सोनिया मनमोहन सरकार में हुए एक और कांड में FIR दर्ज,अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह और 20,880 करोड़ क्रेडिट सैंक्शन,बिना गारंटी

वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) के खिलाफ सीबीआई (CBI) ने भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज किया है. आरोप है कि धूत ने मोजांबिक (Mozambique) में अपनी तेल व गैस कंपनियों की फाइनेंसिंग में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर गड़बड़ी की है. सीबीआई ने धूत के खिलाफ ये मामला तेल मंत्रालय की शिकायत पर दर्ज किया है. शुरुआती जांच में पता चला है कि 2008 में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (VIL) के मालिकाना हक वाली कंपनी वीडियोकॉन हाइड्रोकार्बन्स होल्डिंग लिमिटेड (VHHL) ने मोजांबिक के ऑयल एंड गैस गैस ब्लॉक (रोवुमा एरिया 1 ब्लॉक) में 10 फीसदी पार्टिसिपेटिंग इंट्रेस्ट (PE) खरीदे.

CBI ने वीडियोकॉन ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर वेणुगोपाल धूत के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नेतृत्व वाले भारतीय सरकारी बैंकों के समूह को तगड़ा वित्तीय नुकसान पहुँचाया है। वीडियोकॉन को गलत तरीके से लाभ पहुँचाने के मामले में धूत के अलावा कम्पनी के अन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी जाँच शुरू कर दी गई है।

इससे पहले वीडियोकॉन लोन मामले में चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस केस की खासी चर्चा भी हुई थी। धूत के ख़िलाफ़ अब भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है, जो लोन मामले में पहले से ही कोचर दम्पति के साथ आरोपित हैं। सीबीआई ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय एवं एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम के अधिकारियों के खिलाफ जाँच करने के बाद वेणुगोपाल धूत के विरुद्ध FIR दर्ज की।

CBI ने अपनी जाँच के दौरान पाया है कि 2008 में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज की ही कम्पनी वीडियोकॉन हाइड्रोकार्बन होल्डिंग लिमिटेड (VHHL) ने मोजम्बिक में अमेरिकी कंपनी अनादारको से रोउमा क्षेत्र में गैस ब्लॉक में 10% की हिस्सेदारी ली। बता दें कि तब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-1 की सरकार चल रही थी। बाद में इसे ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने जनवरी 2014 में खरीद लिया था।

Chetan Bhutani

✔@BhutaniChetan

#BREAKING CBI registers FIR against Videocon chief Venugopal Dhoot. Also registers a case against ONGC Videsh, Oil India Ltd, Petroleum Ministry officials, consortium of banks including SBI, IDBI, ICICI Bank for allegations on fraud
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21:21 – 23 Jun 2020
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अप्रैल 2012 में एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह ने मोजम्बिक, ब्राजील और इंडोनेशिया में अपने तेल एवं गैस परिसंपत्तियों के विकास के लिये ‘स्टैंडबाय लेटर ऑफ क्रेडिट’ (एसबीएलसी) सुविधा प्रदान की थी। उसे 2773.60 मिलियन डॉलर का एसबीएलसी दिया गया। इसमें से 1103 मिलियन डॉलर की एसबीएलसी फैसिलिटी को रीफाइनेंस किया गया, जिसमें से 400 मिलियन डॉलर स्टैंडर्स चार्टर्ड बैंक (एससीबी) लंदन को चुकाए गए।

तब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-2 की सरकार चल रही थी और सोनिया गाँधी उस सरकार की सर्वेसर्वा हुआ करती थीं। जाँच के अनुसार, एसबीआई के नेतृत्व में लोन देने वाले बैंकों के कई अधिकारियों ने धूत के साथ साजिश रच कर वीएचएचएल को एससीबी से लगातार लाभ पहुँचाया।

यह भी आरोप है कि फरवरी 2013 में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने बैंकों के समूह को बताया था कि एससीबी लोन 530 मिलियन डॉलर अतिरिक्त हो गया है, इसलिए इस लोन को चुका कर तेल और गैस संपत्ति का अधिग्रहण कर लिया जाए।

सीबीआई के अनुसार, बैंकों के समूह ने बिना किसी छानबीन के ही बढ़ी हुई धनराशि मँजूर कर दी। कुल मिला कर लगभग 20,880 करोड़ रुपए के क्रेडिट सैंक्शन किए जाने का यह मामला है।


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