Covid-19 के मामले में मध्य प्रदेश भी महाराष्ट्र बनने वाला था, वो तो शिवराज सिंह सही समय पर लौट आए“मामा” ने मध्य प्रदेश को बचा लिया!

वुहान वायरस महामारी के कारण दुनिया भर में त्राहिमाम मचा हुआ है। लाखों लोगों की जान ले चुके इस महामारी से भारत भी अछूता नहीं रहा है, और इस महामारी ने राष्ट्रीय या राज्य स्तर, हर प्रकार के प्रशासक की कार्य कुशलता की परीक्षा ली है। जहां कुछ राज्यों ने विकट परिस्थितियों में भी देश के लिए एक मिसाल पेश की है, तो वहीं कई राज्य हर प्रकार की सुविधा से संपन्न होने के बावजूद इस महामारी के सामने घुटने टेकते हुए नज़र आए।

पर इस महामारी में कुछ राज्य ऐसे भी निकले, जिनकी शुरुआत तो काफी डगमगाते हुए हुई, परंतु अंत में इस महामारी में काफी हद तक उन्होंने नियंत्रण पा लिया है। इन्हीं में शामिल हैं मध्य प्रदेश, जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य महाराष्ट्र की राह पर जाते जाते बच गया।

प्रारम्भ में मध्य प्रदेश की हालत बहुत भयानक थी। शिवराज सिंह चौहान के अनुसार उन्हें कमलनाथ से विरासत में एक बहुत खराब स्वास्थ्य सिस्टम मिला। शिवराज के अनुसार, “जब मैं मुख्यमंत्री, 24 मार्च को इंदौर से कई मामले सामने आए। तब से मामले बढ़ते ही चले गए क्योंकि संक्रमण काफी हद तक फैलता चला गया। कमलनाथ सरकार ने इस समस्या को नियंत्रण में लाने हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया”।  

अगर ये काफी नहीं था, तो तब्लीगी जमात के सदस्यों ने अलग ही उत्पात मचा दिया था, जिसके कारण वुहान वायरस से संक्रमण के मामलों में वृद्धि कभी कम ही नहीं हुई। शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, “मध्य प्रदेश से जितने भी तबलीगी जमात के सदस्य थे, वे वापिस आए और राज्य भर में फैल गए। उनके कारण भी राज्य में संक्रमण काफी हद तक बढ़ा था क्योंकि उन्होने जांच एजेंसियों के साथ कोई सहयोग नहीं किया, जिसके कारण संक्रमण फैलता ही गया”

अप्रैल के मध्य तक स्थिति काफी भयानक हो रही थी, क्योंकि मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मी भी इस महामारी से संक्रमित होने लगे थे। तब तक इंदौर से अकेले 696 मामले सामने आए थे और राज्य के स्वास्थ्य विभाग से 94 अधिकारी संक्रमित हो चुके हैं। हद्द तो तब हो गई जब इंदौर के टाटपटी बखल क्षेत्र में संक्रमितों को तलाशने गए स्वास्थ्य अफसरों पर सांप्रदायिक भीड़ ने जानलेवा हमला कर दिया। कई दिनों बाद इस क्षेत्र से भर भर के वुहान वायरस संक्रमितों के मामले सामने आए, और ऐसा लगा की मध्य प्रदेश भी महाराष्ट्र की राह पर जा रहा है।

पर शायद कुछ लोग भूल रहे थे कि अब मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जैसा कुशल प्रशासक है। उन्होंने ताबड़तोड़ निर्णय लेते हुए मध्य प्रदेश को वुहान वायरस के दलदल से निकालने में काफी मेहनत की। स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों के विरुद्ध उन्होंने किसी प्रकार की नरमी नहीं दिखाई। आज स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश संक्रमितों के मामले में 20,000 से काफी कम है। राज्य की रिकवरी रेट 77 प्रतिशत है, जो 60 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से बहुत बहतर है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मध्य प्रदेश वुहान वायरस के विरुद्ध अपनी लड़ाई में विजयी हो रहा है।

परंतु यह लड़ाई इतनी भी आसान नहीं थी। इसके लिए मध्य प्रदेश के प्रशासन को युद्धस्तर पर काम करना पड़ा था। स्वयं शिवराज सिंह चौहान के शब्दों में, “राज्य में तीन महीने पहले केवल एक टेस्टिंग लैब थी, जिसकी क्षमता केवल 60 टेस्ट प्रतिदिन। अब पूरे राज्य में 30 लैब्स की स्थापना की गई है, जिसमें क्षमता 9000 टेस्ट्स प्रतिदिन है। इसके अलावा हमने डोर टू डोर सर्वे भी ऑर्गनाइज़ कराये हैं, विशेषकर इंदौर जैसे हाई रिस्क ज़ोन में। जिनहोने भी अफवाहें फैलाने का प्रयास किया, उनके विरुद्ध हमने सख्त से सख्त कार्रवाई की है”।

इसके अलावा मध्य प्रदेश प्रशासन ने ये भी सुनिश्चित किया कि संक्रमितों में मृत्यु दर कम से कम रहे, जिसके लिए उन्होने स्वास्थ्य कर्मियों को भी खुली छूट दी। जो राज्य महाराष्ट्र की राह पर जा रहा था, उसे उस राह से बाहर निकाल दिया गया है और अब शिवराज सिंह चौहान ने ‘कोरोना मारो अभियान’ भी चला दिया।

इस अभियान के अंतर्गत पूरे राज्य में डोर टू डोर सर्वे किया जाएगा। शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, “हमें मिलकर इस महामारी को हराना है। हमें प्रण लेना चाहिए कि हम मध्यप्रदेश को कोरोना मुक्त बनाएँगे। हम आश्वासन दिलाते हैं कि विजय दूर नहीं होगी”। सच कहें तो शिवराज चौहान ने कुशल नेतृत्व के जरिये पहले ही वुहान वायरस महामारी पर नियंत्रण पा लिया है और अब वे इसे पूरी तरह से मिटाकर ही दम लेना चाहते हैं।


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