भारत के साथ ये 5 देश मिलकर चीन को Global Supply Chain से अलग रहे हैं, कोरोना के बाद चीन होगा Isolate
'चीन को अपने ग्रुप से बाहर करो और आगे बढ़ो'
कोरोना काल में दुनिया को इस बात का अहसास हो चुका है कि चीन पर हम सब ज़रूरत से ज़्यादा आश्रित हैं और अब हमें अपनी सप्लाई चेन को चीन से दूर करना ही होगा। जापान का अपनी कंपनियों को चीन से बाहर आने के लिए कहना और अमेरिकी कंपनियों का चीन को छोड़कर भारत में अपनी प्रोडक्शन शिफ्ट करना यह दर्शाता है कि अब दुनिया इसी रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
कल यानि 30 अप्रैल को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी यह कहा कि अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और वियतनाम जैसे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि सप्लाई चेन को दुरुस्त किया जा सके। ज़ाहिर सी बात यह है कि अब ये सभी देश मिलकर वैश्विक सप्लाई चेन से चीन को बाहर करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पोम्पियो ने कहा–
“हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द वैश्विक सप्लाई चेन दुरुस्त हो और हम सभी देश अपनी पूरी क्षमता पर काम कर सकें, ताकि किसी भी देश के सामने दोबारा कभी ऐसी स्थिति पेश न हो। इसका एक उदाहरण हमें भारत में देखने को मिला जब भारत ने कोविड के मरीजों के उपचार के संबंध में ज़रूरी दवाइयों के एक्सपोर्ट पर से बैन हटाकर उन्हें दुनियाभर में एक्सपोर्ट किया”।
बता दें कि भारत और अमेरिका साथ मिलकर अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को दोबारा खोलने का प्लान बना रहे हैं। अभी सैकड़ों अमेरिकी कंपनियाँ चीन को छोड़कर भारत में अपने कारखाने स्थापित करना चाहती हैं और अमेरिकी सरकार भी इसके पक्ष में है। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिकी विदेश सचिव और भारतीय विदेश मंत्री यानि पोम्पियो और जयशंकर के बीच करीब 4 बार फोन पर बात हो चुकी है।
इधर, भारत सरकार भी चीन से बाहर जा रही कंपनियों को लुभाने के लिए कई बड़े कदम उठाने की तैयारी में है। कल ही पीएम मोदी ने अपने केबिनेट के कई मंत्रियों के साथ मिलकर इस पर गहन चर्चा की कि कैसे इन कंपनियों को भारत में लाया जाए। इससे पहले पिछले हफ्ते जब पीएम मोदी ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की थी, तो भी उन्होंने सभी राज्य सरकारों से जल्द से जल्द इन कंपनियों को अपने-अपने राज्य में लेकर आने के लिए कदम उठाने के लिए कहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने तो हाल ही में एक वेबिनार का भी आयोजन किया था जिसमें कई अमेरिकी कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
अभी चीन इस कारण से भी बैकफुट पर है कि उसने ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ अपने सींग उलझाए हुए हैं, जिसके साथ चीन का बहुत बड़ा व्यापार है। चीन ऑस्ट्रेलिया से बहुत बड़ी मात्रा में सामान इम्पोर्ट करता है। अब चीन ने खुद ही ऑस्ट्रेलिया को यह धमकी दी है कि उसके यहाँ ऑस्ट्रेलिया के सामान को अब नहीं बिकने दिया जाएगा।
चीन की ऐसी धमकियों से सिर्फ उसी को नुकसान होगा क्योंकि इस प्रकार चीन वैश्विक सप्लाई से खुद ब खुद बाहर हो जाएगा। इसी प्रकार जापान कोरोना से पहले तक चीन से 148 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट करता था, लेकिन अब जापान अपनी कंपनियों को चीन से बाहर जापान या फिर किसी अन्य देश में जाने को कह रहा है, जिसके बाद यहाँ से भी चीन वैश्विक सप्लाई चेन से कट जाएगा।
इस प्रकार भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, कोरिया और जापान मिलकर चीन को ग्लोबल सप्लाई चेन से अलग करने में लगे हैं क्योंकि इन्हें पता है कि किसी भी सूरत में अब चीन पर तो विश्वास नहीं किया जा सकता।
कोरोना काल में दुनिया को इस बात का अहसास हो चुका है कि चीन पर हम सब ज़रूरत से ज़्यादा आश्रित हैं और अब हमें अपनी सप्लाई चेन को चीन से दूर करना ही होगा। जापान का अपनी कंपनियों को चीन से बाहर आने के लिए कहना और अमेरिकी कंपनियों का चीन को छोड़कर भारत में अपनी प्रोडक्शन शिफ्ट करना यह दर्शाता है कि अब दुनिया इसी रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
कल यानि 30 अप्रैल को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी यह कहा कि अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और वियतनाम जैसे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि सप्लाई चेन को दुरुस्त किया जा सके। ज़ाहिर सी बात यह है कि अब ये सभी देश मिलकर वैश्विक सप्लाई चेन से चीन को बाहर करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पोम्पियो ने कहा–
“हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द वैश्विक सप्लाई चेन दुरुस्त हो और हम सभी देश अपनी पूरी क्षमता पर काम कर सकें, ताकि किसी भी देश के सामने दोबारा कभी ऐसी स्थिति पेश न हो। इसका एक उदाहरण हमें भारत में देखने को मिला जब भारत ने कोविड के मरीजों के उपचार के संबंध में ज़रूरी दवाइयों के एक्सपोर्ट पर से बैन हटाकर उन्हें दुनियाभर में एक्सपोर्ट किया”।
बता दें कि भारत और अमेरिका साथ मिलकर अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को दोबारा खोलने का प्लान बना रहे हैं। अभी सैकड़ों अमेरिकी कंपनियाँ चीन को छोड़कर भारत में अपने कारखाने स्थापित करना चाहती हैं और अमेरिकी सरकार भी इसके पक्ष में है। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिकी विदेश सचिव और भारतीय विदेश मंत्री यानि पोम्पियो और जयशंकर के बीच करीब 4 बार फोन पर बात हो चुकी है।
इधर, भारत सरकार भी चीन से बाहर जा रही कंपनियों को लुभाने के लिए कई बड़े कदम उठाने की तैयारी में है। कल ही पीएम मोदी ने अपने केबिनेट के कई मंत्रियों के साथ मिलकर इस पर गहन चर्चा की कि कैसे इन कंपनियों को भारत में लाया जाए। इससे पहले पिछले हफ्ते जब पीएम मोदी ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की थी, तो भी उन्होंने सभी राज्य सरकारों से जल्द से जल्द इन कंपनियों को अपने-अपने राज्य में लेकर आने के लिए कदम उठाने के लिए कहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने तो हाल ही में एक वेबिनार का भी आयोजन किया था जिसमें कई अमेरिकी कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
अभी चीन इस कारण से भी बैकफुट पर है कि उसने ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ अपने सींग उलझाए हुए हैं, जिसके साथ चीन का बहुत बड़ा व्यापार है। चीन ऑस्ट्रेलिया से बहुत बड़ी मात्रा में सामान इम्पोर्ट करता है। अब चीन ने खुद ही ऑस्ट्रेलिया को यह धमकी दी है कि उसके यहाँ ऑस्ट्रेलिया के सामान को अब नहीं बिकने दिया जाएगा।
चीन की ऐसी धमकियों से सिर्फ उसी को नुकसान होगा क्योंकि इस प्रकार चीन वैश्विक सप्लाई से खुद ब खुद बाहर हो जाएगा। इसी प्रकार जापान कोरोना से पहले तक चीन से 148 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट करता था, लेकिन अब जापान अपनी कंपनियों को चीन से बाहर जापान या फिर किसी अन्य देश में जाने को कह रहा है, जिसके बाद यहाँ से भी चीन वैश्विक सप्लाई चेन से कट जाएगा।
इस प्रकार भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, कोरिया और जापान मिलकर चीन को ग्लोबल सप्लाई चेन से अलग करने में लगे हैं क्योंकि इन्हें पता है कि किसी भी सूरत में अब चीन पर तो विश्वास नहीं किया जा सकता।
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