फिर से 'हिन्दुओं' के त्योहारों के खिलाफ इनका प्रोपेगेंडा शुरू हो गया है!
दीपावली का त्योहार निकट है और मौसमी पर्यावरण रक्षक मज़ा किरकिरा न करे, ऐसा हो सकता है क्या? लिहाजा यह लोग फिर से दीपावली के त्योहार को निशाना बनाने के लिए सामने आए हैं, जिसके चलते नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने अब केन्द्र सरकार को 7 से 30 नवंबर तक पटाखों के बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है।
WION न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने पर्यावरण मंत्रालय और राज्य सरकारों, विशेषकर दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों के साथ-साथ केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड एवं दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी को नोटिस सौंपा गया है, और ये पूछा गया है कि 7 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों के बिक्री पर प्रतिबंध के क्या विचार हैं”।
एक बार फिर NGT ने प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहने पर दीपावली को बलि का बकरा बनाने का प्रयास किया है। पिछले 5 वर्षों से जब भी दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण हद से ज्यादा बढ़ जाता है, तो उसके लिए स्पष्ट तौर पर दीपावली को दोषी बनाया जाता है। 2018 में तो सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर देशभर में प्रतिबंध भी लगाया था। लेकिन इस तुगलकी फरमान का लोगों ने इतना विरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट को यह निर्णय केवल NCR तक ही सीमित करना पड़ा।
इस बार वुहान वायरस की महामारी की आड़ में पर्यावरण एक्टिविस्टस ने NGT पर दबाव बढ़ाया कि पटाखों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाए, जिसके कारण एनजीटी ने हाल ही में ये नोटिस जारी किया है। परंतु सच तो यह है कि एनजीटी एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम में असफल होने पर अब दीपावली को बलि का बकरा बनाना चाहती हैं। इस बार दीपावली 13 नवम्बर को पड़ रही है, लेकिन 15 अक्टूबर से ही दिल्ली की एयर क्वालिटी में जबरदस्त नुकसान हुआ है, और कई जगह तो ज़ीरो विज़बिलिटी जैसे हालात हो गए हैं।
अब प्रश्न ये उठता है कि एनजीटी को ये सब केवल हिन्दू त्योहार और सनातन संस्कृति के विषय में ही क्यों याद आता है? इसके पीछे प्रमुख कारण है – संगठन में वामपंथी सोच रखने वाले नौकरशाहों का एकछत्र राज। यदि आपको विश्वास नहीं होता तो 2017 के एनजीटी के इस तुगलकी फरमान को ही देख लीजिए। नवंबर 2017 में NGT ने ये निर्देश जारी किया कि माता वैष्णो देवी के शक्ति धाम पर आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या प्रतिदिन 50,000 के आँकड़े से ऊपर नहीं जा सकती।
इस निर्णय के पीछे बहुत बवाल मचा था, क्योंकि NGT के सुझाव पर ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभ में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। इसके पीछे लोगों ने NGT के तत्कालीन अध्यक्ष, पूर्व न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की जमकर आलोचना की थी, और अंत में एनजीटी को यह निर्णय वापिस लेना पड़ा था।
लेकिन ऐसा लगता है कि उस घटना से एनजीटी ने कोई सबक नहीं लिया है। एनसीआर में जिस प्रकार से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उसके लिए प्रमुख तौर से तीन कारण जिम्मेदार है – पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना, वाहनों द्वारा छोड़े जाने वाला exhaust fumes और कंस्ट्रक्शन से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण, जिससे जल और वायु प्रदूषण, दोनों का ही खतरा बढ़ा रहता है। इन कारणों पर लगाम लगाने में स्थानीय दिल्ली सरकार और एनजीटी दोनों ही नाकाम रही है, और अब वे चाहते हैं कि किसी तरह पटाखों पर रोक लगाकर जवाबदेही से बचा जाए। लेकिन यह गलती अब एनजीटी को बहुत भारी पड़ सकती है।
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