जहां शस्‍त्रबल नहीं, शास्‍त्र पछताते-रोते हैं...राफेल लड़ाकों से सदमे में आए कांग्रेस, चीन और पाकिस्तानदेश, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और तीनों सेनाएं उत्साहित!

नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान के शर्मनाक हथकंडों एवं भारत में ही कांग्रेस के भारी विरोध के बावजूद हिंदुस्तान के नए पांच जांबाज़ लड़ाके 'राफेल' आज दोपहर करीब तीन बजे भारत में भारतीय वायुसेना के अंबाला एयरबेस पहुंच गए। फ्रांस से करीब सात हजार किलोमीटर की दूरी तय कर भारत आते हुए हिंद महासागर में सबसे पहले आईएनएस युद्धपोत कोलकाता ने राफेल की अगवानी की और जोरदार स्वागत में कहा हैप्पी लैंडिंग! भारतीय आकाश में पहुंचते ही भारत के विख्यात लड़ाकू सुखोई ने राफेल को एस्‍कोर्ट किया और जब राफेल ने अंबाला एयरबेस पर लैंड किया तो वायुसेना ने उनको परंपरागत वॉटर कैनन सैल्यूट दिया। फ्रांस से मिराज लड़ाके भी भारत में सबसे पहले अंबाला एयरबेस पहुंचे थे और उनकी भी राफेल की तरह जोरदार अगवानी की गई थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस जनरल विपिन रावत, वायुसेना अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया और थल सेनाध्यक्ष एमएम नरावणे ने इस अवसर पर उत्साहजनक टिप्पणियों के साथ कहा है कि उन्हें भारत के शक्तिशाली होते राष्ट्र पर गर्व है। 

भारत की कांग्रेस और चीन के आवांछित गठजोड़ और भारत की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर रखने की ‌कुटिल चालों के कारण राफेल लड़ाकू भारत नहीं आ पा रहे थे। कांग्रेस की भारत के खिलाफ इस कपटपूर्ण चाल को भारत की भाजपा गठबंधन सरकार ने पकड़ा और पाया कि कांग्रेस की चीन से सांठगांठ एवं रक्षा सौदों में कमीशनखोरी के कारण भारत रक्षाक्षेत्र में बहुत कमजोर बनाकर रखा गया है और इसकी पुष्टि तब हुई जब नरेंद्र मोदी सरकार ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की बातचीत शुरु की और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं और दिग्गज वकीलों ने संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के खिलाफ के महाअभियान छेड़ दिया, जिसपर देशवासियों ने भी सवाल करना शुरु किया कि आखिर भारत के रक्षाक्षेत्र में ताकतवर होने में कांग्रेस अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेताओं को क्या दिक्कत है? राफेल खरीद को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाकर कांग्रेस एवं विपक्ष के और भी लोगों ने जो लंबी कोर्ट-कचहरी की, उसपर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय देते हुए राफेल की खरीद का मार्ग प्रशस्त किया जिसके फलस्वरूप देरसे ही सही आज राफेल की पहली खेप भारत पहुंच गई है। 

गलवान प्रसंग में विफलता के बाद चीन और पाकिस्तान ने राफेल की खरीद में व्यवधान डालने में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी है। खासतौर से चीन ने कूटनीतिक स्तरपर भरपूर जोर लगाया, ताकि मोदी सरकार भारत की फ्रांस से राफेल की डील न हो पाए। क्योंकि यदि राफेल डील हो जाएगी तो भारत की प्रतिरक्षा प्रणाली कई गुना शक्तिशाली हो जाएगी, जिसका चीन की प्रतिरक्षा पर भारी दबाव होगा, तब चीन को राफेल की काट में बेहद खर्चीले उपाय करने होंगे, साथ ही पाकिस्तान के लिए भी और बड़ा खतरा बढ़ जाएगा, ऐसी स्थिति में चीन को पाकिस्तान की रक्षाक्षेत्र में मदद का बोझ उठाना और भी मुश्किल हो जाएगा। गौरतलब है कि चीन की नीति पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की तो है, चीन उसके पूरे सामरिक क्षेत्रों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना भी चाहता है, लेकिन साथ ही चीन यह भी चाहता है कि पाकिस्तान फटेहाल स्थिति में ही रहे, ताकि उसकी कमजोरियों के लाभ मिलते रहें। इस मामले में पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से बड़ा कोई उदाहरण नहीं है, जिसपर चीन ने पूरा कब्जा कर लिया है, जिसका पाकिस्तान की जनता में भी विरोध शुरु हो गया है। ग्वादर बंदरगाह पर पाकिस्तान का चुप रहकर चीन की गुलामी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। 

चीन पाकिस्तान को झांसे में लिए है कि वह भारत से युद्ध पर उसकी मदद करेगा, लेकिन अब पाकिस्तान सरकार और उसके हुक्मरान जान रहे हैं कि भारत की रक्षा प्रणाली ‌को राफेल से बड़ी ताकत मिल गई है, जिससे वह चीन की सहायता से शशंकित है और भारत के संभावित प्लान से भी घबराया हुआ है। चीन ने भारत में भी अपनी गोटियां बिछाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी है। उसने कांग्रेस ही नहीं बल्कि दूसरे गैरभाजपा दलों के और भी नेता पाले हुए हैं, जो भारत के प्रतिरक्षा मामलों में मोदी सरकार के फैसलों पर गैरों से भी ज्यादा तीखे हमले करते हैं। राफेल के मामले में विपक्ष ने जो नकारात्मक भूमिका निभाई उससे राफेल डील तो नहीं टल पाई अलबत्ता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित और भी कई नेताओं का पर्दाफाश जरूर हो गया है। इसी प्रकार चीन भारत के पड़ोसियों नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं भूटान को पाकिस्तान की तरह भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश करता आ रहा है। लेह और लद्दाख में चीन के प्रोपेगंडा से प्रभावित ये देश  सोच रहे थे कि भारत चीन के सामने टूट जाएगा, वे चीन के सामने भारत की शक्ति के प्रति बहुत ही शशंकित होते आए हैं, लेकिन लद्दाख में भारत की दृढ़ता और प्रतिरक्षा क्षेत्र में फ्रांस से हुई इस सफल रक्षा डील से कांग्रेस के साथ चीन और पाकिस्तान गठजोड़ की सारी कहानी ही उलट गई है। 

उल्‍लेखनीय है कि भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपए का करार किया था। राफेल युद्धक विमान 1900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसके भार ढोने की अधिकतम क्षमता 24500 किलोग्राम है, जबकि उसमें ईंधन क्षमता 4700 किलोग्राम है। राफेल की अधिकतम रफ्तार 2200 से 2500 तक किलोमीटर प्रतिघंटा है और इसकी मारक रेंज 3700 किलोमीटर दायरे में है। राफेल में घातक एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर, एमबीडीए अपाचे, स्टोर्म शैडो एससीएएलपी मिसाइलें लगी हैं। राफेल में थाले आरबीई-2 रडार और थाले स्पेक्ट्रा वारफेयर सिस्टम लगा है, ऑप्ट्रॉनिक सेक्योर फ्रंटल इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक सिस्टम भी है। यह 30 एमएम की तोप से 2500 राउंड गोले दाग सकता है। यह 300 किलोमीटर की रेंज से हवा से जमीन पर हमला करने और 9.3 टन वजन के साथ 1650 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसमें 14 हार्ड प्वाइंट के जरिये भारी हथियार भी गिराने की क्षमता है। राफेल पायलेट टीम का नेतृत्व ग्रुप कैप्‍टन हरकीरत सिंह ने किया। उनकी विंग कमांडर पत्‍नी भी अंबाला एयरफोर्स स्‍टेशन में ही कायर्रत हैं, उन्होंने हाथ में पानी का कलश लेकर उनका स्वागत किया।

नरेंद्र मोदी सरकार का राफेल का विरोधियों कांग्रेस और विपक्ष एवं चीन पाकिस्तान को तगड़ा जवाब है। चीन पाकिस्तान और अन्य कई देशों में राफेल का भारत में आना गूगल और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर ज़बरदस्त ट्रेंड कर रहा है। भारत में मीडिया और सोशल मीडिया पर भारत की प्रतिरक्षा में राफेल की मारक शक्ति और नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले के प्रति गहरा विश्वास दर्शाया जा रहा है। राफेल लड़ाके जब फ्रांस से भारत के लिए उड़ान भरे तभी से देश-विदेश के मीडिया और सोशल मीडिया पर भारत में राफेल आने और चीन और पाकिस्तान में बौखलाहट की ख़बरें चल रही हैं। इस विषय पर टीवी चैनलों पर रक्षा विशेषज्ञों और कूटनीतिक टीकाकारों के विश्लेषणों की श्रृंखलाओं के निष्कर्ष कहते हैं कि अपनी प्रतिरक्षा पर बहुत गंभीर और एक जिम्मेदार राष्ट्र है, कभी आलोचनाओं से भर दिए गए राफेल खरीद के फैसले की आज सब तरफ प्रशंसा हो रही है और दुश्मन राष्ट्रों में चिंता व्याप्त हो गई है तो यह मोदी सरकार की बड़ी रणनीतिक सफलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना कि राष्ट्र की रक्षा से बढ़कर कोई यज्ञ नहीं है, वास्तव में एक शासनकर्ता के रूपमें देश को सुरक्षित और संरक्षित रखने के ‌देशवासियों में उनके विश्वास को दृढ़ता प्रदान करता है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने राष्ट्र की सुरक्षा में हथियारों के महत्व और आवश्यकता पर कहा है-
जहां शस्‍त्रबल नहीं, शास्‍त्र पछताते-रोते हैं,
ऋषियों को भी सिद्धि तभी मिलती है तप में,
जब पहरे पर स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते हैं।।

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