नई दिल्ली: भले ही कोरोना वायरस और इसके संक्रमण को लेकर चीन अब तक पूरी दुनिया के सामने झूठ बोलता आया हो लेकिन मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा झूठ बोलने वाले चीन के अब चुप होने का वक्त आ गया है. दरअसल एक जांच रिपोर्ट में चीन की घिनौनी साजिश और उसकी जानलेवा लापरवाहियों का खुलासा हुआ है. 15 पन्नों के इस अंतरराष्ट्रीय डोजियर को अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा समेत शक्तिशाली देशों के जांच संगठन 'FIVE EYES' ने तैयार किया है.
जिस दिन से दुनिया में कोरोना वायरस ने अपने पांव पसारे और लोगों को घुट-घुटकर मरने पर मजबूर कर दिया, कमोवेश उसी दिन से कई देश इस सवाल को लेकर चीन पर आरोप लगाते रहे हैं कि क्या चीन ने जानबूझकर लाखों लोगों को मरने दिया?
आखिर क्यों चीन संक्रमण की चेन में सबसे पहला देश होने के बावजूद कोरोना वायरस के प्रभाव से तेजी से उभरने में कामयाब रहा? तो आपको बता दें कि चीन और कोरोना वायरस के कनेक्शन से जुड़े सभी अनसुलझे सवालों का जवाब आखिरकार मिल गया है. कोरोना वायरस के डिजाइनर ड्रैगन की महामारी वाली साजिश का पर्दाफाश हो गया है. चीन के खिलाफ इंटरनेशनल 'चार्जशीट' तैयार हो गई है.
चीन के खिलाफ ये इंटरनेशनल चार्जशीट यानी डोजियर तैयार की गई है. अंतराष्ट्रीय स्तर की ये उच्च स्तरीय जांच करने वाले संगठन का नाम FIVE EYES है. यानी वो 5 आंखें जिनसे धरती पर होने वाली कोई भी गतिविधि ज्यादा दिनों तक छिप नहीं सकती. इसी संगठन ने कोरोना संक्रमण को लेकर चीन की साजिश और लापरवाहियों की लंबी फेहरिस्त बनाते हुए 15 पन्नों का डोज़ियर तैयार किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक चीन का कोरोना वायरस को लेकर गोपनीयता बरतना अंतरराष्ट्रीय पारदर्शिता पर हमले से कम नहीं था. डोजियर में साफ-साफ लिखा गया है कि चीन ने पहले तो कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सही तथ्य दुनिया से छिपाए. फिर उन लोगों पर भी दबाव बनाकर उन्हें चुप करा दिया या गायब कर दिया जिन्होंने कोरोना पर कुछ भी बोलने की कोशिश की. रिपोर्ट में चीन पर खुलासा किया गया है कि उसने जानबूझकर कोरोना वायरस के जुड़ी रिसर्च और सैंपल्स को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के सामने लाने में देरी की.
FIVE EYES संगठन की रिपोर्ट पूरी दुनिया में हो रही कोरोना वायरस से मौत के लिए चीन को जिम्मेदार मानती है. मानवता के खिलाफ चीन की भयंकर लापरवाही की पोल खोलती ये रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया मीडिया में लीक हो गई है जिसके बाद से चीन के खिलाफ लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा है.
चीन दुनिया के सामने दावा करता रहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से उसके नागरिकों की भी मौत हुई. उसकी भी अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा लेकिन 5 Eyes संगठन की जांच रिपोर्ट चीन के इस दावे के खिलाफ कई सवाल भी खड़े करती है. जांच के दौरान 5 Eyes की जांच टीम को ऐसे सबूत मिले कि चीन ने एक-दो नहीं बल्कि कई मौकों पर कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी दुनिया से छिपाई. वो दुनिया को एडवाइजरी जारी कर कहता रहा कि लोगों की यात्राओं पर प्रतिबंध ना लगाए जबकि उसकी स्वयं की जनता अपने देश में लॉकडाउन में रहते हुए संक्रमण से बची रही.
5 Eyes संगठन की जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि चीन की सोशल मीडिया में कोरोना वायरस के बारे में 31 दिसंबर 2019 को लेख आने शुरू हो गये थे लेकिन उसने इस पर सेंसरशिप लगा दी और खासतौर से ऐसे तमाम आर्टिकल्स को मिटा दिया जिनमें SARS Variation, वुहान सी-फूड मार्केट और वुहान अज्ञात निमोनिया जैसे शब्दों का जिक्र था. इसके 3 दिन बाद यानी 3 जनवरी 2020 को, चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कोरोना वायरस के सभी सैंपल्स को खास जगह पर शिफ्ट करने के बाद नष्ट करने का आदेश दे दिया. कोरोना को लेकर चीन की साज़िश का सबसे बड़ा शक इस बात से सामने आता है कि इसी दिन चीन की सरकार ने इस रहस्यमयी बीमारी से संबंधित किसी भी तरह की खबर या लेख को प्रशाशित करने पर रोक लगा दी थी.
- 5 जनवरी 2020 को वुहान के नगर स्वास्थ्य आयोग ने नए मामलों की संख्या पर डेली अपडेट देना बंद कर दिया.
- ये डेली रिपोर्ट अगले 13 दिनों के लिए जारी नहीं की गई.
- 10 जनवरी को 2020 को पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट हॉस्पिटल के एक रेजपाइरेटरी विशेषज्ञ ने जांच में कहा कि बीमारी फिलहाल "नियंत्रण में" है
- 12 जनवरी को शंघाई में एक प्रोफेसर की लैब को बंद कर दिया गया.
- इस प्रोफेसर पर आरोप लगाया गया कि वो बाहरी दुनिया के साथ वायरस से जुड़े डेटा को साझा कर रहे थे.
- 24 जनवरी को चीनी अधिकारियों ने वुहान इंस्टीट्यूट को टेक्सास विश्वविद्यालय की एक प्रयोगशाला के साथ वायरस के नमूने साझा करने से रोक दिया.
हैरानी की बात ये रही कि चीन पूरी दुनिया से 20 जनवरी तक ये बात छिपाता रहा कि कोरोना का संक्रमण मनुष्य से मनुष्यों के बीच फैल सकता है. 5 EYES की जांच में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के खिलाफ भी सच छिपाने के पुख्ता सबूत मिले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक WHO ने इस पूरे मामले में हमेशा चीन की हां में हां मिलाई और दूसरे देश के वैज्ञानिकों पर अधूरा जवाब ही दिया.
रिपोर्ट में लिखा गया है कि 14 जनवरी को मनुष्यों के बीच वायरस के संक्रमण से जुड़े संदेह पर भी WHO ने चीन की रिपोर्ट को ही तरजीह दी. डोजियर ने खुलासा किया है कि फरवरी महीने में वो चीन ही था जिसने अमेरिका, इटली, भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया के तमाम देशों से लोगों ने यात्राओं पर प्रतिबंधों नहीं लगाने की एडवाइजरी जारी की थी जबकि इस दौरान उसने स्वयं अपने घर में लॉकडाउन की शुरूआत कर अपनी बड़ी आवाम को संक्रमण से रोक दिया था. रिपोर्ट बताती है कि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने ऑस्ट्रेलिया की सरकारी प्रयोगशालाओं में काम करते हुए जीवित चमगादड़ों और उनके वायरस पर रिचर्स की थी. इनमें एक रिसर्च ऐसे वायरस का पता लगाने को लेकर भी थी जिसकी अब तक काट तैयार नहीं हो सकी है.
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