लिबरलों के अनुसार हिंसा तो बस right-wingers ही करते हैं, BLM और Antifa तो बस सड़क मार्च निकाला करते हैं

WASHINGTON, DC - NOVEMBER 14: People participate in the “Million MAGA March” from Freedom Plaza to the Supreme Court, on November 14, 2020 in Washington, DC. Supporters of U.S. President Donald Trump marching to protest the outcome of the 2020 presidential election. (Photo by Tasos Katopodis/Getty Images)

Liberal भारतीय हो या अमेरिकी, Hypocrisy की कोई सीमा नहीं है

अपने आप को विश्व की सबसे सशक्त डेमोक्रेसी मानने वाले अमेरिका का कल जबरदस्त reality चेक हुआ, जब ट्रम्प समर्थक वाशिंगटन डीसी में न सिर्फ पुलिस से भिड़े, बल्कि उन्होंने Capitol Hill क्षेत्र में स्थित अमेरिकी प्रशासन के कार्यालयों पर भी धावा बोला ।

अब हिंसा किसी भी स्थिति में स्वीकारने योग्य नहीं है, लेकिन इस पूरे प्रकरण से एक बात तो स्पष्ट हुई है कि कुछ लोगों के लिए हिंसा को तौलने के भी parameter होते हैं, कि कौन सी हिंसा बुरी है और कौन सी अच्छी। चौंकिए मत, ऐसी सोच के लिए ही वामपंथी बुद्धिजीवी विश्व भर में हंसी का पात्र बने हुए हैं, और Capitol Hill प्रकरण ने उनके इसी सोच को एक बार फिर जगजाहिर किया है।यह वही पश्चिमी दुनिया है जिसने अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद की निन्दात्मक परिभाषा दी है।

पश्चिमी उदारवादियों, विशेषकर वामपंथियों के अनुसार हिंसा तभी हिंसा है, अगर उसे किसी वामपंथी ने नहीं अंजाम दिया हो। Black Lives Matter के नाम पर Antifa जैसे उग्रवादी गुटों ने जो उत्पात मचाया, वो इन्ही वामपंथियों के अनुसार अमेरिकी लोकतंत्र के लिए किसी टॉनिक से कम नहीं था, परंतु ट्रम्प के सत्ता से हटने का विरोध करने वाले लोगों का हिंसक प्रदर्शन एक आतंकी तख्तापलट से कम नहीं है। विश्वास नहीं होता तो आप इन ट्वीट्स के माध्यम से वामपंथी विचारधारा को स्पष्ट समझ सकते हैं।
उदाहरण के लिए अमेरिकी वामपंथियों का मसीहा माने जाने वाला संगठन AOC एवं वामपंथी विचारधारा वाले सांसद Black Lives Matter के नाम पर हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को उचित ठहराने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे थे। लेकिन जब वहीं काम ट्रम्प समर्थकों ने किया, तो वे फासीवादी और आतंकी बन गए –
जिस प्रकार से वामपंथी वर्तमान प्रकरण को दक्षिणपंथी की एक नापाक चाल बताने के लिए आतुर है, उनके दावों के ठीक उलट कोई भी इन हमलों को उचित नहीं ठहरा रहा है। लेकिन इन हमलों ने निस्संदेह वामपंथियों की निकृष्ट विचारधारा की पोल खोल दी है, जो हिंसा को भी अपने पैमाने पर तोल मोलके निर्णय देती है, और यदि हिंसा उनके विचारधारा के अनुकूल हो, तो उसका समर्थन भी करते हैं।

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