पाकिस्तान में होगा एक और तख़्तापलट? सऊदी अरब के मुद्दे पर पाक सेना और सरकार दो धड़ों में बंटे इमरान तुर्की की गोद में बैठे हैं, और बाजवा सऊदी अरब के पैरों में लेटे हैं

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के लिए इस समय कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। दुनिया उसे और क़र्ज़ देने को तैयार नहीं, लाख चाहने पर भी पहले की तरह आतंकवादी भारत में घुस नहीं पाते और तो और अब सऊदी अरब भी पाकिस्तान के चिंदीगिरी से तंग आकर अपना बकाया चुकाने के लिए दबाव डाल रहा है। पर अब तो खबरें हैं कि, पाकिस्तानी आर्मी ने भी इमरान सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल लिया है और यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो जल्द ही इमरान खान की सरकार का तख्तापलट भी हो सकता है।

अभी हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने सऊदी अरब का दौरा करने का निर्णय किया था। इस दौरे में वे सऊदी राजघराने से मिलेंगे, जहां वे पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच पैदा हुई गलतफहमी को दूर करने का प्रयास करेंगे। बता दें कि, पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सऊदी अरब द्वारा कश्मीर का मुद्दा न उठाने पर OIC को विभाजित करने की धमकी दी थी। इसी बयान के बाद सऊदी इतना नाराज़ हुआ कि, उसने न केवल पाकिस्तान को तेल की आपूर्ति रोक दी बल्कि पाकिस्तान को बकाया क़र्ज़ लौटाने का भी आदेश दे दिया।

पाकिस्तानी सरकार अभी भी अपने रुख पर कायम है लेकिन पाकिस्तानी आर्मी इस बात का बिलकुल भी समर्थन नहीं करती। पाकिस्तानी आर्मी जो पाकिस्तान सरकार कि असली मालिक है, वह बिलकुल नहीं चाहती कि सऊदी अरब जैसे प्रभावशाली मुस्लिम देश के साथ उसके संबंध खराब हों। इससे स्पष्ट पता चलता है कि पाकिस्तानी सरकार और उसकी आर्मी इस विषय पर एकमत भी नहीं है।
 
ऐसे में यदि आवश्यकता पड़ी, तो पाकिस्तानी आर्मी सऊदी अरब के लिए अपनी सरकार से शासन की कमान लेने से भी नहीं हिचकिचाएगी। अब इसका अर्थ सिर्फ एक ही है – तख्तापलट। वर्तमान में समीकरण ही कुछ ऐसे हैं कि, यदि इमरान सरकार ने स्थिति को सुधारने पर ध्यान नहीं दिया, तो जल्द ही हमें अपने पड़ोसी मुल्क में एक और तख्तापलट देखने को मिल सकता है।

सच कहें तो, नीतियों के मामले में इमरान खान केवल बोलना जानते हैं और जमीन पर उनका कोई ठोस काम अब तक नज़र नहीं आया है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने पर इमरान खान ने दावा किया था कि, वे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत को बेनकाब कर देंगे और इस्लामिक जगत पाकिस्तान के साथ खड़ा होगा। लेकिन तब से एक साल पूरा हो चुका है और अधिकांश इस्लामिक देश इस मुद्दे पर समर्थन तो छोड़िये, इमरान खान के साथ खड़े भी नहीं होना चाहते। तुर्की को छोड़, कोई भी प्रमुख इस्लामिक देश पाकिस्तान की दलीलों पर ध्यान नहीं देता।

इस समय पाकिस्तान की वैश्विक छवि बुरी तरह गिर चुकी है, जिसके लिए प्रमुख रूप से पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान ही जिम्मेदार हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तो खुलेआम धमकी देते हुए कहा था कि यदि सऊदी अरब और OIC कश्मीर पर पाकिस्तान की सहायता नहीं कर सकते, तो पाकिस्तान अपना अलग गुट चुनने के लिए स्वतंत्र है, जिससे नाराज़ होकर सऊदी अरब ने तत्काल प्रभाव से क़र्ज़े के बदले तेल देने की स्कीम पर रोक लगा दी। पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय को घेरते हुए कहा था कि, यदि आज पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच के संबंध खराब हैं, तो इसके पीछे केवल एक ही कारण है – पाकिस्तान की घटिया विदेश नीति, जो अधिकतर कश्मीर पे ही केन्द्रित है।

सऊदी अरब के मुद्दे पर पाकिस्तानी सरकार और सेना में एक बार फिर तनातनी देखने को मिल रही है। यहाँ तक कि संबंध सुधारने के लिए पाकिस्तानी सेना प्रमुख को वो काम करना पड़ रहा है जो एक डिप्लोमेट को करना होता है। यूं तो पाकिस्तान में तख्तापलट कोई नई बात नहीं है लेकिन यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो जल्द ही पाकिस्तान में एक और तख्तापलट देखने को मिल सकता है।

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