‘हलाल सर्टिफिकेशन बंद करो या धार्मिक सर्टिफिकेट दो’ Food Industry में मुस्लिम घुसपैठ के खिलाफ स्वामी का हमला

हिंदू दुकानदारों को भी कानूनन मान्यता मिलनी चाहिए

अभी कुछ दिनों पहले चेन्नई पुलिस ने एक झूठी शिकायत के आधार पर एक जैन बेकरी मालिक को कई संगीन धाराओं के अंतर्गत गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार सिर्फ इसलिए क्योंकि उसने कथित रूप से एक विज्ञापन निकाला कि वे शुद्ध धार्मिक खाना बनाते हैं, और वे कोई मुस्लिम स्टाफ को नहीं नियुक्त करते हैं।

इस कार्रवाई पर देशभर में आक्रोश उमड़ पड़ा और लोगों ने धर्म के आधार पर भोजन को चिन्हित करने की कुप्रथा में हलाल सर्टिफिकेशन को खुली छूट देने के लिए तथाकथित सेक्युलर बुद्धिजीवियों को खरी खोटी भी सुनाई –


Me
@semubhatt
 · 10 मई 2020
@semubhatt को जवाब दिया जा रहा है
Worse Hinduphobia is on display round the year, but nobody gives a damn. During Delhi riots, no fake news peddlers were arrested for 'intent to breach peace'. No action against those who put Indians in Islamic nations at risk over their views.https://twitter.com/semubhatt/status/1259516186510811137?s=19 …
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@semubhatt
@semubhatt को जवाब दिया जा रहा है
A case of malicious intention to outrage religious feelings and intent to breach peace has been registered against the bakery owner for advertising no Muslim staff. Islamophobic, yes, but how does it qualify as an intent to breach peace?https://www.ndtv.com/chennai-news/bakery-owner-arrested-for-advertising-discriminating-muslims-2226274 …

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@semubhatt
A private business has the right to decide who s/he employs. But as we rarely care about the rights of a private business or property, let me ask what we all understand well: Why such hounding of a person belonging to a micro minority community? https://twitter.com/semubhatt/status/1259517469565173764?s=19 …
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@semubhatt
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Worse Hinduphobia is on display round the year, but nobody gives a damn. During Delhi riots, no fake news peddlers were arrested for 'intent to breach peace'. No action against those who put Indians in Islamic nations at risk over their views.https://twitter.com/semubhatt/status/1259516186510811137?s=19 …
14
9:55 pm - 10 मई 2020
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अब हिन्दुओं के अधिकारों के लिए लडने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने स्वयं मामला हाथ में लेते हुए धार्मिक फूड सर्टिफिकेशन की मांग की है। सुब्रमण्यम स्वामी के कानूनी सहायक एवं सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता इश्करण सिंह भंडारी ने खाद्य मंत्रालय को पत्र लिखते हुए धार्मिक फूड सर्टिफिकेशन के लिए अनुमति मांगी है, क्योंकि अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को इस दिशा में समान अधिकार देता है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ” इश्करण सिंह भंडारी ने खाद्य मंत्रालय को लिखा है कि चूंकि हलाल सर्टिफिकेशन की अनुमति है, इसलिए सनातन धर्म की पद्धति पर धार्मिक सर्टिफिकेशन की भी अनुमति मांगी है। हमने टेस्ट केस के तौर पर चेन्नई के वर्तमान केस को भी प्रस्तुत किया है”।


Subramanian Swamy
@Swamy39
 Ishkaran has written to food ministry that since HALAL CERTIFICATION is allowed, so should “Dharmik Certified” be allowed for food made Sanatan Dharma norms.
       We have a test case of Chennai Police sealing a Hindu shop for declaring “dharmic” food only. Art 14 case.
49.3 हज़ार
11:09 am - 11 मई 2020
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इसी परिप्रेक्ष्य में इशकरण सिंह भंडारी ने एक 15 मिनट की वीडियो भी पोस्ट की, जहां उन्होंने बताया कि कैसे धार्मिक फूड सर्टिफिकेशन को भी हलाल सर्टिफिकेशन के तर्ज पर अनुमति मिलनी चाहिए।


Ishkaran Singh Bhandari
@ishkarnBHANDARI
 Halal Certified allowed by Govt. Now allow “Dharmik Certified “ for Sattvik food by Sanatan Dharmahttps://youtu.be/o3cNi7CloP0 
 YouTube ‎@YouTube

2,067
11:33 am - 12 मई 2020
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पिछले कुछ दिनों से कई सेक्युलर सरकारों ने हिन्दुओं पर बेहिसाब अत्याचार ढाए हैं। दरअसल, झारखण्ड के जमशेदपुर में कुछ हिन्दू फल विक्रेताओं के साथ सिर्फ इसलिए दुर्व्यवहार किया गया था क्योंकि उन्होंने अपनी दुकान के सामने अपने बैनर पर हिन्दू लिखने का दुस्साहस किया। पुलिस ने ना केवल उन्हें गिरफ्तार किया, अपितु उन पर राज्य की शांति भंग करने का आरोप लगाया गया।

झारखंड में जिस प्रकार से इन हिन्दू विक्रेताओं पर अत्याचार किए गए, वह सोशल मीडिया की नजरों से नहीं छुप सका। झारखण्ड पुलिस के जमशेदपुर इकाई को उनकी गुंडई के लिए आड़े हाथों लेते हुए कई ऐसे दुकानों के चित्र दिखाए, जहां साफ साफ लिखा हुआ था कि यहां हलाल योग्य वस्तु या फिर मुस्लिम समुदाय के लिए ही वस्तु मिलते हैं। उदाहरण के लिए Spaminder भारती के नाम से ट्विटर अकाउंट चलाने वाले यूज़र लिखते हैं, “क्यूं भाई, ये सब चलता है? किस आधार पर आपने उन फल विक्रेताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया? क्या इन (मुस्लिम) दुकानों के विरुद्ध एक्शन लेने की हिम्मत है?”

सच बोलें तो भोजन का एक धर्म अवश्य है। कम से कम मुस्लिमों के लिए तो है ही, और उनके पसंद को देश के 85 प्रतिशत गैर-मुस्लिम जनमानस के इच्छा के विरुद्ध उनपर थोपा जाता है।

एंड्रोइट मार्केट रिसर्च के एक स्टडी के अनुसार वैश्विक हलाल मार्केट का मूल्य करीब 4.54 ट्रिलियन डॉलर है। यदि इसकी तुलना की जाए, तो ये जर्मनी, भारत अथवा यूके की कुल जीडीपी से कहीं ज़्यादा है। 2025 तक वैश्विक हलाल मीट उद्योग का मूल्य लगभग 9.71 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिसपर मुस्लिम समुदाय का पूर्ण अधिकार होगा।

यूनाइटेड किंगडम के फूड स्टैंडर्ड एजेंसी के अनुसार, ‘हर हफ्ते ब्रिटेन के 16 मिलियन जानवरों , जिसमें 51 प्रतिशत लैम्ब, 31 प्रतिशत चिकेन, और 7 प्रतिशत बीफ – अब धार्मिक  तरीके से काटे जाते हैं, जो देश भर में मुस्लिमों की आबादी से कहीं ज़्यादा है, क्योंकि वे देश की जनसंख्या का सिर्फ 5 प्रतिशत ही है’।

हलाल मांस उद्योग ‘मुसलमान द्वारा, मुसलमानों का उद्योग है जो सबके लिए खुला है’। दुनिया में यूएसए, यूके और भारत जैसे देशों में अल्पसंख्यक होने के बाद भी मुस्लिम समुदाय ने बहुसंख्यक  समुदाय को अपने मानकों के हिसाब से भोजन परोसने पर विवश कर दिया है। ये कुछ भी नहीं, बल्कि एक प्रकार का आर्थिक जिहाद है, जहां धार्मिक इच्छा के नाम पर एक ट्रिलियन डॉलर इंडस्ट्री पर एकाधिकार जमा लिया गया है। सरल अर्थशास्त्र में भी ये बताया गया है कि किसी भी उद्योग में एकाधिकार अच्छी बात नहीं होती।

पर यहाँ तो एक ऐसा उद्योग खड़ा हुआ है जिसका मूल्य दुनिया के कुछ बड़े देशों की जीडीपी से भी ज़्यादा बड़ा है, और विडम्बना तो देखिये, अर्थशास्त्री, अधिवक्ता और बड़े बड़े एक्टिविस्ट्स इस पर चुप्पी साधे बैठे हैं। जब तक हलाल सर्टिफिकेट के जवाब में धार्मिक फूड सर्टिफिकेशन को अनुमति नहीं मिलती और जब तक छद्म धर्मनिरपेक्षता को ऐसे बढ़ावा मिलता रहेगा, तब तक इस तरह की घटनाएं सामने आती रहेंगी।

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