किसान बिल चुनावों में “किसान” मुद्दा ही खत्म कर देंगे, विरोध इसलिए क्योंकि कांग्रेस समेत कई पार्टियों का सफाया हो जाएगा
क्या है किसान बिलों के विरोध की असल वजह?
नेहरूवादी समाजवाद के चंगुल से भारतीय कृषि को मुक्त करने वाले 3 कृषि बिलों के साथ, मोदी सरकार ने कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दलों की भविष्य की संभावनाओं पर सवालिया निशान लगा दिया है। कई क्षेत्रीय दलों जैसे पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (SAD), हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD), महाराष्ट्र में NCP जैसी पार्टियों के लिए किसान सबसे बड़े ‘वोट बैंक ’थे और ये दल दशकों से इन किसानों का इस्तेमाल करते आए थे। अब ऐसा लगता है कि इन तीनों बिलों के कानून बनने के बाद किसान ना सिर्फ इन पार्टियों का बहिष्कार करेंगे बल्कि भविष्य में वोट देने से भी बचेंगे।
इन राजनीतिक दलों में से अधिकांश ने दशकों तक किसानों को एक मानक संचालन प्रक्रिया के तहत अपने नियंत्रण में रखा। इन दलों ने किसानों को जानबूझकर बाजार से दूर रखा ताकि वे Agriculture Market Produce Committee (APMC) पर निर्भर रहें – जो शुल्क के रूप में उपज बेचने के लिए 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक फीस लेते थे।
साथ ही, इन पार्टियों की सरकार ने APMC के माध्यम में हजारों करोड़ रुपये टैक्स से कमाए। इसलिए उदाहरण के तौर पर देखे तो अगर एक किसान मंडी में 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज बेचता है, उसके बाद व्यापारी अपना कमीशन लेता है, सरकार अपनी टैक्स लेती, और खुदरा व्यापारी अपना लाभ जोड़ते हैं, और अंत में वह प्याज जो किसान 10 रुपये में बेचता है उपभोक्ता के पास 20-30 रुपये प्रति किलो पर बेचा जाता है।
APMC से सरकार जो टैक्स के रूप में धन इकट्ठा करती है उसका उपयोग किसानों को मुफ्त बिजली, अनुदानित बीज, और कृषि ऋण माफी के लिए किया जाता है। संक्षेप में, किसानों से एकत्रित धन को ही किसानों को वापस दिया जाता है, लेकिन यहां ध्यान देना होगा कि उन्हें अपने हिस्से का पूरा धन नहीं मिलता क्योंकि भ्रष्ट नौकरशाह भी अपना हिस्सा प्राप्त करते हैं। परन्तु किसानों को मिलने वाली इन सुविधाओं को लेकिन “सरकार से दान” का नाम से दिया जाता है।
वित्त वर्ष 20 में, पंजाब सरकार ने कृषि उत्पादों पर टैक्स लगाकर 3642 करोड़ रुपये कमाए और बाद में उस धन का उपयोग सब्सिडी, बीज और उर्वरक और ऋण माफी में किया।
यानी क्षेत्रीय दल और कुछ राज्यों में सरकारें इस चैरिटी के माध्यम से किसानों का वोट बैंक ’खरीदती’ हैं। जिस चैरिटी के नाम पर यह वोट बैंक खरीदा जाता वह उसके लिए किसानों से ही पैसा वसूला जाता है। पहले तो ये पार्टियां किसानों और उनके वोटों को फिरौती के लिए रखती हैं और फिर किसानों के ‘मसीहा’ के रूप में सब्सिडी और बिजली दे करके उन्हें बेवकूफ बनाती हैं।
मोदी सरकार ने किसानों के लिए तीन बिल पारित किए। पहला किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, दूसरा मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता, और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन। ये बिल किसानों को व्यापारियों, नौकरशाहों, राजनेताओं और सरकार के चंगुल से मुक्त कराएगा।
अगर एक बार देश में एक सुव्यवस्थित कृषि बाजार बन जाता है, और अगर ये बिल राज्यसभा में पारित हो जाते हैं और एक अधिनियम बन जाता है तब दशकों से SAD, INLD, NCP जैसी पार्टियों द्वारा किसानों को अंधेरे में रख कर बनाया गया वोट बैंक कुछ ही समय में नष्ट हो जाएगा। यही कारण है कि ये पार्टियां कृषि क्षेत्र के सुधारों का विरोध कर रही हैं और किसानों को बिचौलियों की मदद से भड़का रही हैं।
इन बिलों के कानून बन जाने के बाद, किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेगा और APMC का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। एक राष्ट्रव्यापी बाजार के विकास से न केवल किसान बल्कि उपभोक्ता भी लाभान्वित होंगे। शहरों में गेहूं, चावल या दाल की कीमत गाँवों की तुलना में दो से तीन गुना अधिक है, लेकिन एक बार देशव्यापी बाजार विकसित हो जाने के बाद, पूरे देश में कीमतें काफी हद तक एक समान होंगी।
इसके अलावा, किसानों को न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा जो कि अधिकांश फसलों के लिए अधिकतम मूल्य पर बिक्री मूल्य बन गया है। MSP व्यापारियों और बड़े किसानों को भी लाभ पहुंचाता है, न कि छोटे और गरीब लोगों को। अब MSP पर निर्भरता में कमी से भी छोटे किसानों को मदद मिलेगी।
यह बिल भ्रष्ट नौकरशाहों को फ्री में मिलने वाली मलाई को भी रोक देगा और किसानों को, विशेषकर छोटे किसानों को अपनी फसल की सही कीमत पाने में मदद करेगा।
ऐसे में अगर यह कहा जाए कि ये बिल NCP, SAD, INLD जैसे राजनीतिक दलों को आने वाले समय में भारी नुकसान पहुंचाने वाला जिन्होंने किसान को एक तरह से नियंत्रित कर रखा था तो यह ग़लत नहीं होगा। इस बिल से इन राजनीतिक पार्टियों का भविष्य भी खतरे में पर जाएगा जो अभी किसानों को बेवकूफ बना कर वोट हासिल करते आए थे।
It seems good 4 d agructural farmer
ReplyDeleteThanks for the opinion please like and subscribe my blog
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