नड्डा पर हमले के बाद बंगाल के 3 IPS अफसरों की केंद्र में हुई नियुक्ति
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। उन्हें एक ओर बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के कारण सत्ता जाने का डर सता रहा है तो दूसरी ओर इस उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की अनैतिक हरकतें और गुंडागर्दी से उन पर संवैधानिक दबाव भी बढ़ने लगा है।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए एक ऐसे ही हमले के बाद अब बंगाल के तीन आईपीएस अफसरों की केंद्र सरकार ने दिल्ली में प्रतिनियुक्ति कर दी है जो अब ममता बनर्जी को खल रही है और इससे केंद्र और राज्य के बीच तनातनी की स्थिति आ गई है।
अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर हुए जानलेवा हमले के बाद बीजेपी नेता और देश के गृहमंत्री अमित शाह एक्शन में आ गए थे। उन्होंने उसी दिन राज्य के दोनों टॉप अफसरों को दिल्ली तलब कर दिया था, लेकिन एक्शन केवल इतना ही नहीं था।
अब गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के तीन आईपीएस अधिकारियों की दिल्ली में प्रतिनियुक्ति कर दी है जो कि ममता के लिए एक और बड़ा झटका है। गृह मंत्रालय ने ये पूरी कार्रवाई IPS कैडर रूल 6(1) पर की है।
इस मुद्दे पर ममता भड़क गईं है़ं। उन्होंने इसे चुनाव कंट्रोल करने की कोशिश बताया है जो कि उनकी चुनावी आक्रमकता को जाहिर कर रहा है।
उन्होंने कहा, “यह कुछ और नहीं बल्कि राज्य के अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ और पश्चिम बंगाल में कार्यरत अधिकारियों के मनोबल को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है। विशेषकर चुनाव से पहले उठाया गया यह कदम संघीय ढांचे के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। यह असंवैधानिक और पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”
ममता की इन बातों को लेकर गृह मंत्रालय की तरफ से आए बयान में कहा गया, कि ममता को आईपीएस कैडर के रुल 6 (1) का पालन करना ही होगा। पश्चिम बंगाल के इन प्रमुख तीन अधिकारियों में भोलानाथ पांडे को 4 साल के लिए BPRD में एसपी के पद पर तैनात किया है। प्रवीण कुमार त्रिपाठी को SSB में DIG के पद पर पांच साल के लिए रखा है।
वही एक अन्य अफसर राजीव मिश्रा को ITBP में पांच साल के लिए आईजी के पद भेजा है। इसको लेकर गृह मंत्रालय की तरफ से बंगाल के प्रमुख सचिव को चिट्ठी के माध्यम से जानकारी दे दी गई है।
इस पूरे मामले में अब ममता चारों तरफ से घिर गई हैं। टीएमसी के कार्यकर्ताओं को पश्चिम बंगाल में प्रशासनिक संरक्षण भी मिलता है जिसके चलते पिछले लंबे वक्त से यहां राजनीतिक हत्यारों का दौर जारी है, इनमें बीजेपी के अनेकों कार्यकर्ताओं की मौत भी हो चुकी है।
यही नहीं ममता ने अधिकारियों की एक समानांतर कैबिनेट भी बना रखी है जो कि ममता के लिए ही काम करती है, कार्यकर्ताओं को मिल रहा संरक्षण राज्य की राजनीतिक गतिविधियों के लिए बेहद ही घातक है।
केंद्र सरकार ये बात अच्छे से जानती है कि ममता के ये वफादार अधिकारी उनकी ही जी हजूरी करते हैं। इन्हीं अफसरों की वजह से उस दिन भी जेपी नड्डा की सुरक्षा में चूक हुई थी इसलिए गृह मंत्रालय ने इन अधिकारियों के खिलाफ एक्शन ले लिया है जो कि आवश्यक भी था।
ये बात जाहिर है आचार संहिता लगने के बाद जब इन्हीं अधिकारियों के हाथ में बागडोर होगी, तो उस वक्त भी ये लोग ममता के हित के काम ही करेंगे। वहीं इस संवैधानिक मसले पर ममता के पास भी कुछ बोलने का अधिकार नहीं बचा है क्योंकि उनका बोलना उन्हें ही नुक्सान पहुंचाएगा।
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