किसान आंदोलन का असली एजेंडा अब आखिरकार सामने आ गया है- ‘देश को तोड़कर खालिस्तान की स्थापना करना’

तीन कानून तो बहाना है, खालिस्तान निशाना है

किसान आंदोलन तो बस बहाना था, असल में खालिस्तान की ओर कदम जो बढ़ाना था। अब मो धालीवाल नामक नेता की स्वीकारोक्ति से ये स्पष्ट हो गया है कि बात कभी किसान के अधिकारों के लिए थी ही नहीं, बल्कि किसान आंदोलन वास्तव में तो खालिस्तान की ओर पहला अहम कदम था।

और ये हम नहीं, स्वयं मो धालीवाल का कहना है। जनाब ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “जब कृषि कानून हट जाएंगे, तो यह मत समझना कि हम जीत गए। ये तो हमारे खालिस्तान की ओर पहला अहम कदम होगा।”

पर यह मो धालीवाल आखिर है कौन? इसकी बातों को इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है?
दरअसल मो धालीवाल पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के सह संस्थापक है, जिसका प्रमुख उद्देश्य है भारत में वैमनस्य फैलाना और खालिस्तान का प्रचार करना।

यह वही पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन है, जिसके संस्थापकों में कनाडा के विवादित सांसद जगमीत सिंह भी शामिल हैं। यह वही पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन है, जिसपर रियाना जैसे सेलेब्रिटी को पैसे देकर भारत विरोधी ट्वीट कराने का आरोप है। द प्रिन्ट से बातचीत के दौरान रक्षा मंत्रालय से संबंधित सूत्रों ने बताया कि किस प्रकार से कनाडा में बसे Poetic Justice Foundation ने भारत के विरुद्ध एक वैश्विक कैम्पैन को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी संगठन ने अमेरिकी गायिका रिहाना से भी ट्वीट करवाए, जिसके लिए उसे कथित तौर पर 2.5 मिलियन डॉलर का भुगतान भी किया गया।

रिपोर्ट के एक अंश के अनुसार, “भारतीय एजेंसियों के रेडार पर जो लोग शामिल हैं, उनमें PJF के संस्थापक मो धालीवाल, स्काईरॉकेट की निदेशक मरीना पैटर्सन, विश्व सिख संगठन की निदेशक अनीता लाल एवं PJF के सह संस्थापक एवं कैनेडियाई सांसद जगमीत सिंह भी शामिल हैं। इन सूत्रों के अनुसार रिहाना को इस ट्वीट के लिए ढाई मिलियन डॉलर का भुगतान भी किया गया था, और इसी ट्वीट की एक सटीक कॉपी टूलकिट में भी पाई गई थी”

इतना ही नहीं, अभी हाल ही में जिस टूलकिट को अनजाने में उजागर कर ग्रेटा थनबर्ग ने भारत को बर्बाद करने के ब्लूप्रिंट का खुलासा किया, उसमें भी इस संगठन की काफी अहम भूमिका थी। इस टूल किट में स्पष्ट लिखा था कि भारत की योग और चाय वाली छवि को हमेशा के लिए ध्वस्त करना है।

लेकिन ये कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि यह वही पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन है, जिसने यह दावा किया कि भारत सरकार ने किसानों के नरसंहार को बढ़ावा दिया है। इतना ही नहीं, PJF ने ये भी दावा किया था कि 26 जनवरी को सरकार 1984 के तर्ज पर दंगा भी करा सकती है।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत को बर्बाद करने के अपने इरादों को जगजाहिर कर मो धालीवाल ने ना सिर्फ किसान आंदोलन का वास्तविक स्वरूप उजागर किया है, बल्कि ये भी स्पष्ट किया है कि टुकड़े टुकड़े गैंग के विरुद्ध यह लड़ाई इतनी आसानी से खत्म नहीं होगी।

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