चीन के साथ कांग्रेस का क्या रिश्ता है क्लियर करो!
दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनका मुसीबत कभी पीछा नहीं छोड़ती, उनमें में से एक कांग्रेस पार्टी के लोक सभा में नेता, अधीर रंजन चौधरी। अपने बयानों से विवाद खड़ा करने वाले अधीर रंजन आज कल राष्ट्रवादी विचारधारा अपनाए हुए हैं और यही कांग्रेस और उनके लिए मुसीबत बन रही है। कल उन्होंने चीन के खिलाफ एक ऐसा ट्वीट लिखा जिससे पूरी कांग्रेस बेचैन हो उठी और उन्हें ट्वीट डिलीट करना पड़ा। जिस तरह से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने प्रतिक्रिया दी उससे ऐसा लगा जैसे उनके ट्वीट ने कांग्रेस और चीन के सम्बन्धों को खराब कर दिया इसीलिए बाद में उन्हें मजबूर कर ट्वीट को डिलीट करवाया गया।
दरअसल, जब चीन ने लद्दाख और सिक्किम दोनों राज्यों के बार्डर पर भारतीय सेना के साथ झड़प किया उसके बाद कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने चीन को चेतावनी देते हुए ट्वीट किया कि , “चीन! सावधान हो जाओ। भारत को पता है कि तुम जैसे जहरीलों सापों के फन को कैसे कुचला जाता है। पूरी दुनिया की नजर तुम्हारी चालाकी पर है।“
उन्होंने चीन के बढ़ते कदम पर मोदी सरकार को तुरंत ताइवान से संबंध बढ़ाने का सुझाव देते हुए आगे लिखा, “मैं सरकार को अब बिना समय गंवाए ताइवान से राजनयिक संबंध स्थापित करने का सुझाव देता हूं।“
इसके बाद तो जैसे कांग्रेस पार्टी में भूचाल सा आ गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने अधीर रंजन के इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा वो ताइवान और चीन को लेकर जो कुछ भी कह रहे हैं वो कांग्रेस की राय नहीं है।
ट्वीट करने के कुछ देर बाद ही अधीर रंजन ने इसे हटा लिया था। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के नेतृत्व के तरफ से अधीर रंजन को चीन के खिलाफ न बोलने के लिए संदेश आया होगा। यह किसी से छिपा नहीं है किसी भी मामले पर कांग्रेस चीन का विरोध करती नहीं दिखाई देती। और जब अभी जब एक नेता ने चीन के खिलाफ बोलना शुरू ही किया तो उन्हें चुप करा दिया गया। यह सभी को पता है राहुल गांधी भी चीन के राजदूतों से मिलते रहते हैं।
कांग्रेस किसी भी हालत में चीन के साथ अपने संबंध नहीं खराब करना चाहती है। आज दुनिया का लगभग हर देश चीन के खिलाफ दिखाई दे रहा है लेकिन, कांग्रेस को इससे फर्क नहीं पड़ता है, उसे तो बस अपने हितों को देखना है। जो गलती जवाहरलाल नेहरू ने हिन्दी चीनी भाई भाई कर की थी और 1962 में लद्दाख के अकसाई चीन को गंवा दिया था वही कांग्रेस आज भी मानती आ रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस ने अपनी गलतियों से नहीं सीखा। परंतु आज देश 1962 वाला भारत नहीं है और चीन की हड़प नीति के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा। अब तो ताइवान ने भी भारत से मदद मांगी है और भारत जरूर ताइवान को WHO में स्थान दिलाने में मदद करेगा।
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