राजस्थान में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। पहले राजभवन ने अशोक गहलोत के द्वारा राज्यपाल को दी गई विधानसभा का सत्र बुलाने के प्रस्ताव को संसदीय कार्य विभाग को वापस लौटा दिया गया। उसके बाद, राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेसी विधायकों को जारी अयोग्यता के नोटिसों पर अपना फैसला टालने के लिए कहा था।
सुप्रीम कोर्ट में सीपी जोशी का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि राजस्थान हाई कोर्ट ने 24 जुलाई को एक नया आदेश पारित किया, जिसमें 10 वीं अनुसूची की व्याख्या सहित कई अन्य मुद्दे उठाए गए थे। सिब्बल ने कहा कि वे कानूनी विकल्पों की तलाश करेंगे। साथ ही यह भी कहा कि शुक्रवार के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी जा सकती है।
राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के गुट की याचिका पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी पर सोमवार सुबह 11 बजे सुनवाई होनी थी। राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने शिकायत की थी कि हाई कोर्ट का आदेश उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच सोमवार सुबह 11 बजे सुनवाई करने वाली थी, उससे पहले सीपी जोशी ने याचिका वापस ले ली। राजस्थान हाई कोर्ट ने सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता के नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखने का शुक्रवार को आदेश दिया था।
इससे पहले
राजस्थान में बड़ा सियासी घटनाक्रम हुआ है। राजभवन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा राज्यपाल कालराज मिश्रा को विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए दिए गए प्रस्ताव को संसदीय कार्य विभाग को वापल लौटा दिया है। राभवन की तरफ से कुछ और जानकारी मांगी गई है। विधानसभा सत्र पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
आपको बता दें कि सचिन पायलट और 18 अन्य उनके समर्थक विधायकों के बागी होने के बाद राजस्थान कांग्रेस में अभी तक सियासी संकट बरकरार है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से फौरन विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर राज्यपाल की तरफ से मंजूरी नहीं मिलने के बाद एक तरफ जहां गहलोत ने धमकी देते हुए यहां तक कह दिया कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो लोग राजभवन का घेराव करने आ जाएंगे। वहीं कांग्रेस कह रही है कि राज्यपाल केन्द्र में ‘मालिक’ के इशारे पर काम कर रहे हैं।
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