हिन्दू वोट देंगे नहीं, मुस्लिम भाग जाएंगे, साथी साथ छोड़ देंगे; राम मंदिर कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील है राम मंदिर पर कांग्रेस की Confusion उसे बहुत भारी पड़ने वाली है

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला रखी। मंत्रोच्चार के साथ भूमिपूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ और लगभग 500 वर्षों की तपस्या सफल हुई। कल केवल राम जन्मभूमि का ही पूजन नहीं था, बल्कि भारत के इतिहास और राजनीति में एक ऐसा दिन था जिसके बाद से राजनीतिक परिपेक्ष्य ही बदल जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी न सिर्फ एक नई ऊंचाई पर पहुंचेगी, बल्कि कांग्रेस शून्य में समा जाएगी। यह दिन था कांग्रेस के ताबूत में कील का, जिसके बाद कांग्रेस सिर्फ गांधी परिवार के पारिवारिक जमावड़े का केंद्र बन कर रह जाएगी। राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद कांग्रेस की बुरी दशा के तीन प्रमुख कारण है:

हिंदुओं का वोट बीजेपी के खाते में

राम मंदिर के निर्माण शुरू होने से देश के हिंदुओं का वोट अब बीजेपी से कहीं नहीं जाने वाला है। पिछले कुछ समय से बीजेपी ने अपने घोषणापत्र के लगभग सभी वादों को पूरा किया है चाहे वो अनुच्छेद 370 हटाना हो या राम मंदिर का निर्माण करवाना हो या आर्थिक क्षेत्र के बड़े फैसले लेने हो। कांग्रेस ने जिस तरह से हिंदुओं के साथ सौतेला व्यवहार किया है, वह आज उसी पर भारी पड़ने वाला है। एक समय में भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करने वाली कांग्रेस आज स्वयं अस्तित्व की लड़ाई लड़ने पर मजबूर है। देश का कोई भी हिन्दू जवाहर लाल नेहरू के सोमनाथ मंदिर ने पुनर्निर्माण के विरोध से ले कर सुप्रीम कोर्ट में राम, सीता, हनुमान और वाल्मिकी को काल्पनिक किरदार बता कर रामसेतु को काल्पनिक बताने से ले कर राम मंदिर के फैसले में देरी करवाने और “हिन्दू टेरर” के कांग्रेसी षडयंत्रों को नहीं भूलने वाला है। BJP ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तनिक भी देर न करते हुए आठ महीनों के भीतर ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर बता दिया कि वह देश की संस्कृति के लिए कितनी प्रतिबद्ध है। इसी प्रतिबद्धता और कांग्रेस के सौतेला व्यवहार से हाशिए पर बैठा हिन्दू भी अब BJP को ही वोट देगा।
सेक्युलर से राम भक्त हुई कांग्रेस

अपने नेहरूवादी और सेक्युलर राजनीति के लिए जानी जाने वाली कांग्रेस अब राम मंदिर के निर्माण को लेकर रामभक्त की तरह व्यवहार कर रही है परंतु कांग्रेस के इस बदलते रंग से उसे वोट देने वाला मुस्लिम वर्ग नाराज हो चुका है। यानि, अब कांग्रेस के हाथ से मुस्लिम वोट भी निकल गया। एक तरफ मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हनुमान चालीसा का पाठ करवा रहे हैं तो वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा “राम सबमें हैं, राम सबके साथ हैं” जैसे ट्वीट कर सॉफ्ट हिन्दुत्व कार्ड खेल रही हैं।

वहीं, इस अवसर पर राहुल गांधी भी राम भक्त बन गए और उन्होंने ट्वीट किया, “मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरूप हैं। वे हमारे मन की गहराइयों में बसी मानवता की मूल भावना हैं।“

कांग्रेस द्वारा इस तरह से रंग बदलने पर कई मुस्लिम नेताओं ने खुल कर कांग्रेस को लताड़ा। अकबरुद्दीन ओवैसी ने प्रियंका गांधी के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा कि, “खुशी है कि वे अब नाटक नहीं कर रहे हैं। यह ठीक है कि अगर वे हिंदुत्व की इस विचारधारा को अपनाना चाहते हैं लेकिन भाईचारे की बात क्यों करते हैं?”

कई इस्लामिस्टों और ‘कथित सेक्युलरों’ ने भी कांग्रेस के बदलते रूप पर निशाना साधा।

कांग्रेस ने जिस तरह से हिंदुओं को लुभाने के लिए अपने आप को राम भक्त दिखाने की कोशिश की उससे हिन्दू उसके पाले में नहीं आए पर अब उसके हाथ से उसका प्रमुख वोट बैंक यानि मुस्लिम वर्ग भी निकल गया। स्पष्ट है कांग्रेस अब न तो घर की रही न ही घाट की।

कांग्रेस की साथी “सेक्युलर” पार्टियां छोड़ कर जा रही

कांग्रेस के इस सॉफ्ट हिन्दुत्व से अब उसके साथ सरकार बनाने वाली कई हिन्दू विरोधी पार्टियां भी कांग्रेस का साथ छोड़ने वाली है। आज देखा जाए तो कुछ राज्यों को छोड़ कांग्रेस पूरे देश में अपना वोट बैंक खो चुकी है, अगर कहीं सरकार बची हुई है तो सिर्फ अपने साथी पार्टियों के बल पर। अब कांग्रेस का इस तरह से सॉफ्ट हिन्दुत्व को अपनाना उस पर भारी पड़ने वाला है और कई साथी पार्टियां कांग्रेस को छोड़ने से नहीं हिचकिचाएंगी। चाहे वो DMK हो या केरल की मुस्लिम लीग। DMK शुरू से ही एक हिन्दू विरोधी पार्टी रही है। पार्टी के पूर्व प्रमुख करुणानिधि ने तो भगवान राम को झूठा बता दिया था। ऐसे में कांग्रेस के इस तरह रंग बदलने से दोनों पार्टियों के बीच खटास आनी तय है। कल ही DMK ने मंदिर निर्माण के प्रयासों के लिए पीएम मोदी की तारीफ पर अपने एक विधायक को सस्पेंड कर दिया था। वहीं केरल की मुस्लिम लीग भी कांग्रेस के इस रूख से खफा है और उससे सवाल पूछा है।

कांग्रेस ने राम मंदिर के भूमि पूजन पर राम भक्त बनने का नाटक कर अपनी ही गर्दन पर कुल्हाड़ी मार ली है जिससे उसका बचना नामुमकिन है। एक तरफ हिन्दू पहले ही उससे दूर हो चुके हैं, दूसरी तरफ, मुस्लिम और कांग्रेस की साथी पार्टियां भी उससे रिश्ते तोड़ना चाहते हैं। यानि देखा जाए तो राम मंदिर का निर्माण कांग्रेस की ताबूत में आखिरी कील साबित होगी।

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