‘डोकलाम’ जैसा एक और संकट टल गया’, चीन ने लद्दाख में चल रहे तकरार में मानी अपनी हार, Global Times ने की औपचारिक घोषणा
ऐसा लगता है कि एक महीने के स्टैंड ऑफ के बाद चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपनी हार मान ली है। ये हम नहीं बल्कि चीन की सरकारी मीडिया के रुख से पता चल रहा है क्योंकि अचानक से अब ग्लोबल टाइम्स शांति और समझौते की बात कर रहा है।
दरअसल, ग्लोबल में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसका टाइटल था “China-India border talks prevent another ‘Doklam’ but standoff unlikely to end immediately: experts”। यानि टाइटल पढ़ कर ही यह समझ में आ रहा है कि ग्लोबल टाइम्स ने चीन के हार की घोषणा कर दी है।
बता दें कि चीन की PLA यानि People’s Liberation Army ने लद्दाख क्षेत्र के गैलवान घाटी और पैंगोंग त्सो लेक (Pangong Tso Lake) के आस पास अपनी सेना के आर्टिलरी तथा इनफ़ेंट्री की गाड़ियों सहित कैंप लगा दिया था। इसके बाद भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन के बराबर ही अपनी सेना का भी कैंप लगा दिया जिसके बाद बार्डर पर मामला बराबरी का हो गया था।
उसके बाद से चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स लगातार भारत को डराने वाले लेख प्रकाशित करता रहा और चीनी सेना का बखान करता रहा। परंतु जब से कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई तब से मामला पलटने लगा है।
पहले तो शी जिंपिंग को लेफ्टिनेंट जनरल की मीटिंग से पहले ही Western Theatre Command के एक कमांडर को हटाना पड़ा जिससे यह स्पष्ट हो गया गया कि चीन अब झुक चुका है। उसके बाद जब मीटिंग हो गयी तो चीन की यह मीडिया शांत पड़ गयी। किसी भी प्रकार का न तो लेख प्रकाशित हुआ और न ही अपनी सेना की बड़ाई की। यही नहीं चीन ने अपने सोशल मीडिया से इस स्टैंड ऑफ के बारे में हुई सभी बातचीत को ही हटा दिया।
चीन के मुखपत्र की तरह काम करने वाले ग्लोबल टाइम्स ने पहले तो अपनी सेना को लेकर एक वीडियो जारी किया था, लेकिन अब यही मीडिया भारत से शांति की बात कर रही है। इस मीडिया हाउस ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार लिखा है कि वे चाहते हैं कि विवाद को न बढ़ाया जाए, सीमावर्ती क्षेत्रों में एक साथ शांति बनाए रखें और स्वस्थ द्विपक्षीय संबंधों के स्थिर विकास के लिए एक अच्छा माहौल बनाया जाए।
यही नहीं ग्लोबल टाइम्स ने तो यहाँ तक लिखा है कि ‘भारत-चीन के सेना के अधिकारियों के बीच शनिवार को बातचीत के बाद ‘डोकलाम’ जैसा एक और संकट टल गया’। एक अज्ञात विशेषज्ञ का हवाला देते हुए इस लेख में लिखा गया है कि डोकलाम के बाद दोनों देशों ने कई स्तर पर द्विपक्षीय द्वार बनाए हैं जिससे फिर से डोकलाम जैसी स्थिति न उत्पन हो।
यहाँ यह स्पष्ट पता चल रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अभी तक 2017 में हुई उस बेइज्जती को नहीं भूली है। इस बार चीन यह कह रहा है कि यह मामला डोकलाम जैसा नहीं है। वास्तव में इस बार चीन की हालत पिछली बार से भी बुरी है और वह विश्व को यह नहीं बताना चाहता है। इस बार चीन कई मोर्चो पर विरोध का सामना कर रहा है, पहले तो कोरोना और फिर हाँग-काँग के मामले पर पूरी दुनिया चीन के खिलाफ हो चुकी है।
अब भले ही भारत के साथ शांति का दिखावा कर ग्लोबल टाइम्स एक दूसरा नैरेटिव तैयार करने की सोच रहा है जिससे चीन की बेइज्ज़ती न हो। अपने एक लेख में इसने यह तक दावा किया है कि दोनों देश यानि चीन और भारत यह समझते हैं कि अमेरिका जानबूझकर भारत को उकसा रहा है।
ग्लोबल टाइम्स का इस तरह से भारत का अमेरिका के प्रलोभन में न फंसने की बात करना दिखाता है कि चीन ने लद्दाख में अपनी हार मान ली है। आखिर होना तो यही था।
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