गांधी परिवार के पतन की शुरुआत हो चुकी है..
कांग्रेस में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की कोई इज्जत नहीं रह गई है। उनकी बातों और मतों पर पार्टी के ही दिग्गज नेता अब ज्यादा तवज्जो नहीं देते है। इसका उदाहरण मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान है जो राहुल गांधी द्वारा अपनी आलोचना को भी बेहद हल्के में लेते दिखाई दिए हैं और वो राहुल की अपने बयान पर आपत्ति को उनका मत बता रहे हैं। इस पूरे वाकए से साबित होता है कि राहुल गांधी की नाराजगी से उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का राहुल गांधी को गंभीरता से न लेना दिखाता है कि अब राहुल का पार्टी में कोई खास स्थान नहीं रह गया है।
मामला दो दिन पुराना है जब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने बीजेपी की एक नेत्री इमरती देवी को उपचुनाव के प्रचार के दौरान एक अजीब ही आइटम कह दिया था। इसको लेकर बीजेपी हमलावर हो गई है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौन व्रत रखते हुए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कमलनाथ पर कार्रवाई की मांग करने लगे तो दूसरी ओर बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के प्रवक्ताओं और केन्द्रीय मंत्रियों ने इसको लेकर कांग्रेस की प्रवृत्ति को ही महिला विरोधी बता दिया।
इस पूरे मसले को लेकर कांग्रेस बैकफुट पर चली गई। बीजेपी के लगातार हुए हमलों को देखते हुए आखिरकार कमलनाथ ने अपने शब्द पर खेद जताया। हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर माफी मांगने से साफ इंकार कर दिया था। इस मुद्दे पर हाथरस कांड में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाने वाले राहुल गांधी से भी लोग प्रतिक्रिया मांग रहे थे। राहुल ने प्रतिक्रिया दी भी लेकिन कमलनाथ ने तुरंत ही उनकी राष्ट्रीय बेइज्जती करवा दी। इस मुद्दे पर राहुल ने कहा, “कमलनाथ जी मेरी पार्टी से हैं, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं इस तरह की भाषा को पसंद नहीं करता, जिसे कमलनाथ जी ने इस्तेमाल किया। मैं इसकी तारीफ नहीं करता, चाहे कोई भी हो। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।“ पहली बार ऐसा लगा ही था कि राहुल कुछ खुलकर बोले हैं और सही बोले हैं लेकिन कमलनाथ उनकी भद्द पिटाने को तैयार खड़े थे।
कमलनाथ ने राहुल गांधी की नाराजगी को बेहद ही हल्के अंदाज में लिया औऱ यहां तक कह गए कि राहुल गांधी का आपत्ति जताना या कुछ कहना उनका मत है। मैं उसे महत्व नहीं देता और मैं इस मुद्दे पर माफी भी नहीं मांगूगा। कमलनाथ ने कहा, “यह राहुल गांधी की राय है। जो बयान मैंने दिया था, मैंने पहले ही उस संदर्भ को स्पष्ट कर दिया है। मुझे माफी क्यों मांगनी चाहिए, जब मेरा किसी का अपमान करने का इरादा नहीं था? अगर किसी को अपमान महसूस हुआ, तो मैं पहले ही खेद व्यक्त कर चुका हूं।“
कमलनाथ ने राहुल को लेकर ये जो बयान दिया वो दिखाता है कि कांग्रेस के आंतरिक संविधान में अनुशासन नाम का कोई शब्द ही नहीं है। ऐसा पहले भी देखा गया है कि कांग्रेस के बड़े औऱ दिग्गज नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर बहुसंख्यकों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर बेहद ही घटिया बयान दे चुके हैं। इन बयानों के बाद पार्टी का कोई भी राष्ट्रीय प्रवक्ता उस बयान को नेता की निजी सोच बता कर पल्ला झाड़ लेता है। एक कार्रवाई मणिशंकर अय्यर पर हुई भी थी लेकिन साल भीतर वो दोबारा पार्टी में ससम्मान वापस आ गए।
कई नेताओं द्वारा लगातार बेहूदा बयानों के बावजूद उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई का न होने का कारण ही गांधी परिवार के सिपहसलारों की मनोस्थिति ऐसी हो गई है कि वो अब गांधी परिवार के सदस्यों की बातों को भी नजरंदाज करने लगे हैं जो कि हास्यास्पद के साथ ही गांधी परिवार के लिए भी एक चिंता जनक बात भी है।
कमलानाथ ने राहुल की सार्वजनिक बेइज्जती करवा दी है। भले ही राहुल ने इस बार कोई अच्छी बात की थी लेकिन कमलनाथ को ये कहां भाया होगा। हम अपनी एक रिपोर्ट में बता चुके हैं कि कांग्रेस में गांधी परिवार को लेकर अब उनके ही दिग्गज नेताओं ने मोर्चा खोल रखा है। सोनिया के बाद राहुल गांधी को भी ये नेता नकारने लगे हैं और उनकी थोड़ी रही बची विश्वसनीयता पर चोट करके वो राहुल को भी पार्टी में किनारे कर रहे हैं। कमलनाथ का बयान उसी दिशा में एक कदम के रूप में देखा भी जा रही है।
राहुल के बयान को लेकर कमलनाथ की प्रतिक्रिया ने साबित कर दिया है कि राहुल गांधी अब कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के लिए भी ज्यादा महत्व नहीं रखते हैं जिसके चलते राहुल गांधी की आपत्ति भी अब पार्टी में एक साधारण मत बन गई है ,जिसे ज्यादा तवज्जो नहीं मिलेगी।
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