दुनिया को अपना कोविड टीका बेचने में जुटा चीन ख़ुद जर्मनी से ख़रीद रहा कोरोना वैक्सीन

चीन अब कोरोना की वैक्सीन के विवाद में घिरता जा रहा है। पूरी दुनिया में आज चीन की कोविड वैक्सीन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पहले कोविड महामारी देने वाला चीन अब अपनी कोरोना वैक्सीन कई देशों को बेचने की कोशिश में जुटा हुआ है।

 चीन ने कोरोना वायरस की जांच करने वुहान गई विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम को क्वारंटीन कर जांच में बाधा उत्पन्न कर रहा है। वहीं वो अब कोरोना की वैक्सीन के विवाद में घिरता जा रहा है। पूरी दुनिया में आज चीन की कोविड वैक्सीन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पहले कोविड महामारी देने वाला चीन अब अपनी कोरोना वैक्सीन कई देशों को बेचने की कोशिश में जुटा हुआ है। उसके एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि चीनी वैक्सीन सेफ़ है लेकिन, कोई देश चीन के दावे पर यक़ीन करने को तैयार नहीं।

चीन ने जर्मनी की कंपनी से किया वैक्सीन की दस करोड़ डोज़ ख़रीदने का सौदा

चीन ने आसियान देशों को अपनी कोविड वैक्सीन बेचने की कोशिश की थी लेकिन, आसियान के सदस्यों मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड ने अमेरिका की फ़ाइज़र और ब्रिटेन की एस्ट्राज़ेनेका के साथ वैक्सीन ख़रीदने का सौदा कर लिया। लैटिन अमेरिकी देशों ब्राज़ील और मेक्सिको को भी चीन ने अपनी वैक्सीन बेचने की कोशिश की लेकिन, इन देशों ने भी अभी चीन से वैक्सीन लेने का सौदा नहीं किया है। ख़ुद चीन ने जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक से वैक्सीन की दस करोड़ डोज़ ख़रीदने का सौदा किया है।

चीन के वैक्सीन एक्सपर्ट फेंग ज़िजियान का कहना है, "अभी जो वैक्सीन हैं, वो हमें वायरस से काफ़ी हद तक बचा सकती हैं। इस महामारी से बचाव और गंभीर मामलों में वैक्सीन का अच्छा असर देखा गया है इसीलिए हम लोगों को टीका लगाने के अभियान को तेज़ कर रहे हैं। हम ये कह सकते हैं कि वैक्सीनेशन से कोविड केस में काफ़ी कमी आएगी। गंभीर मामलों में कमी आएगी। जनता की सेहत पर वैक्सीन से अच्छा असर पड़ेगा।

ज़िजियान ने आगे कहा, "हम लोगों की मौत की तादाद कम कर सकेंगे। आज हम बिना वैक्सीन के भी टेस्टिंग जैसे उपायों से महामारी को रोक रहे हैं। बिना दवा वाले क़दमों से महामारी रोकने जैसे कि आइसोलेशन, क्वारंटीन वग़ैरह से भी काफ़ी मदद मिल रही है। इन उपायों के साथ साथ अपनी साफ सफाई भी महामारी की रोकथाम में बड़ी भूमिका निभा रही है। अब अगर हम ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जल्दी जल्दी वैक्सीन लगा सकेंगे, तो शायद आगे चलकर आइसोलेशन वग़ैरह के उपाय नहीं करने पड़ेंगे।"

ये एक ऐसी फैक्ट है जिसे चीन भी इनकार नहीं कर सकता है। वजह बिल्कुल साफ़ है। जब चीन को ख़ुद अपनी ही वैक्सीन पर भरोसा नहीं है तो फिर उसकी वैक्सीन को दुनिया के दूसरे देश क्यों ख़रीदें। जब चीन अपने यहां के लोगों को ही दूसरे देश का कोविड टीका लगा रहा है, तो फिर दूसरे देश चीन में बना टीका क्यों अपने नागरिकों को लगाएं। ये वो सवाल हैं, जो चीन के पास हैं नहीं। बड़बोला चीन, अपनी ही वैक्सीन की नाकामी पर ख़ामोश है।

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