मरकज का एक और सच सामने आया, मौलाना साद के खिलाफ मिला एक ठोस सबूत


दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक 13 से 24 मार्च के बीच निजामुद्दीन मरकज़ (Nizamuddin Markaz) में कम से कम 16,500 लोग गए थे.  सेल फोन डेटा के यूज़ के आधार पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर और मरकज में एक्टिव मोबाइल्स के आधार पर इस संख्या का आंकलन किया गया है. मरकज़ (Markaz) में आने वाले  लोगों की संख्या को लेकर तैयार की गई इस रिपोर्ट को पुलिस ने केंद्र और राज्य सरकारों को सौंपा है.
पिछले एक महीने में  पुलिस ने कॉल डिटेल्स और सभी 16,500 लोगों की लोकेशन की जांच की है. जांच में सामने आया कि मरकज में आने वाले जमाती यहां से निकलने के बाद करीब 15,000 लोगों के संपर्क में आए थे, जबकि कुछ मरकज में ही रुके थे. जमात में शामिल हुए लोगों से मिलने वाले इन 15,000 लोगों से फोन पर संपर्क किया गया और उनसे जानकारी जुटाई गई.

पुलिस के सभी यूनिट्स इस जांच में लगे थे
इस जांच रिपोर्ट को तैयार करने में पुलिस की सभी यूनिट्स लगी थीं. ट्रैफ़िक पुलिस उन लोगों का विश्लेषण करने में लगी हुई थी जो इन 16,500 के संपर्क में आए थे. पुलिस की एक दूसरी टीम ने दूसरे समूह के सभी संवेदनशील लोगों से संपर्क किया. आर्म्ड पुलिस सिक्योरिटी ब्रांच ने भी इस रिपोर्ट के लिए जानकारिया जुटाई.

स्वास्थ्य विभाग को संदिग्ध के बारे में सूचना दी गई
जांच पूरी होने के बाद पुलिस टीम ने स्वास्थ्य विभाग को संदिग्ध मरीजों के बारे में सूचना दी. जिसके बाद इन लोगों को आइसोलेशन, क्वारंटाइन या अस्पताल में भर्ती किया गया. पुलिस की जांच के दौरान जुटाए गए इस डेटा को मौलाना साद (Maulana Saad) के खिलाफ सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाएगा.

मरकज  कम से कम 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले संक्रमण से लिंक पाया गया है. इन जमातियों की संख्या और जानकारी को छुपाया गया और इतनी बड़ी संख्या में लोगो को जमा होने दिया.

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