दिल्ली पुलिस कमिश्नर या फिर दिल्ली पुलिस महकमे ने भले ही अपने कोरोना संक्रमित अफसरों जवानों के इलाज में कोई कोर कसर बाकी न छोड़ी हो, मगर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों के कुछ अस्पतालों को इस सबसे शायद कोई लेना देना नहीं है। इसका ताजा तरीन नमूना है उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में स्थित नंद नगरी थाने के कोरोना संक्रमित एसएचओ का मामला। जिसने पोल खोलकर रखी दी कि दिल्ली में अगर किसी इंस्पेक्टर एसएचओ को इलाज के लिए घंटों इधर से उधर मारे-मारे फिरना हो रहा हो, तो बाकी आम कोरोना संक्रमितों के साथ भला क्या कुछ और कितना बदतर हो रहा होगा?
घटनाक्रम के मुताबिक, शनिवार को एसएचओ नंद नगरी को 103 डिग्री बुखार आ गया। उन्हें तुरंत थाने के पास ही स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में मगर उन्हें दाखिला नहीं मिल सका। इसी तरह एक अस्पताल से लेकर दूसरे अस्पताल तक परिवार और साथी एसएचओ को लेकर चक्कर काटते रहे। जब कहीं से मदद नहीं मिली, तो एसएचओ की बेटी ने रविवार को पीएमओ, सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया, पुलिस कमिश्नर और उत्तर पूर्वी जिला डीसीपी को टैग करते हुए ट्वीट किया।
परिजनों के मुताबिक, इसके बाद पुलिस आयुक्त कायार्लय के हस्तक्षेप के बाद एसएचओ को अस्पताल नसीब हो सका। हालांकि एसएचओ की स्थिति अभी भी स्थिर बनी हुई है। इस बारे में हांलाकि दिल्ली पुलिस ने बुधवार शाम तक कोई बयान जारी नहीं किया था और न ही यह बताया है कि आखिर एसएचओ को अस्पताल में दाखिल कराने में इतना बिलंब क्यों हुआ? इस बारे में आईएएनएस ने बुधवार शाम कई बार डीसीपी उत्तर पूर्वी जिला वेद प्रकाश सूर्या से संपर्क की कोशिश की। मगर उनसे बात नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस में सिपाही अमित राणा की कोरोना संक्रमण से मौत के बाद पुलिस मुख्यालय ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। कई स्पेशल पुलिस कमिश्नर, कई संयुक्त पुलिस आयुक्तों की तमाम टीमें कोरोना संक्रमित जवानों और उनके परिवार की मदद के लिए लगाई गयी हैं। यह अलग बात है कि एसएचओ नंद नगरी को इस तमाम लाव लश्कर के बाद भी घंटों एक अदद अस्पताल के लिए परिवार वालों और दोस्तों के सहारे इधर से उधर मारे-मारे फिरना हुआ।
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