अब सम्मान बचाने के लिए भारत के सामने गिड़गिड़ा रहा है
पिछले पांच महीनों से इंडो-तिब्बत सीमा पर चल रहे विवाद को लेकर पहली बार चीन ने भारत के सामने घुटने टेकने की स्थिति में आ गया है जो कि भारत के लिहाज से एक बड़ी कामयाबी है। टाइम्स नाउ की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने एलओसी के क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी को कम करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। चीनी PLA पैगांग त्सो झील के पास के उत्तरी क्षेत्र में फिंगर 8 के पास अपनी यथास्थिति पर जाने को तैयार हो गई है लेकिन चीन चाहता है कि भारत भी अपनी सेना को फिंगर 4 से फिंगर दो पर ले जाए। चीन के पास अब पीछे हटने के सिवा कोई चारा नहीं है और इसीलिए वो नैतिक जीत दिखाने के लिए भारत के सामने ये शर्त रख रहा है।
दरअसल, चीन पहले ये चाहता था कि भारत को अपनी सैन्य शक्ति दिखाकर वो इस क्षेत्र में फिंगर 2 तक एलएसी की धारणा बदल दे लेकिन भारत कहां ये मंजूर करने वाला था। चीन फिंगर 2 के पास एलएसी की मानता हैं जबकि भारत का मत स्पष्ट है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा फिंगर 8 से होकर जाती है औऱ उसकी मौजूदगी फिंगर 4 तक है। जिसके चलते भारत पुनः यथास्थिति बहाल करने को प्रतिबद्ध है। चीन ने सारी कोशिश कर लीं लेकिन वो भारत के इस रवैए को बदल न सका। ऐसी स्थिति में चीन अब भारत के साथ समझौता करना चाहता है जिसमें वो अपनी नैतिक जीत साबित कर सके। इसीलिए अब वो भारत से फिंगर 2 के पास जाने की बात कह रहा है।
वर्तमान के गतिरोध से इतर बात करें तो भारत फिंगर 4 तक अपनी तैनाती करता था। नई दिल्ली के मुताबिक भारतीय सेना फिंगर 8 तक गश्त कर सकती है लेकिन गतिरोध में फिंगर 4 में चीन आकर बैठ गया है और इस क्षेत्र पर अपना दावा कर रहा है। चीन कुछ भी करे लेकिन भारत तो जमीनी स्तर पर हमेशा ही मजबूती के साथ खड़ा रहा है। भारत ने सैन्य से लेकर कूटनीतिक स्तर पर चीन को बेइज्जत कर दिया है और दिखा दिया कि वो अपनी सीमा पर हस्तक्षेप बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। भारतीय सेना ने इस स्थिति को लेकर अपना पक्ष शुरू से ही मजबूत रखा और पैंगांग त्सो के दक्षिणी क्षेत्र के पास की सभी मुख्य चोटियों पर अपना कब्जा जमा लिया जहां से चीन भारत को परेशान कर सकता था और चीन की स्थिति इस क्षेत्र में बेहद कमजोर कर दी। इंडिया टुडे से बातचीत में एक वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारी ने बताया कि भारत ने फिंगर 4 के पास की सभी प्रमुख चोटियों पर अपना कब्जा कर लिया है और चीनी सेना को इस इलाके से खदेड़ दिया है जिससे क्षेत्र में भारत की स्थिति और मजबूत हो गई है।
भारतीय सेना के लिए ऊंचाई के ये कमांडिग क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है जहां से चीनी PLA भारत के लिए खतरा हो सकती थी। इसीलिए हमने फिंगर पर अपनी पैनी नजर रखने के लिए ऊंचाइयों के इलाकों पर कब्जा कर लिया है और अब इस क्षेत्र मे चीनी PLA की हर हरकत पर भारतीय सेना नजर रख रही है। भारत इस पूरे मसले पर आक्रमक है लेकिन उसके साथ अमेरिका भी खड़ा है जो कि चीन के लिए दोहरे झटके की तरह ही है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने भारत को सलाह दी थी कि चीन के साथ वार्ता करना बेकार ही है जिससे चीन की हालत और पतली हो गई थी क्योंकि चीन से निपटने के लिए भारत ने अगले 6-7 महीनों का रसद और सैन्य सामाग्री लद्दाख के पास जमा कर ली है औऱ युद्ध स्तर तक की तैयारियों में भी वो सबसे आगे निकल गया है। अमेरिका के इस समर्थन औऱ भारतीय सेना के इस जोश ने चीनी सैनिकों के लद्दाख की ठण्ड में भी पसीने छुड़ा दिए हैं।
यहीं नहीं, चीनी सैनिक लद्दाख की सर्द हवाओं का सामना नहीं कर पा रहे हैं और बेचारों को हर दिन अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ भारतीय सेना इस तरह के क्षेत्रों में ऑपरेशंस करने में पूरी तरह सक्षम है। गलवान घाटी की हिंसक झड़प और 29-30 अगस्त की भारतीय सैन्य कार्रवाई के आगे PLA के सैनिकों की पहले ही घिग्गी बंध चुकी है। वहीं चीन को आर्थिक क्षेत्र में भी भारत ने खूब लताड़ लगा दी है जिससे उसे घाटा हो रहा है। ऐसे में चीन जानता है इस क्षेत्र में वो अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होगा। इसलिए अब वो बस इस क्षेत्र से अपनी सम्मानजनक विदाई चाहता है। इसलिए शर्तों की आड़ में भारत के सामने घुटने टेक रहा है। अब उसकी स्थिति उस कागजी शेर की हो गई है जो केवल तस्वीरों में ही दहाड़ता दिखता है और असल में वो एक गीदड़ से भी अधिक डरपोक है।
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