बड़ा खुलासा
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के बाद हुए राजनीतिक उठापटक से सभी परिचित है। किस तरह से NDA की जीत के बाद शिवसेना से तकरार हुई और गठबंधन टूटा और फिर बीजेपी का अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश और फिर आखिर में महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी। परंतु क्या आपको पता है कि NCP के सुप्रीमो शरद पवार भी BJP के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते थे? यह दावा किया है लेखिका प्रियम गांधी ने। हालांकि, NCP के नेता इस दावे का खंडन कर रहे हैं लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो यह अपने आप में एक बड़ी खबर है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक लेखिका प्रियम गांधी ने अपनी किताब ‘ट्रेडिंग पॉवर’ में बताया है कि जब शिवसेना और BJP के बीच अनबन अपने चरम पर था और दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया तब NCP ने अपनी चाल चली। तब राजनीतिक दांव पेंच में माहिर NCP के सुप्रीमो शरद पवार ने बीजेपी को समर्थन देने का प्रस्ताव भेजा। किताब में यह दावा किया गया है शरद पवार 2019 में विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाना चाहते थे।
सरकार बनाने के लिए उन्होंने दिल्ली आकर अमित शाह से मुलाकात भी की थी। मुलाक़ात के बाद लगभग मंत्रालय सहित सभी मुद्दों पर सहमति बन चुकी थी। कौन सा मंत्रालय किसके खाते में जाएगा और मंत्रालयों का विभाजन कैसे होगा, यह तमाम बातें दिल्ली की उस बैठक में तय की जा चुकी थीं। इस बैठक में अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल जैसे कद्दावर नेता मौजूद थे।
प्रियम ने नवभारत टाइम्स को इंटरव्यू में बताया कि जब एनसीपी और बीजेपी के बीच पावर शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया, तब यह सवाल सामने आया कि आखिर जनता को क्या बताया जाएगा। तब शरद पवार ने कहा कि हम राज्य में राष्ट्रपति शासन लगवाने में मदद करेंगे। पवार ने तब यह भी कहा था कि वे 10 दिनों तक महाराष्ट्र का दौरा करेंगे और उसके बाद मीडिया से बातचीत करेंगे। मीडिया से बातचीत में शरद पवार बताएंगे कि महाराष्ट्र को एक स्थिर सरकार की जरूरत है। और उसके लिए हम बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं।“
इसके बाद प्रियम ने बताया कि कुछ दिनों बाद एनसीपी के मुखिया शरद पवार का मन बदल गया और उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन न करने का फैसला किया। हालांकि, पवार के इस फैसले का NCP में ही विरोध हुआ और पार्टी के कई नेता BJP के साथ सरकार बनाना चाहते थे।
NCP में तब इसी मुद्दे को लेकर दो फाड़ हो गया। जो BJP के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते थे वे शरद पवार के ही भतीजे अजित पवार के साथ मिल कर BJP से हाथ मिलाने चल पड़े। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर पुराने प्लान के तहत राजभवन में जाकर सुबह-सुबह उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
इस घटना के बाद भी NCP के सभी दिग्गज नेता अजित पवार को समझाने और मनाने का पूरा प्रयास करने लगे और महाविकास आघाडी में भी पार्टी ने भी उनके लिए अलग से जगह बना कर रखी थी ताकि वे जब भी वापस लौटना चाहें तो उनका स्वागत किया जा सके।
प्रियम ने अपनी किताब में बताया है कि शरद पवार एक तरफ बीजेपी के साथ सरकार बनाना चाहते थे और उनके साथ बातचीत भी शुरू थी। वहीं, दूसरी तरफ वे कांग्रेस और शिवसेना के साथ भी लगातार अपनी चालें चल रहे थे।
शिवसेना और कांग्रेस दोनों को ही किसी भी हालत में सत्ता में रहना था। एक तरफ शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए तो कांग्रेस सत्ता के लिए भूखी दिखाई दे रही थी। यही कारण है कि दोनों पार्टियां NCP के शरद पवार को शिवसेना और कांग्रेस से अधिक शक्ति देने के लिए तैयार थी।
जबकि बीजेपी के साथ जाने पर शरद पवार को देवेंद्र फडणवीस और केंद्र में अमित शाह तथा पीएम मोदी के इशारों पर चलना पड़ता। ऐसे में शरद पवार ने सत्ता की ताकत अपने हाथ में रखने के लिए शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना बेहतर समझा और सरकार बनाई।
हालांकि, प्रियम गांधी ने कितना सच लिखा है यह तो समय बताएगा लेकिन NCP के तरफ से नवाब मालिक ने अभी इन दावों का खंडन किया है
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