लद्दाख में सर्दी आने वाली है, भारत इसका फायदा उठाकर अक्साई चिन को लपक सकता है

जिसे आप सर्दी समझ रहे हैं, वो असल में सेना के लिए “अवसर” है

एलएसी पर इस समय तनातनी बनी हुई है। एक ओर भारत स्थिति को शांत करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है, तो वहीं चीन भारत पर युद्ध थोपने पर आमादा है। अब भारत भी हर संकट से निपटने के लिए तैयार है, और राजनाथ सिंह ने अपने व्याख्यान में ये संकेत भी दिया है कि वह चीन से सर्दियों में भी युद्ध करने के लिए तैयार है। ऐसे में अब समय आ चुका है कि भारत चीन के कब्ज़े से लद्दाख का गोस्थान क्षेत्र [जिसे चीनी अक्साई चिन के नाम से संबोधित करते हैं] मुक्त कराएं।

हाल ही में संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एलएसी की सच्चाई से राष्ट्र और संसद दोनों को ही अवगत कराया। लोकसभा में एलएसी के मुद्दे पर विपक्ष को जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “हमने स्पष्ट किया है चीनियों को कि वे अपनी गतिविधियों [एलएसी] पर निरंतर आक्रमण से यथास्थिति [Status Quo] को बदलने का प्रयास किया है। उन्हें सूचित किया गया कि ये अस्वीकार्य है”। इसके अलावा राजनाथ सिंह ने ये संकेत भी दिये कि चीन से निपटने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है, और वह सर्दियों में भी चीन की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे सकती है।

बता दें कि अक्साई चिन लद्दाख का वो हिस्सा है, जिसे हम 1962 की जंग में चीन को हार बैठे थे। लेकिन भारत ने अक्साई चिन पर अपना दावा नहीं छोड़ा है। राज्यसभा को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “चीन आज भी लद्दाख के 38000 स्क्वेयर किलोमीटर वर्ग क्षेत्र की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा जमाया हुआ है। इसके अलावा 1963 के सिनो पाकिस्तान बाउंडरी एग्रीमेंट के अंतर्गत पाकिस्तान ने अपने कब्ज़े में स्थित कश्मीर का 5180 स्क्वेयर किलोमीटर हिस्सा चीन को सौंप दिया। चीन अरुणाचल प्रदेश के लगभग 90,000 स्क्वेयर किलोमीटर के भूमि क्षेत्र पर भी दावा करता है”। पिछले वर्ष गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के उपलक्ष्य में लोकसभा में दिये गए अपने व्याख्यान में भी स्पष्ट किया था कि वे पीओके के लिए जितने प्रतिबद्ध हैं, उतने ही वे अक्साई चिन की स्वतन्त्रता के लिए भी है।

इस समय भारत के पास अक्साई चिन को स्वतंत्र कराने का एक बेहद सुनहरा मौका है। भारत चाहे तो इसी दबाव का फायदा उठाकर चीन पर भारत के हितों की रक्षा करने का दबाव बना सकता है। इसी ओर इशारा करते हुए भारत के प्रसिद्ध सैन्य अफसर, लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ [सेवानिर्वृत्त] ने द क्विंट से अपनी बातचीत से बताया था, “सितंबर का महीना भारत के लिए बहुत अहम है। यदि भारत ने इसे पार कर लिया, तो फिर अक्टूबर से मार्च के बीच यदि चीन ने हमला करने का प्रयास भी किया, तो भारत उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा”।

लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने यह बात यूं ही नहीं कही थी। चीन द्वारा 29 अगस्त की रात को किए गए हमले के बाद भारतीय सेना ने अपनी स्पेशल फ़्रंटियर फोर्स के बलबूते एलएसी पार किया और रेकिन घाटी के काला टॉप फीचर को चीन के कब्जे से छुड़ाने में सफलता प्राप्त की। इस शानदार उपलब्धि के कारण भारत अब चीन के विरुद्ध न केवल लाभकारी स्थिति में है, बल्कि चीन के विरुद्ध समय आने पर एक नया मोर्चा खोलकर उसे धूल चटाने में भी सक्षम भी होगा।

इसके अलावा भारत के लिए खुशखबरी यह भी है कि इस समय भारत के पास पूरे विश्व का अप्रत्याशित समर्थन प्राप्त है, जो चीन की एक भी गलती पर उसे कच्चा चबा जाने के लिए उद्यत है। एक ओर अमेरिका, जापान, यूके, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस जैसे देश खुलकर भारत का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं रूस जैसा देश दशकों पुरानी मित्रता को सुदृढ़ बनाने के लिए चीन को खुलेआम ठेंगा दिखा रहा है। इतना ही नहीं, अब तक चीन के विश्वासपात्रों में गिने जा रहे जर्मनी ने भी स्पष्ट किया कि वह भारत के हितों के साथ समझौता कर चीन के साथ अपने संबंध मजबूत नहीं कर सकता।

वहीं भारत ने सर्दियों में होने वाले चीन के संभावित आक्रमण के लिए बहुत पहले से तैयारियां शुरू कर दी है। टाइम्स नाउ और फाइनेंशियल एक्स्प्रेस की रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय सेना ने पिछले कुछ दिनों में सर्दी के लिए योग्य फ्यूल, विंटर गियर, Special Nutrient Diet के अनुसार राशन, और विशेष स्नो टेंट्स को एलएसी में स्थित भारतीय सेना के पोस्ट्स पर भेजना शुरू कर दिया है। पर बात यहीं पर खत्म नहीं होती। राशन और विंटर गियर के अलावा बॉर्डर रोड संगठन को भी सड़क निर्माण का काम युद्ध स्तर पर करने को कहा गया है। ऐसे में भारतीय सेना को अंदेशा है कि चीन 1962 की तरह एक बार फिर सर्दियों में हमला कर सकता है।

परंतु जैसा लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने अपने साक्षात्कार में कहा है, इस बार चीन द्वारा सर्दियों में हमला उसी की सेना के लिए बहुत हानिकारक होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत पूरी तरह से चीन के किसी भी हमले से निपटने के लिए तैयार है। इसके अलावा यह बात भी सामने आई कि, भारतीय सेना की यह नीति केवल लद्दाख तक ही सीमित नहीं होगी, बल्कि उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम समेत एलएसी पर स्थित हर भारतीय पोस्ट के लिए लागू होगी।

सच कहें तो यह समय भारत के लिए किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है। इस समय सरकार सेना की हरसंभव सहायता के लिए तैयार खड़ी है और पूरा विश्व भारत के साथ है। ऐसे में चीन का एक गलत कदम न केवल अक्साई चिन को पुनः भारत के हाथों में सौंप देगा, अपितु कम्युनिस्ट चीन के सर्वनाश की नींव भी रखेगा।

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