चोरी के तकनीक से बने Tank भारत के सामने नहीं टिकने वाले
चूंकि एलएसी पर इस समय चीन और भारत के बीच तनातनी जारी है, और दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच की वार्ता का कोई सफल परिणाम नहीं निकल रहा है, इसलिए अब एक सीमित युद्ध के आसार दिख रहे हैं, जिसके बाद ही एलएसी, यानि भारत-तिब्बत बॉर्डर पर शांति स्थापित होगी। दोनों पक्ष अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि इस समय केवल और केवल भारत का ही बोलबाला है, और किसी भी चीनी पैंतरे अथवा शस्त्र को पटक-पटक के धोने के लिए वह पूरी तरह तैयार है।
हाल ही में एलएसी के पास चीन की पीएलए ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अपने लाइट कॉम्बैट टैंक और हथियारबंद वाहन तैनात किए हैं। चीनियों का मानना है कि उनके ये टैंक पहाड़ी युद्ध में बड़े काम आएंगे, और भारतीय टैंकों का उनके सामने कोई मुक़ाबला नहीं हो सकता। लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट है। भारत द्वारा क्षेत्र में तैनात टी-90 ‘भीष्म’ एवं टी-72 टैंक को संभालने वाले सैनिकों को अपने शस्त्रों पर पूर्ण विश्वास है, और उनका मानना है कि चीन के टैंक भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।
क्षेत्र में तैनात एक टैंक कमांडर ने एएनआई से नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मेरा मानना है कि यदि युद्ध में दोनों पक्षों के टैंक चले, मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ कि हमारे टी 90 और टी 72 टैंकों को कुछ नहीं होगा”। एएनआई को प्राप्त जानकारी के अनुसार जब ये पूछा गया कि क्या भीषण सर्दी से टैंकों को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचेगा, तो उक्त टैंक कमांडर ने बताया, “ऐसा कुछ भी नहीं है। रूसी मूल की टी 90 ‘भीष्म’ टैंक ऐसे क्षेत्रों में गतिविधियों के लिए उपर्युक्त है, क्योंकि इन्हे मूल देश [रूस] के मौसम अनुसार ढाला गया है”।
एएनआई की इस रिपोर्ट ने अप्रत्यक्ष रूप से चीन की भी पोल खोली है। दुनिया भर की तकनीक चोरी में माहिर चीनी सेना ने इधर-उधर से व्यवस्था करके टैंक और मिसाइल तो तैयार कर लिए, पर उन्हें ये बिलकुल भी पता नहीं है कि उन्होंने स्थिति और मोर्चे के अनुसार कैसे तैनात करना है। इसी परिप्रेक्ष्य में एएनआई की रिपोर्ट बहुत अहमियत रखती है, क्योंकि भारत ने इसी क्षेत्र [पूर्वी लद्दाख] में अत्याधुनिक एंटी टैंक मिसाइल्स को तैनात किया है, जो चीन के किसी भी हमले से निपटने में पूर्णतया सक्षम है। ऐसे में चीन जिस आधार पर भारत को ‘सबक सिखाने’ की तैयारी कर रहा है, उसे अगर कोरी कल्पना कही जाये तो गलत नहीं होगा।
सच कहें तो चीन दो कारणों से इस समय एलएसी के मोर्चे पर बैकफुट पे है। एक तो रणनीतिक तौर पर भारत ने चीन को चारों तरफ से घेर रखा है, तो वहीं दूसरी ओर चीनी फौज में ऐसे सैनिक भरे पड़े हैं, जिनसे युद्ध जीतना तो दूर की बात, एक मक्खी भी मारी जाये तो बहुत बड़ी बात होगी। अभी पूर्वी लद्दाख की सर्दियाँ आई भी नहीं है, और अभी से ही पीएलए सैनिकों की हालत पस्त है, जिसके बारे में मैंने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से सभी को अवगत भी कराया था।
इतना ही नहीं, पहाड़ी युद्धशैली के पैमाने पर अगर दोनों देशों को मापा जाये, तो चीन भारत के सामने पूर्णतया फिसड्डी ही सिद्ध हुई है।सच कहें तो चीनी सेना की औकात इस समय युद्ध जीतना तो छोड़िए, गिल्ली-डंडा भी जीतने की नहीं है। भारत ने केवल रणनीतिक और रक्षात्मक तौर पर ही नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी चीन की घेराबंदी कर रखी है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि यदि भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ, तो भारत न केवल विजयी होगा, अपितु चीन को इस युद्ध में छठी का दूध भी याद दिलाएगा।
भगवान जी से प्रार्थना करते हैं युद्ध हो नहीं, और हो तो कैलाश मानसरोवर से आगे तक बढ़ा जाऐ पूरा हिस्सा लेने से पहले युद्ध ना रुके ,मेरा सपूत सैनिक है हमे गर्व है हमारी राजनीतिक सूझबूझ पर शानदार तरीक़े से संसार में बुलंदियों को छू रही है
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