“भारत आओ साथ मिलकर चीन को तबाह करते हैं” चीन के खिलाफ लड़ाई में US और ऑस्ट्रेलिया ने मांगा भारत से समर्थन
इसी महीने WHO में भारत को बड़ा पद मिलने वाला है
जैसे-जैसे दुनियाभर के देश चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी करने में जुटे हैं, वैसे ही अब दुनिया के बड़े देश भारत पर भी चीन के खिलाफ कडा रुख अपनाने का दबाव बना रहे हैं। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश भारत से अनुरोध कर रहे हैं कि चीन के खिलाफ लड़ाई में भारत को भी उनका साथ देना चाहिए।
इसका एक पहलू यह भी है कि भारत को इस महीने के अंत तक WHO के executive बोर्ड में जगह मिलने वाली है और WHO के प्रशासन के लिहाज से इस पद को बड़ा अहम माना जाता है। अमेरिका ने भारत को कहा है कि भारत को इस पद का इस्तेमाल करते हुए चीन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया ने साथ देने का किया था अनुरोध
कुछ दिनों पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन के बीच फोन पर बात हुई थी, और तब मॉरिसन ने PM मोदी से चीन के खिलाफ लड़ाई में ऑस्ट्रेलिया का साथ देने का अनुरोध किया था।
ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि नई दिल्ली को “एक बढ़िया साझेदार और लोकतन्त्र” होने के नाते कैनबरा का साथ देना ही चाहिए”। 22 अप्रैल को एक भाषण में भारत में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फारेल भी इस बात को कह चुके हैं कि कोरोना महामारी के समय भारत और ऑस्ट्रेलिया को साथ मिलकर काम करना चाहिए।
चीन की धमकियों के बावजूद ऑस्ट्रेलिया का रुख सख्त
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन अभी हाथ धोकर चीन के पीछे पड़े दिखाई देते हैं। वे चीन की धमकियों के बावजूद वुहान वायरस के लिए चीन की जांच करने की मांग कर रहे हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है और चीन ने ऑस्ट्रेलिया को आर्थिक बहिष्कार करने तक की धमकी दे रखी है, लेकिन फिर भी ऑस्ट्रेलिया पीछे नहीं हट रहा है और अब वह भारत का भी साथ चाहता है। चीन को ललकारते हुए स्कॉट मॉरिसन ने हाल ही में कहा था “उनकी सरकार निश्चित रूप से वह सभी कार्रवाई करेगी जो उचित होगी। अब पूरी दुनिया सच जानना चाहती है और इस महामारी का स्वतंत्र मूल्यांकन करना चाहती है, जिससे हम सबक सीख सकें और फिर भविष्य में इसे दोबारा होने से रोक सकते हैं।”
उधर अमेरिका भी चाहता है कि भारत WHO में मिलने वाले अहम पद का भरपूर इस्तेमाल चीन के खिलाफ करे। अभी चीन पर इस वायरस को छुपाने के आरोप लग रहे हैं और WHO पर भी चीन की तरफदारी करने के ही आरोप लगे हैं। ऐसे में अमेरिका चाहता है कि भारत WHO के काम में ना सिर्फ पारदर्शिता लेकर आए बल्कि, चीन को भी एक्सपोज करे।
WHO में कई सुधार की मांग
26 मार्च को हुए जी 20 की बैठक में भारत के पीएम यह पहले भी कह चुके हैं कि WHO में कई सुधार करने की ज़रूरत है और इसमें पारदर्शिता लाने के लिए सभी देशों को काम करना होगा। ऐसे में अब इस बात के अनुमान बढ़ गए हैं कि जब WHO में इस महीने के अंत में भारत को अहम पद मिलेगा, तो भारत उन सुधारों को लागू करने की दिशा में कई बड़े कदम उठा सकेगा।
चीन को सबक सिखाना है तो सब देशों को एक साथ आना ही होगा, और चूंकि भारत भी आर्थिक और सैन्य तौर पर दुनिया के चुनिन्दा ताकतवर देशों में गिना जाता है, तो भारत की भूमिका इसमें और अहम हो जाती है। भारत ने अब तक खुलकर चीन के खिलाफ कोई भी बयान नहीं दिया है, अगर भारत ऐसा करता है तो चीन पर बड़ा दबाव बनना तय है, क्योंकि इससे पहले यूरोप भी चीन का साथ छोड़ता दिखाई दे रहा है। भारत को चीन के खिलाफ लड़ाई में बेशक ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का साथ देना ही चाहिए, यही सही समय है चीन को उसके किए पापों की सजा देने का!
जैसे-जैसे दुनियाभर के देश चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी करने में जुटे हैं, वैसे ही अब दुनिया के बड़े देश भारत पर भी चीन के खिलाफ कडा रुख अपनाने का दबाव बना रहे हैं। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश भारत से अनुरोध कर रहे हैं कि चीन के खिलाफ लड़ाई में भारत को भी उनका साथ देना चाहिए।
इसका एक पहलू यह भी है कि भारत को इस महीने के अंत तक WHO के executive बोर्ड में जगह मिलने वाली है और WHO के प्रशासन के लिहाज से इस पद को बड़ा अहम माना जाता है। अमेरिका ने भारत को कहा है कि भारत को इस पद का इस्तेमाल करते हुए चीन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया ने साथ देने का किया था अनुरोध
कुछ दिनों पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन के बीच फोन पर बात हुई थी, और तब मॉरिसन ने PM मोदी से चीन के खिलाफ लड़ाई में ऑस्ट्रेलिया का साथ देने का अनुरोध किया था।
ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि नई दिल्ली को “एक बढ़िया साझेदार और लोकतन्त्र” होने के नाते कैनबरा का साथ देना ही चाहिए”। 22 अप्रैल को एक भाषण में भारत में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फारेल भी इस बात को कह चुके हैं कि कोरोना महामारी के समय भारत और ऑस्ट्रेलिया को साथ मिलकर काम करना चाहिए।
चीन की धमकियों के बावजूद ऑस्ट्रेलिया का रुख सख्त
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन अभी हाथ धोकर चीन के पीछे पड़े दिखाई देते हैं। वे चीन की धमकियों के बावजूद वुहान वायरस के लिए चीन की जांच करने की मांग कर रहे हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है और चीन ने ऑस्ट्रेलिया को आर्थिक बहिष्कार करने तक की धमकी दे रखी है, लेकिन फिर भी ऑस्ट्रेलिया पीछे नहीं हट रहा है और अब वह भारत का भी साथ चाहता है। चीन को ललकारते हुए स्कॉट मॉरिसन ने हाल ही में कहा था “उनकी सरकार निश्चित रूप से वह सभी कार्रवाई करेगी जो उचित होगी। अब पूरी दुनिया सच जानना चाहती है और इस महामारी का स्वतंत्र मूल्यांकन करना चाहती है, जिससे हम सबक सीख सकें और फिर भविष्य में इसे दोबारा होने से रोक सकते हैं।”
उधर अमेरिका भी चाहता है कि भारत WHO में मिलने वाले अहम पद का भरपूर इस्तेमाल चीन के खिलाफ करे। अभी चीन पर इस वायरस को छुपाने के आरोप लग रहे हैं और WHO पर भी चीन की तरफदारी करने के ही आरोप लगे हैं। ऐसे में अमेरिका चाहता है कि भारत WHO के काम में ना सिर्फ पारदर्शिता लेकर आए बल्कि, चीन को भी एक्सपोज करे।
WHO में कई सुधार की मांग
26 मार्च को हुए जी 20 की बैठक में भारत के पीएम यह पहले भी कह चुके हैं कि WHO में कई सुधार करने की ज़रूरत है और इसमें पारदर्शिता लाने के लिए सभी देशों को काम करना होगा। ऐसे में अब इस बात के अनुमान बढ़ गए हैं कि जब WHO में इस महीने के अंत में भारत को अहम पद मिलेगा, तो भारत उन सुधारों को लागू करने की दिशा में कई बड़े कदम उठा सकेगा।
चीन को सबक सिखाना है तो सब देशों को एक साथ आना ही होगा, और चूंकि भारत भी आर्थिक और सैन्य तौर पर दुनिया के चुनिन्दा ताकतवर देशों में गिना जाता है, तो भारत की भूमिका इसमें और अहम हो जाती है। भारत ने अब तक खुलकर चीन के खिलाफ कोई भी बयान नहीं दिया है, अगर भारत ऐसा करता है तो चीन पर बड़ा दबाव बनना तय है, क्योंकि इससे पहले यूरोप भी चीन का साथ छोड़ता दिखाई दे रहा है। भारत को चीन के खिलाफ लड़ाई में बेशक ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का साथ देना ही चाहिए, यही सही समय है चीन को उसके किए पापों की सजा देने का!
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