दिल्ली के दंगों में दंगाइयों ने एक समुदाय को निशाना बनाने के उद्देश्य से जलाये वाहन?

बड़ा खुलासा!

जैसे-जैसे पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों की जांच पड़ताल आगे बढ़ रही है, नए नए तथ्य सामने आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस से पूछताछ में ताहिर हुसैन ने ये स्वीकार किया था कि कैसे उसने उमर खालिद और खालिद सैफी के साथ मिलकर हिंदुओं को सबक सिखाने के लिए पूरे दंगों का खाका बुना था। अब एक नए रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि वाहन रजिस्ट्रेशन पोर्टल्स पर उपलब्ध जानकारी का दुरुपयोग करते हुए वाहनों को अपना निशाना बनाया गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अपराधियों को पकड़ने में काफी सफलता मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, “अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली पुलिस ने काफी दंगाइयों को हिरासत में लेने में सफलता प्राप्त की। इन्हीं में से एक तरीका था ई वाहन डेटाबेस का निरीक्षण, जिससे पता चला कि दंगाइयों द्वारा जलाए गए वाहनों के स्वामित्व की जानकारी मांगने के लिए ई वाहन डेटाबेस को एसएमएस किए गये थे, जिससे उनकी पहचान करने में पुलिस को काफी आसानी हुई”।

इसके अलावा मोबाइल फोरेंसिक तकनीक और डंप डेटा एनालिसिस के जरिये भी कई आरोपी पकड़े गए थे। परंतु ई वाहन डेटाबेस से गाड़ी के स्वामित्व के डीटेल्स निकालने का मकसद क्या था? हालांकि, दिल्ली पुलिस ने फिलहाल इस बारे में और अधिक जानकारी साझा करने से मना किया, लेकिन जांच पड़ताल के संकेत इसी ओर इशारा दे रहे हैं कि वाहनों के डीटेल्स मांगने का एक ही उद्देश्य था – एक निश्चित समुदाय से जुड़े लोगों के वाहनों को निशाना बनाना, और जिसने भी दिल्ली में भड़के दंगों को ध्यान से समझा है, उसे भली भांति पता है कि किस समुदाय को विशेष रूप से इन दंगों में निशाना बनाया गया था।

यही नहीं, जब दिसंबर में सीएए के विरोध के नाम सीलमपुर में एक स्कूल बस पर पथराव हुआ था, तो उसमें दायर एफ़आईआर के अनुसार इस बस पर हमला करने वालों में कट्टरपंथी मुसलमानों के शामिल होने का आरोप था। ऐसे में ये संभव है कि ई वाहन डेटाबेस से गाड़ियों के स्वामित्व के डीटेल्स निकालने का उद्देश्य हिंदुओं को प्रमुख रूप से निशाना बनाना रहा हो। वाहनों के स्वामित्व के डीटेल्स के दुरुपयोग की बात दंगों के ठीक दो दिन बाद न्यू इंडियन एक्स्प्रेस ने अपने रिपोर्ट में भी उठाई थी, लेकिन उसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया था। परंतु अब दिल्ली पुलिस की जांच पड़ताल से ये स्पष्ट होता है कि दिल्ली के दंगे उन्माद में नहीं भड़के थे, अपितु यह एक सोची समझी साजिश थी।

Comments