डर से काँप रहे जिनपिंग ने नेवी को दिया भावुक संदेश – तैयार रहें ,जंग कभी भी हो सकती है

 

आर्मी के बाद अब नेवी को भी रुलाएगा ये तानाशाह!


दक्षिण चीन सागर पर कब्जा करके बैठे चीन को सबक सिखाने के लिए कई वैश्विक शक्तियां वहां अपना अड्डा जमा चुकी हैं जिसके बाद अब चीन चारों ओर से घिर चुका है। दूसरी ओर QUAD भी चीन के पूरी तरह खिलाफ हो चुका है। जिससे चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के सिर पर खौफ मंडरा रहा है ‌और इसीलिए अब उन्होंने अपने नौसेना से युद्ध के लिए तैयार रहने का संदेश दिया है। जो दिखाता है कि अब चीन इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा को लेकर कितना ज्यादा चिंतित है और इसीलिए वो अपने बयानों से अन्य देशों को सांकेतिक गीदड़भभकी दे रहा है।


दरअसल, दक्षिण चीन क्षेत्र के दौरे पर गए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गांगडॉन्ग के एक सैन्य ठिकाने में अपने नौसैनिकों को एक बड़ा संदेश देते हुए कहा है कि वो अब क्षेत्र में युद्ध की तैयारियां शुरू कर दें और लड़ाई के लिए पूर्णतः सतर्क हो जाएं। एससीएमपी की रिपोर्ट के मुताबिक जिनपिंग ने अपने नौसैनिकों से कहा, आप सभी को अपनी ताकत युद्ध की तैयारी के लिए इस्तेमाल करनी चाहिए जिससे आप किसी भी समय युद्ध क्षेत्र में जा सकें और प्रत्येक मौसम में युद्ध लड़ने के साथ ही तेज तर्रार तरीके से काम कर सकें। अपने भाषण के दौरान सेंट्रल सैन्य कमीशन के चेयरमैन के तौर पर शी जिनपिंग ने कहा कि हमें अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए तत्पर रहना होगा जिससे कोई हमारी संप्रभुता को चोट न पहुंचा सके।


गौरतलब है कि चीन अपनी नौसेना पर बहुत अधिक विश्वास करता है वो इसे बेहद शक्तिशाली भी मानता है। इसलिए वो अपनी नौसेना को सबसे ज्यादा एक्टिव रखना चाहता है। चीन अपनी सबमरीन को भी परमाणु हथियारों से लैस बना चुका है और उसकी संख्या में लगातार इजाफा कर रहा है। चीन कहीं भी अपना प्रभुत्व जमाने के लिए अपनी नौसेना को ही भेजता है। वियतनाम से लेकर मलेशिया तक चीन की नौसेना समुद्री जलमार्गों के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाती है। दक्षिण चीन सागर के अलग-अलग द्वीपों पर भी उसने अपनी नौसेना को तैनात कर रखा है जो दिखाता है कि चीन किस हद तक अपने नौसेना पर निर्भर है।


इतनी तथाकथित शक्तिशाली नौसेना के बावजूद अब चीन इस क्षेत्र में घबरा गया है जिसकी वजह दक्षिण चीन सागर है। मुख्य बात ये है कि चीन दक्षिण चीन सागर के करीब 80 प्रतिशत हिस्से पर अपना दावा ठोकता है जिसको लेकर उसका आसियान देशों समेत जापान से भी विवाद चल रहा है और अंतराष्ट्रीय जलमार्ग के नियमों के चलते उसे फिलीपींस से जुड़े एक केस में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फटकार भी लगाई है। नैतिक रूप से चीन क्षेत्र में बेहद कमजोर स्थिति में आ गया है जिसके चलते अब वो अपनी सेना को सतर्क कर रहा है।


कोरोनावायरस को जन्म देने से लेकर दादागिरी दिखाने के कारणों के चलते चीन से सभी देश खफा हैं। चार देशों का संगठन Quad (जिसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं।) भी चीन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। अमेरिका का चीन से छत्तीस का आंकड़ा हो गया है। कोरोनावायरस, ट्रेड वार, जासूसी कांड, से लेकर अन्य सभी संवेदनशील मुद्दों पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चीन को लताड़ते हैं। वहीं ताइवान के मुद्दे पर भी अमेरिका ने अपनी सेना दक्षिण चीन सागर पर भेज दी है जो वहां युद्धाभ्यास कर रही है।


इसी तरह भारत के साथ लद्दाख में सीमा विवाद के बाद से ही भारत ने चीन पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए अपने युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में भी तैनात कर दिए थे। दूसरी और आस्ट्रेलिया भी जासूसी और कोरोनावायरस का हर्जाना मांगने के लिए चीन के खिलाफ खड़ा हो गया है। इसमें चीन का पड़ोसी देश जापान भी है, जिसके साथ सेनकाकू द्वीप पर चीन से विवाद भी है। ऐसे में ये चारो देश चीन के लिए मुसीबत बन गए हैं। सभी चीन को दक्षिण चीन सागर में घेर कर खड़े हो गए हैं और दक्षिण चीन सागर के दावेदार छोटे देशों के समर्थन में मौजूद हैं।


दक्षिण चीन सागर पर स्थिति लगातार चीन के लिए मुश्किलों भरी होती जा रही है जिसके चलते अब वो डर रहा है कि उसे युद्ध का सामना न करना पड़ जाए। इसीलिए वो अपनी नौसेना से युद्ध के लिए तैयार रहने का अनुरोध कर रहा है।

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