कहते हैं न कि विनाशकाले विपरीत बुध्दि कुछ यही हाल आजकल चीन का हो गया है तभी वो अपनी सामंतवादी सोच को बढ़ाने के लिए अपने पड़ोसी देशो के साथ मनमानी करने में लगा है। हालांकि अब उसके इस रवैया के चलते विश्व के तमाम देश चीन के खिलाफ होते जा रहे हैं। अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी के बाद अब जापान ने भी चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़े होने का ऐलान किया है।
जापान ने भी चीन के खिलाफ खोला मोर्चा
लद्दाख में भारतीय जमीन पर कब्जा करने के फिराक में लगे चीन के खिलाफ अब जापान भी भारत के साथ खड़ा हो गया है। जापान ने कहा है कि वह नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने वाली किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध करता है। जापान ने भारत के प्रयासों की सराहना की है और आशा जताई कि इस पूरे मुद्दे का शांतिपूर्वक समाधान होगा जापान के भारत में दूत संतोषी सुजुकी ने भारतीय विदेश सचिव एचवी श्रींगला से मुलाकात के बाद यह बयान जारी किया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मेरी विदेश सचिव एचवी श्रींगला से अच्छी बातचीत हुई है। एलएसी पर श्रींगला की ओर से दी गई जानकारी की और भारत सरकार के शांतिपूर्व समाधान के प्रयासों की मैं प्रशंसा करता हूं। जापान आशा करता है कि इस विवाद का शांतिपूर्वक समाधान होगा। जापान यथास्थिति को बदलने की किसी भी कार्रवाई का विरोध करता है।’ गौरतलब है कि चीन जापान के एक टापू पर अपना अधिकार बताकर जापान की सीमा में घुसने का कोशिश करता रहता है हालाकि जापान कई बार चीन के इस रवैये को लेकर सख्त चेतावनी दे चुका है।
UN में नही मिला चीन को दुनिया का साथ
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब उसके एक प्रेस वक्तव्य को अमेरिका ने अंतिम क्षणों अपनी आपत्ति जताकर उसे रुकवा दिया। दरअसल चीन ने सोमवार को कराची स्टॉक एक्सचेंज में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए भारत के खिलाफ अपनी यह चाल चली थी। लेकिन उसके इस प्रस्ताव पर दो अलग-अलग देशों द्वारा आपत्ति जताने से उसको झटका लगा है। इस प्रेस वक्तव्य में देरी कराने वाला अमेरिका दूसरा देश था। उससे पहले जर्मनी ने मंगलवार को इस स्टेटमेंट को जारी होने से कुछ मिनट पहले अपनी आपत्ति जता कर रोक दिया था। दोनों देशों का यह कदम भारत के साथ उनके मजबूत रिश्तों की ओर एक शांत इशारा है। इतना ही नही इससे पहले यूरोप के कई देश भारत के साथ खड़े दिख रहे हैं तो आस्ट्रेलिया सहित रूस भी भारत को हर तरह की सहायता करने के लिए तैयार दिख रहा है। रूस ने तो चीन के मना करने के बाद भी भारत को तय समय पर एस 400 मिसाइल देने की हामी भर दी है। जो ये बताता है कि इस वक्त भारत का विश्व के देशों के साथ किस तरह का सबंध है
बहरहाल जिस तरह से चीन दुनिया में मुंह की खा रहा है। दूसरी तरफ हमारे प्रधान मोदी जी ने भी साफ कर दिया है कि दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब दिया जायेगा, जिसमें उसको समझ में आता हो। इसके साथ पीएम की लद्दाख यात्रा ने ये भी साफ कर दिया कि इस बार भारत झुकने वाला नही बल्कि झुकाकर दम लेने वाला है। ऐसे में लगता यही है कि चीन चारो तरफ से फंस चुका है और उसे बचना है तो वो मित्रता से ही बच सकता है।
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