी के कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा हो चुका है। ऐसे में पीके ठीक वही चाल चल रहे हैं जो एक वक्त उन्होंने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव और राहुल के गठबंधन के दौरान चली थी। प्रशांत किशोर के पास जब विधानसभा चुनाव को लेकर मुद्दे खत्म हो जाते हैं, तो वो खुद ही इस तरह के धार्मिक मंदिर-मस्जिद वाले मामले उठाने लगते हैं और वो ममता के साथ भी यही पैंतरा आजमा रहे हैं, जो दिखाता है कि ये शख्स तुष्टीकरण का भी एक क्राइम मास्टर है।

पीके के पैंतरे को अंजाम देने की कोशिशों में लगी ममता बनर्जी को बड़ा झटका उनकी खुद की लापरवाही के कारण लगा है क्योंकि वो टीएमसी की मुख्य नेता हैं और चुनाव से पहले उनके चोट लगना टीएमसी के लिए एक बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है। ऐसे में ममता अब राज्य की जनता के बीच बीजेपी पर हमले का आरोप लगाकर सहानुभूति के वोट बटोरने की कोशिश में थीं लेकिन ममता के काफिले के ही साथ चल रहे चश्मदीदों ने अब ममता के झूठे दावों की पोल खोल दी है।

बीजेपी के बढ़ते जनाधार के कारण हार के डर से ममता और पीके अपनी आखिरी पारी चल रहे हैं लेकिन ममता की राजनीतिक अपरिपक्वता के कारण अब उनकी सारी प्लानिंग बर्बाद हो गई है, क्योंकि ममता दीदी का जनता के सामने अच्छी तरह से पर्दाफाश हो चुका है।

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