‘भारतीय सेना की गश्ती चलती रहेगी’ – NSA डोभाल ने 2 घंटे में चीन को किया चित, पीछे हटने को मजबूर हुआ ड्रैगन

डोभाल ने स्पष्ट कर दिया कि 1597 किलोमीटर लम्बी LAC सीमा पर शांति और सद्भाव के लिए भारतीय सेना की उन चारों तनाव वाले स्थलों पर पट्रोलिंग चलती रहेगी। पैंगोंग झील के उत्तर में भारतीय सेना की गश्त में कोई व्यवधान न आने पाए, इसके लिए...

भारत-चीन के बीच लद्दाख के गलवान घाटी में संघर्ष से पैदा हुए तनाव की तब शांत होने की उम्मीद बढ़ गई, जब रविवार (जुलाई 5, 2020) को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की। इस बातचीत के बाद अचानक से चीन के तेवर ढीले पड़ गए और उसके सैनिक गलवान संघर्ष स्थल में LAC से 2 किलोमीटर पीछे जाने को मजबूर हो गए।

हालाँकि, भारत इस बार पूरी सावधानी बरत रहा है क्योंकि 1962 में भी चीन ने LAC से सेना पीछे हटाई थी और बाद में हमला कर दिया, जिसे उस समय की नेहरू सरकार भाँप नहीं पाई। इस बार भारत सतर्क है, तैयारियाँ पूरी है और अगर किसी प्रकार की कोई आकस्मात घटना होती है तो देश उससे निपटने के लिए तैयार है। गलवान वैली और पैंगोंग झील में 4 स्थानों पर चीन की ‘पीपल लिबरेशन आर्मी’ पीछे धकेल दी गई है।

इनमें से 3 स्थानों पर ड्रैगन तेज़ी से न सिर्फ़ पीछे गया है बल्कि अपने कंस्ट्रक्शंस को भी हटाया है। सिरिजाप रेंज में पैंगोंग झील के पास फिंगर 4 पर उसने अपने स्ट्रक्चर्स तोड़े हैं। भारत-चीन तनाव पर पुस्तक लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार शिशिर गुप्ता ने’ हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित एक ख़बर में एक भारतीय सैन्य कमांडर के हवाले से बताया है कि किसी भी अंतिम निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए हमें उस क्षेत्र में पल-पल बदलती गतिविधियों पर कड़ी नज़र बनाए रखनी होगी।

भारतीय सैन्य कमांडर ने बताया कि चीन की PLA गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स में अपनी स्थिति के हिसाब से नुकसान में है लेकिन पैंगोंग में उन्हें पोजिशनिंग के कारण थोड़ा फायदा पहुँचा क्योंकि फिंगर 4 तक उन्होंने सड़क का निर्माण किया था। उन्होंने कहा कि तनाव घटाने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी होगी और हर क़दम की समीक्षा की जाएगी। ज़मीनी स्तर पर दोनों सेनाओं के बीच कमांडर स्तर की वार्ताएँ चल रही हैं।

चीन और भारत के बीच गलवान में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे और 43 चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात कही गई थी। इसीलिए, वहाँ तनाव घटाने के लिए पहले चीनी सैनिकों को अपनी सेना हटाने को कहा गया। जैसी ही ये प्रक्रिया शुरू हुई, भारतीय सेना ने अपने उच्चाधिकारियों और फिर सरकार को अपडेट देना शुरू कर दिया। अब आते हैं इसमें अजीत डोभाल की एंट्री पर।


रविवार के दिन सबसे पहले भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने सीमा पर चल रहे घटनाक्रम के बारे में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सूचित किया। इसके बाद दोनों देशों के कूटनीतिज्ञों ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के बाद भारत के NSA अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत का खाका तैयार किया। दोनों के बीच क़रीब 2 घंटे तक ये महत्वपूर्ण बैठक चली।

हालाँकि जैसा कि उसकी आदत है, जून 15 को गलवान में हुए संघर्ष के लिए जिम्मेदार चीन ने अपने ऊपर लगे आरोपों से कन्नी काटते हुए भारत पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। लेकिन, अनुभवी अजीत डोभाल ने ड्रैगन को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया और कई अहम मुद्दों पर दोनों देशों में सहमति बनी। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की ख़बर के अनुसार, डोभाल ने स्पष्ट कर दिया कि 1597 किलोमीटर लम्बी LAC सीमा पर शांति और सद्भाव के लिए भारतीय सेना की उन चारों तनाव वाले स्थलों पर पट्रोलिंग चलती रहेगी।


बता दें कि कई विशेषज्ञों का भी कहना है कि पैंगोंग झील के उत्तर में भारतीय सेना की गश्त में कोई व्यवधान न आने पाए, इसके लिए अजीत डोभाल कोशिश में लगे हुए हैं। चीन द्वारा सीमा पर की गई तैयारियों के बाद भारत ने पर्याप्त संख्या में टैंक, हैलीकॉप्टर, आर्टिलरी बंदूकें और फाइटर जेट्स के साथ हजारों सैनिकों को वहाँ तैनात किया है। पिछले 45 सालों में भारत-चीन के बीच हुए सबसे बड़े संघर्ष के बाद भारत अब पहले से ज्यादा सावधान है।

अजीत डोभाल और वांग यी की वार्ता मुख्य रूप से एलएसी पर हालात सामान्य करने और सीमा पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हुई। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि आने वाले समय में सीमा पर इस तरह की कोई घटना न हो। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए बयान के मुताबिक़, भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई बातचीत जिसके बाद तनाव सीमा पर तनाव घटाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। चीन ने साफ़ तौर पर हालात सामान्य होने की पुष्टि की है।  

भारत में चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग ने भी मई के अंत में अपने बयान में कहा था है कि बीजिंग और नई दिल्ली को कभी भी आपसी रिश्तों में अंतर नहीं आने देना चाहिए और बातचीत के माध्यम से उन्हें हल करना चाहिए। NSA अजीत डोभाल, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और सीडीएस बिपिन रावत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा सकती है कि कम्युनिस्ट सत्ता वाला तानाशाही देश चीन बातचीत के माध्यम से विवादों को खत्म करना चाहता है।

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