लखनऊ. केंद्र सरकार की तरफ से घाटे में और पैसे की कमी से जूझते रहने वाले सहकारी और ग्रामीण बैंकों (Co-operative and Rural Banks) को पैसे देकर किसानों (Farmers) को सीधे लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है. वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण के ऐलान के अनुसार सहकारी और ग्रामीण बैंकों को 29 हजार 500 करोड़ रूपए दिए जाएंगे. इसके बाद सहकारी और ग्रामीण बैंकों से किसानों को आसानी से लोन मिल सकेगा.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 1216 जिला सहकारी बैंक की शाखाएं हैं और 27 यूपी कोऑपरेटिव बैंकों की शाखाएं हैं. यूपी में अभी धान की रोपाई आने वाली है. ऐसे में बीज, खाद, मशीन की खरीद में किसानों को मदद मिल सकती है.
हालांकि इसमें एक बड़ी समस्या लम्बे समय से रही है. सहकारी बैंक बुरी तरह राजनीतिक हस्तक्षेप से घिरे रहे हैं. गांव में राजनीतिक पकड़ का ये अहम जरिया होती हैं. ऐसे में ज्यादा लाभ उन्हीं किसानों को मिल पाता है तो किसी दल के करीब हों.
पूर्वांचल में सहकारी बैंकों की हालत पहले से ही खराब
वैसे पश्चिमी यूपी में सहकारी बैंकों की हालत अच्छी है लेकिन, पूर्वांचल में इनकी हालत पहले से खराब रही है. स्थिति ये है कि लोन की वसूली राजनीतिक दबाव में नहीं हो पाती और बैंक मरने लगता है. केन्द्र की इस संजीवनी का लाभ किसानों को मिलेगा, ये पुख्ता करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखानी होगी.इस तरह किसानों तक पहुंचेगा पैसा
अब जान लीजिये कि ये पैसा किसानों तक कितने स्टेप में पहुंचेगा. केन्द्र सरकार पहले इस पैसे को नाबार्ड को देगी. नाबार्ड ये पैसा यूपी सहकारी बैंक को देगा. यूपी सहकारी बैंक इसे जिला सहकारी बैंक को देगा. फिर वहां से ये पैसा पैक्स को मिलेगा और फिर किसानों तक पहुंचेगा.
किसान क्रेडिट कार्ड में राहत की उम्मीद
पहले से अब ज्यादा किसान क्रेडिट कार्ड बन सकेंगे. किसान क्रेडिट कार्ड एक फिक्स राशि का बनाया जाता है. उतनी धनराशि किसान खेती के लिए बैंक से उधार ले सकता है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा किसानों के क्रेडिट कार्ड बनेंगे तो लाभ मिलने की गुंजाइश है. हालांकि ये बहुत कुछ बैंकों पर निर्भर करेगा कि वे अपने क्षेत्र में कितने किसानों का नया क्रेडिट कार्ड बनाते हैं.
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