गुजरात Vs असम! राहुल गांधी की एक और नाकाम कोशिश
काँग्रेस पार्टी के हालात जिस हिसाब से दिन-ब-दिन बद से बद्तर होते जा रहे है और बड़े-बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़कर किनारा कर रहे है,जिस से पार्टी और कमजोर होती दिखाई दे रही है, राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकसभा और कई विधानसभा के चुनावों मे मुँह की खाने के बाद काँग्रेस पार्टी के हालात और भी लाचार दिख रहे है।
अगर राहुल गांधी की बात करें तो वो एक बौखलाए हुए हैं। वे इस उम्मीद के साथ है कि पार्टी उन राज्यों में सम्मानजनक लड़ाई लड़ेगी जहां इस साल अप्रैल-मई में चुनाव होने वाले हैं। हालांकि, जमीनी स्तर पर देखें तो मोदी सरकार के खिलाफ अपने भाषण में, राहुल गांधी हमेशा की तरह ही खुद का मज़ाक बना रहे हैं। जिसको लेकर वो पहले से ही मशहूर है।
फिर भी अगर हम कहे तो राहुल गांधी एक ऐसे नेता हैं, जो भारत के मौहल्ले वाले फूफा के रूप में प्रचलित है। इसी का एक हालिया उदाहरण राहुल के असम दौरे के भाषण में भी देखा गया, जहां उन्होने चाय बागानों के श्रमिकों तथा गुजरात के व्यापारियों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की और असम के चाय बागानों में काम करने वाले और गुजरात के मालिकों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की। राहुल गांधी ने असम के चाय श्रमिकों से वादा किया है कि उनकी मजदूरी गुजरात के व्यापारियों द्वारा अर्जित धन के माध्यम से बढ़ाई जाएगी।
राहुल ने अपने भाषण मे कहा कि “असम के चाय बागान के मजदूरों को 167 रुपये प्रति दिन मजदूरी मिलता है, जबकि गुजरात में व्यापारियों को चाय बागान मिलते हैं। हम असम के चाय बागान मजदूरों को 365 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देने का वादा करते हैं। पैसा कहाँ से आएगा? यह गुजरात के व्यापारियों से आएगा”, असम में चुनाव प्रचार करते हुए राहुल गांधी के अपमानजनक वादों ने गुजरातियों को प्रभावित किया, भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि गुजरातियों के लिए अब कांग्रेस के दिल में नफरत फैल गई है।
यह पहला मौका नहीं है, जब राहुल गांधी ने भारतीयों को मुद्दों के ताने-बाने में बांटने की अपनी पूरी कोशिश की है। इससे पहले भी, 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले तमिलनाडु में बोलते हुए, गांधी के वंशज ने टिप्पणी की थी। उन्होने कहा कि “मेरा मानना है कि जिस तरह से भारतीय महिलाओं के साथ व्यवहार किया जाता है, उसमें काफ़ी सुधार हो सकता है. ये उल्लेखनीय है कि इस मामले में उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारतीय महिलाओं की स्थिति काफ़ी बेहतर है.अगर आप बिहार या उत्तर प्रदेश जाएंगे और वहां की महिलाओं के साथ जैसा व्यवहार होता है, उसे देखेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे. इसके कई सांस्कृतिक कारण हैं. लेकिन तमिलनाडु उन राज्यों में शामिल है जहाँ महिलाओं के साथ बेहतर व्यवहार किया जाता है।”
ऐसे ही गुजरात के एक सभा में, राहुल गांधी ने कहा था कि राज्य की महिलाओं ने सभी को दूध दिया है। लेकिन यह सभी को पता है,जब-जब राहुल ने अपने शब्दों में गड़बड़ी की, कांग्रेस के राजनीतिक भाग्य को बर्बाद कर दिया। वास्तव में, राहुल गांधी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके भाषण कि वजह से ही भाजपा गुजरात के हर चुनाव को कैसे जीत जाती है।
जब 2017 में, कांग्रेस जीएसटी Tax को हर जगह ‘गब्बर टैक्स’ कह रही थी, राहुल गांधी ने ट्विटर पर कहा,”गब्बर सिंह द्वारा कृषि बिल दिया गया जिसमे, भूमि छीन ली गई और (अन्नदाता) किसान का प्रतिपादन किया गया पीएम साहब को बताना चाहिए कि खेत में काम करने वालों के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों? ” गांधी ने यह भी दावा किया था कि गुजरात भाजपा के 22 साल के कुशासन से जवाब मांग रहा है। जिसके बाद भाजपा ने 2017 में एक बार फिर चुनाव जीतकर राहुल गांधी के सवालों का जवाब दिया।
राहुल गांधी ने लोगों पर ताना मारना, उन्हें डराना जैसी कई प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया है। फिर हम उन्हें मोहल्ले वाली चाची, या फूफा, जो भी वह बेहतर लगे, उसे कहने से क्यों शर्माएं?
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