योगी राज में खत्म होगा, ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देने वाला अंतर-धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना

बढ़िया

लव जिहाद कानून के बाद अब योगी सरकार राज्य में 44 वर्ष पुरानी एक ऐसी स्कीम को समाप्त करने जा रही है जिसके तहत दूसरे धर्मों में शादी करने पर विवाहित जोड़े को प्रोत्साहन पुरस्कार मिलता था।

रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार एक ऐसी स्कीम को वापस लेने की योजना बना रही है, जिसने 44 साल तक इंटर फेथ विवाह को प्रोत्साहित किया है। यह उत्तर प्रदेश सरकार के “जबरन” धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश के बाद आ रहा है जो यह दर्शाता है कि योगी सरकार अब लव जिहाद को जड़ से समाप्त करना चाहती है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय एकीकरण विभाग ने 1976 से अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना लागू की थी। जब उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश से अलग हुआ तब भी इस प्रोत्साहन योजना को बरकरार रखा गया था।

अब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इस योगना को समाप्त करने जा रहा है।यही नहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड भी इस योजना को बंद करने पर विचार कर रहा है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए, भिन्न धर्मों या जाति के दंपति को शादी के दो साल के भीतर जिला मजिस्ट्रेट के पास आवेदन करना होता है। सत्यापन के बाद, जिला मजिस्ट्रेट उस आवेदन को UP राष्ट्रीय एकीकरण विभाग को भेजता है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उत्तर प्रदेश में पिछले साल 11 अंतरजातीय जोड़े इस योजना के लाभार्थी थे और प्रत्येक को 50,000 रुपये मिलते थे। Economics Times की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने नवीनतम बजट में इसके तहत 10 लाख रुपये आवंटित किए थे।

उन्होंने बताया कि, “इस साल, कोई राशि जारी नहीं की गई है। जो चार आवेदन दाखिल किए गए थे, वे लंबित हैं। उत्तर प्रदेश निषेध धर्म परिवर्तन अध्यादेश के बाद इस योजना पर पुनर्विचार किया जाएगा।”

दोनों राज्यों के बीजेपी नेताओं ने यूपी में पार्टी नेताओं के साथ योजना को आगे बढ़ाने के लिए पिछली सरकारों को दोषी ठहराया और कहा कि 1976 में एनडी तिवारी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। भाजपा के एक अधिकारी ने कहा कि “प्रोत्साहन तब 10,000 रुपये था। 2013 में, यूपी में अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के दौरान, अंतर-धार्मिक विवाह के लिए प्रोत्साहन 50,000 रुपये तक बढ़ा दिया गया था।”

अब यह सोचने वाली बात है कि इस योजना द्वारा अंतरधार्मिक विवाह को प्रोत्साहित कर, एक तरह से लवजिहाद जैसे सामाजिक दोष को ही बढ़ावा दिया जा रहा है।

हालांकि 2017 में, राज्य सरकार ने इस योजना में एक चेतावनी जोड़ी थी, कि अन्य धर्मों में विवाह करने के बाद दंपति में से किसी का भी धर्म परिवर्तित नहीं कराया जा सकता। अगर ऐसा किया गया तो उन्हें प्रोत्साहन पुरस्कार नहीं मिलेगा।

यह चेतावनी 2017 में लगाई गई जिसे इस स्कीम के शुरू होने पर ही लगाया जाना चाहिए था। इस स्कीम से ऐसा ही प्रतीत होता है कि सरकार स्वयं लवजिहाद जैसे मामलों को बढ़ावा दे रही है और उन्हें पुरस्कार दे रही है। अब योगी सरकार ने इस स्कीम को बंद करने का फैसला कर लिया है।

बता दें कि शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई, जिसके तहत विवाह के बाद जबर्दस्ती कराये गए धर्मांतरण को अपराध माना जाएगा । यूपी सरकार के प्रवक्ता और मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, “अध्यादेश का मतलब जबरन धर्मांतरण को रोकना है और अपने साथियों को धोखा देने के लिए अपनी पहचान छिपाने वालों को दंडित करना है।”

अब यह देखना है कि इंटर फेथ और इंटरकास्ट विवाहों पर प्रोत्साहना पुरस्कार को रोकने के बाद योगी सरकार अब लव जिहाद को रोकने के लिए अगला कदम कौन सा उठाती है।

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