सालों का जोड़ है..... टूटेगा नहीं
पिछले कुछ महीनों में रूस अपने फैसलों से यह स्पष्ट कर चुका है कि वह आज भी भारत का उतना ही अच्छा दोस्त है, जितना कि वह भारत की आज़ादी के बाद से ही रहा है। भारत-चीन विवाद के दौरान रूस ने ना सिर्फ खुलकर भारत की मदद की है, बल्कि भारत के दुश्मनों को कोई सहायता प्रदान करने से भी साफ मना किया है। इस वक्त जहां लद्दाख में भारत-चीन के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है, तो ऐसे में रूस और भारत मिलकर मलक्का स्ट्रेट के पास निकोबार द्वीपों में सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। भारत ने इस वर्ष SCO के तहत रूस में होने वाले कावकाज़ सैन्य अभ्यास में जाने से इंकार कर दिया था। उसके बाद भारत ने रूस को बंगाल की खाड़ी में सैन्य अभ्यास करने के लिए बुलाया, जिसे भारत के मित्र रूस ने ठुकराया नहीं, और 4 सितंबर को यह सैन्य अभ्यास शुरू भी हो चुका है। इस सैन्य अभ्यास की timing और जगह से यह साफ है कि भारत और रूस मिलकर चीन को कड़ा संदेश भेजना चाहते हैं।
भारत-चीन विवाद में पाकिस्तान की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। ऐसे में रूस ने चीन के साथ-साथ पाकिस्तान को भी बड़ा झटका देने का काम किया है। पहले तो रूस ने चीन को एस-400 की सप्लाई देने से साफ मना कर दिया, उसके बाद भी रूस का पेट नहीं भरा तो रूस ने भारत को साफ कर दिया कि वह चीन के साथी पाकिस्तान को एक भी हथियार नहीं बेचेगा। दुनिया को पता है कि पाकिस्तान अपने हथियार भारत के खिलाफ ही इस्तेमाल करता है। अभी भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के दौरे पर हैं, इसी दौरान रूस ने भारत को यह जानकारी दी है। बता दें कि भारत रूसी हथियारों का सबसे बड़ा importer है। भारत ने पहले ही रूस के साथ एस400 की सप्लाई को लेकर समझौता किया हुआ है, जिसको लेकर रूस ने भारत को आश्वस्त किया है कि कोरोना के बावजूद भारत को एस400 पहले से तय समय पर ही दिये जाएंगे। रूस द्वारा निर्मित एस-400 दुनिया में सबसे बेहतर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। ऐसे में रूस ने चीन और पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत के साथ अपनी दोस्ती को ज़ाहिर कर दिया है।
15 जून को भारत-चीन के बीच खूनी संघर्ष के बाद भारत ने रूस से फाइटर जेट्स की खरीद के लिए आपात ऑर्डर दिया था, जिसे Russia ने तुरंत स्वीकार कर लिया था।
Russia जहां चीन और पाकिस्तान को हथियार बेचने में आनाकानी कर रहा है, तो वहीं वह खुलकर भारत को हथियार देने से पीछे नहीं हट रहा है। Russia के इस फैसले पर चीन में कई नागरिकों ने रूस के खिलाफ रोष भी जताया था। SCMP की रिपोर्ट के मुताबिक एक चीनी यूजर ने लिखा था “आपको कैसा लगेगा कि आप अपने दुश्मन से लड़ाई लड़ रहे हैं, और तभी आपका दोस्त आपके दुश्मन को चाकू पकड़ा दे।’’
4 सितंबर को जिस प्रकार चीनी रक्षा मंत्री ने Russia में मौजूद भारत के रक्षा मंत्री से बैठक के लिए गुहार लगाई थी, उससे भी यह अंदेशा है कि खुद रूस ने ही चीन पर भारत से बैठक करने के लिए दबाव बनाया हो। चीन अक्सर किसी भी बैठक से पहले सामने वाली पार्टी पर दबाव बनाने के लिए आक्रामकता दिखाता है, ताकि वार्ता की मेज पर चीन का प्रभाव बना रहे। हालांकि, Russia में बैठक से पहले लद्दाख में भारत ने चीन पर बढ़त बनाई हुई थी और भारत के रक्षा मंत्री ने चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक के दौरान भी अपने हाव-भाव से बयां कर दिया था कि भारत अब चीन के सामने आँख उठाकर ही बात करेगा। चीन भारत के खिलाफ इसलिए भी बैकफुट पर है, क्योंकि अक्सर हर मुद्दे पर उसे समर्थन देने वाला Russia भारत के मामले में खुलकर चीन का विरोध कर रहा है और वह भारत की भाषा बोल रहा है।
भारत-चीन विवाद पर Russia क्या सोचता है, वह रूस की सरकारी मीडिया की रिपोर्टिंग से भी साफ पता लगाया जा सकता है। रशिया टुडे ने भारत-चीन विवाद पर की अपनी रिपोर्टिंग से कई भारतीयों का दिल जीता है, क्योंकि रूसी मीडिया ने अपनी रिपोर्टिंग में उन्हीं पहलुओं को दिखाया है, जो भारत दुनिया को दिखाना चाहता है। 15 जून के खूनी संघर्ष के बाद रशिया टुडे के पत्रकार Rick Sanchez ने अपनी रिपोर्ट में बार-बार यह कहा था कि बॉर्डर पर भारत ने नहीं, बल्कि चीनी सैनिकों ने ही आक्रामकता दिखाई थी। इसके अलावा अपने शो पर उन्होंने जिस गेस्ट को बुलाया था, वह भी खुलकर चीन का विरोध कर रहा था।
Russia और चीन कई मुद्दों पर हमें साथ देखने को मिल सकते हैं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि रूस के लिए चीन स्वयं किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। ऐसे में चीन को काबू में रखने के लिए Russia भी चीन के साथ “India card” खेल रहा है, जिसने चीन को कहीं का नहीं छोड़ा है।
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