बाबा रामदेव की कोरोना की दवा के खिलाफ साजिशें शुरू, विदेशी दवाई कंपनियों व् मीडिया पर लगे साजिश में शामिल होने के आरोप, देखिये कौन हैं वो ताकतें जो खरबों कमाने के चक्कर में लगी हैं साजिशों में !!

– बीमारों का इलाज एक बड़ा धंधा बन चुका है, खासतौर पर विदेशी कंपनियों के लिए, जिसमे लालच के कारण कई भारतीय कंपनियों के शामिल होने की ख़बरें भी सामने आती रही हैं. कोरोना जब से फैला, तभी से दवाई कंपनियों की आँखें चमक गयी थी, सभी होड़ में लग गयी कि कौन पहले बना ले और खरबों रुपये बटोर ले. इसमें अमेरिका से लेकर इजराइल व् कई भारतीय कंपनियां भी शामिल थी. मगर सबको धता बताते हुए स्वामी रामदेव व् आचार्य श्री बालकृष्ण ने आयुर्वेद के जरिये कोरोना को ना केवा ठीक कर लिया बल्कि उनकी दवाई से एक हफ्ते में ही सौ फ़ीसदी मरीज ठीक हो गए.

– सोचिये, एलोपैथिक इलाज हो रहा है दुनिया भर में और सभी विकसित देशों में लाशों के ढेर लगे हैं. मगर भारत के एक ऋषि ने दवाई बना ली, सबसे सस्ती, हर्बल यानी जड़ी बूटी से बनी हुई. खरबों कमाने का सपना चूरचूर हो गया, लिहाजा अब लॉबी उनके पीछे पड़ गयी है. तरह-तरह से उन्हें परेशान करके किसी तरह से दवाई को लोगों तक पहुंचने से रोकने की साजिश चल रही है.

– ये लाइसेंस नहीं लिया, वो रिपोर्ट नहीं जमा करवाई, इस तरह के तरह-तरह के आरोप लगाकर उनकी दवाई को रोकने की साजिश है ताकि अन्य दवाई कंपनियां महंगे दामों पर अपनी जहरीली दवाइयां बेच कर खरबों कमा सकें. मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी इस साजिश में शामिल बताया जा रहा है. देखना होगा मोदी सरकार ऐसे तत्वों के खिलाफ क्या एक्शन लेती है. आगे देखिये कैसे आरोप लगाए जा रहे हैं

अहियापुर थाना क्षेत्र के भीखनपुर निवासी तमन्ना हाशमी ने ठगी-धोखाधड़ी को लेकर सीजेएम कोर्ट मे परिवाद दायर कराया है। इसमें उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान के संयोजक स्वामी रामदेव, पतंजलि संस्था के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण को आरोपित बनाया है।

– तमन्ना हाशमी ने शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि आरोपित ने कोरोना वायरस बीमारी से बचाव के लिए एक दवा ‘क्रोनील’ टेबलेट बनाने का दावा किया है। इसमें भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इनकी दवा के प्रचार पर रोक लगाते हुए ‘क्रोनील’ दवा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। आरोपितों ने आयुष मंत्रालय को बिना जानकारी दिए इस दवा को बनाया है।

शिकायत पत्र में कहा है कि आरोपितों ने ‘क्रोनील’ दवा को बनाकर आयुष मंत्रालय के साथ-साथ देश को ठगने का काम किया है। आरोपित ने घातक और नुकसानदेह कदम उठाया है। इससे देश के लाखों लोगों की जान का भविष्य में खतरा हो सकता है।

बता दें कि आयुष मंत्रालय ने भी पतंजलि से पूछा कि कोरोनिल दवा को बनाने में किन तत्वों का इस्तेमाल किया गया। मंत्रालय ने पूछा, जहां दवा पर रिसर्च किया गया, उस जगह का नाम, हॉस्पिटल का नाम, प्रोटोकॉल, सैंपल साइज क्या था, पूरी जानकारी दें। मंत्रालय ने संस्थागत आचार समिति की मंजूरी, सीटीआरआई रजिस्ट्रेशन और अध्ययन के नतीजों का डेटा भी मांगा है। 

मंत्रालय के सवाल पर पंतजलि के योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा, हमने मंजूरी लेकर ही क्लीनिकल ट्रायल किया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन और गौरव देने वाली है। जो कम्युनिकेशन गैप था वह दूर हो गया है। Randomised Placebo Controlled Clinical Trials के जितने भी स्टैंडर्ड पैरामीटर्स हैं उन सबको 100% पूरा किया गया है। इसकी सारी जानकारी हमने आयुष मंत्रालय को दे दी है।



दरअसल पतंजलि एक स्वदेशी कंपनी है और स्वामी रामदेव व् आचार्य बालकृष्ण मुनाफे का एक भी पैसा खुद के लिए नहीं रखते बल्कि देश के कल्याण के लिए ही खर्च कर देते हैं. उनकी दवाइयां बेहद सस्ती भी होती हैं, दूसरी ओर अन्य दवाई कंपनियां इस दवाई को पहले बनाकर मोटा मुनाफ़ा कमाने की रेस में लगी हैं, ये कंपनियां जानती हैं कि लोग इस दवाई के मुहमांगे दाम देने को भी तैयार हैं. ऐसे में मीडिया के एक धड़े को साथ मिलाकर स्वामी रामदेव को बदनाम करने व् उनकी दवाई को रोकने की बड़ी साजिश की जा रही है, जिसे रोकना देशहित में बेहद जरूरी है.

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