अयोध्या के बाद काशी विश्वनाथ मंदिरसे 'ज्ञानवापी मस्जिद' को मुक्त करानेकी कानूनी लड़ाई शुरू, डिस्ट्रिक्ट कोर्टमें टली सुनवाई


वाराणसी: अयोध्या (Ayodhya) में श्रीराम
मंदिर (Sriram temple) का भव्य निर्माण
शुरू होने के साथ ही अब वाराणसी में
'ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर' को मुक्त
कराने की कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है. हिंदू
पक्ष का कहना है कि यहां पर पहले
ज्योतिर्लिंग का मंदिर था. जिसे मुगल काल
में तोड़कर मस्जिद का रूप दे दिया गया.
इस मुद्दे पर सोमवार को वाराणसी की
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सुनवाई हुई. लेकिन सुन्नी
सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कोर्ट में
उपस्थिति न होने के कारण सुनवाई 1
सितंबर तक के लिए टाल दी गई.

कोर्ट में अर्जी देने वाले हिंदू पक्ष के मुताबिक
मुगलकाल में देश में सैकड़ों की तादाद में
मंदिरों को ध्वस्त कर उन्हें मस्जिदों में बदला
गया था. इनमें हिंदुओं के सर्वोच्च तीर्थस्थान
अयोध्या, वाराणसी और मथुरा के प्रमुख
मंदिर भी शामिल रहे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले
के बाद अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के
निर्माण का रास्ता तो साफ हो चुका है.
लेकिन वाराणसी और मथुरा के मंदिरों पर
अब भी कब्जा बना हुआ है.

हिंदू पक्ष का कहना है कि वाराणसी में काशी
विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद
परिसर में भी पहले ज्योतिर्लिंग मंदिर था.
जिसे मुगलकाल में तोड़कर मस्जिद का
निर्माण किया गया. यदि कोर्ट पुरातत्व
विभाग से ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण
कराने का आदेश दे तो वहां पर निश्चित रूप
से इस मंदिर के अंश निकलेंगे. इस प्रार्थना
पत्र के ख़िलाफ़ मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाई
कोर्ट चला गया. जहां पर 1991 में स्थगन
आदेश जारी कर दिया गया.

फिलहाल वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में इस
बात पर सुनवाई हो रही है कि ज्ञानवापी का
विवाद वक़्फ़ ट्रिब्यूनल में चले या फिर लोअर
कोर्ट में. दरअसल इसी साल 25 फ़रवरी को
वाराणसी की सिविल जज कोर्ट ने आदेश
दिया था कि ये केस लोअर कोर्ट में ही
चलेगा. मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को ज़िला
न्यायाधीश की अदालत में चुनौती दी है.
सोमवार को इसी मुद्दे पर कोर्ट में सुनवाई
हुई. लेकिन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर
से कोई वकील पेश न होने के कारण सुनवाई
1 सितंबर तक के लिए टाल दी गई.

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