कैसे PM मोदी ने बिना कुछ कहे, सिख समुदाय को दिया एक महत्वपूर्ण संदेश?

अचानक गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुंच कर, सबको किया हैरान!

हाल ही में नरेंद्र मोदी ने अप्रत्याशित तौर पर दिल्ली में स्थित गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के दर्शन किए। वहाँ उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब पर चादर भी चढ़ाई और गुरु तेग बहादुर का स्मरण भी किया। लेकिन ये दर्शन कोई आम दर्शन नहीं है, और इसके माध्यम से पीएम मोदी ने एक संदेश भी दिया है।

कल गुरु तेग बहादुर के 345 वें बलिदान दिवस के अवसर पर नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “श्री गुरु तेग बहादुर जी का सम्पूर्ण जीवन वात्सल्य और वीरता से परिपूर्ण था। उनके शहीदी दिवस पर मैं उन्हे शत-शत नमन करता हूँ और चाहता हूँ कि उनके द्वारा एक स्वस्थ और विविध समाज का स्वप्न परिपूर्ण हो” 

लेकिन मोदी जी केवल वहीं पे नहीं रुके। उन्होंने दिल्ली में स्थित गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब का दौरा किया, जहां उन्होंने अपना शीश नवाया और गुरु तेग बहादुर का स्मरण भी किया। उनके ट्वीट के अनुसार, “गुरु साहिब की ये विशेष कृपा है कि हमारी सरकार के कार्यकाल के दौरान ही हमें श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400 वें प्रकाश पर्व [विक्रम संवत के अनुसार] मनाने का अवसर मिल रहा है। आइए, इस पावन मौके को ऐतिहासिक बनाएँ और श्री गुरु तेग बहादुर जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएँ” 
अब रकाबगंज साहिब गुरुद्वारा में मत्था टेकने नरेंद्र मोदी यूं ही नहीं गए थे। यह वो गुरुद्वारा है जो गुरु तेग बहादुर के अन्त्येष्टि स्थल का स्मारक है, क्योंकि इसी स्थल पर 1675 में गुरु तेग बहादुर का अंतिम संस्कार किया गया था। ‘हिन्द दी चादर’ कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर का असल नाम त्यागमल था, जिन्हे उनके पराक्रम के लिए उनके पिता, गुरु हरगोबिन्द साहिब ने ‘तेग बहादुर’, यानि जिसका खड़ग किसी शत्रु के समक्ष न झुके, दिया था।

गुरु तेग बहादुर ने सदैव सत्य की राह का अनुसरण किया, और उन्होंने मुगल आक्रान्ताओं से कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया। जब औरंगजेब ने उनपर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया, तो गुरु तेग बहादुर ने स्पष्ट मना किया, और अनेकों सिख एवं हिंदुओं की रक्षा हेतु उन्होंने अपने प्राण शीशगंज में अर्पण कर दिए। उनकी मृत्यु भी मुगल तानाशाही के विरुद्ध राष्ट्रीय विद्रोह का एक अहम कारण सिद्ध हुआ, और उन्ही के बलिदान के कारण उनके पुत्र, और सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना भी की।

ऐसे में जिस समय पाकिस्तानी ताकतें किसान आंदोलन के समर्थन के नाम पर अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा दे रहीं हो, तो नरेंद्र मोदी का गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के दर्शन करना कोई मामूली बात नहीं है। उन्हीं की सरकार के नेतृत्व में 250 से अधिक अफगानी सिख सकुशल भारत आए हैं, और ऐसे में उनका संदेश स्पष्ट है – जिनकी संस्कृति समान हो, और जिन्होंने विदेशी आक्रान्ताओं के विरुद्ध कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी, उन्हे कुछ अलगाववादी ताकतें यूं ही बाँट नहीं सकती।

सच कहें तो नरेंद्र मोदी ने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के दर्शन करके न केवल अलगाववादी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया है, बल्कि सिख समुदाय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जताई है। उनका इरादा स्पष्ट है – जब तक वे हैं, भारत को तोड़ने और लोगों को बांटकर आत्ताइयों का शासन बहाल करने की कोई भी नीति सफल नहीं हो पाएगी।

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