'सच्चाई यह है कि दीदी कोरोना मृतकों के आंकड़ें छुपाने के चक्कर में हैं'
बंगाल राज्य वास्तव में वुहान वायरस से निपटने के लिए कितना तैयार है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस महामारी से होने वाले मृत्यु के आंकड़ों को सिर्फ 24 घंटों में चार गुना ज्यादा बढ़ा दिया गया है.
गुरुवार को महज 15 लोगों की मृत्यु से अचानक आंकड़ा बढ़कर शुक्रवार को 57 तक पहुंच गया था। हालांकि सर्जरी सूत्रों के अनुसार इनमें से 39 ऐसे थे, जो वुहान वायरस के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं के कारण मारे गए, और जिसे तय करने का अधिकार सिर्फ बंगाल के विशेषज्ञों की एक कमेटी के पास है।
बता दें कि अन्य राज्यों के मुकाबले बंगाल की हालत बहुत खराब है। बताया जा रहा है कि राज्य में लॉकडाउन के नियमों का जमकर उल्लंघन हो रहा है। कहीं मछली बाजार सजा है तो कहीं मिठाई की दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाकर लोग भीड़ लगाए खड़े हैं। जिस पुलिस पर नियमों को सख्ती से लागू कराने की जिम्मेदारी उसी पर धार्मिक आयोजनों के लिए छूट देने का आरोप है। बंगाल में अभी कोरोना के लगभग 120 मामले सामने आ चुके हैं और अगर ऐसे ही राज्य में ढील दिखाई जाती रही, तो यह संख्या तेजी से बढ़ेगी।
गृह मंत्रालय ने भी अपने पत्र में कहा था कि बंगाल सरकार इन बाज़ारों पर कोई नियंत्रण नहीं है क्या? पत्र में आगे लिखा है “कोलकाता में नारकेल डांगा, टोपसिया, राजबाजार, गार्डेनरीच, मेतियाबुर्ज, इकबालपुर और मुनिकटला जैसी जगहों पर सब्जी, मछली और मांस बाजारों में कोई भी नियंत्रण नहीं है। इन जगहों पर लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को ताक पर रखकर बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसे में परेशान करने वाली बात यह है कि नारकेल डांगा जैसी जगहों पर कोविड-19 के कथित तौर पर अधिक मामले नजर आये हैं”।
बीते शुक्रवार को मुस्लिम धर्म के लोग बड़ी संख्या में मस्जिदों में नमाज़ पढ़ते नज़र आए थे, और यह भी चिंता का विषय है। तबलिगी जमात कांड का बोझ पूरा देश सह रहा है, ऐसे में देश में और तबलीगी जमात को जन्म नहीं दिया जा सकता, लेकिन लगता है कि बंगाल सरकार तो इसी मूड में हैं।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद शहर में पिछले शुक्रवार की नमाज़ के लिए बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए, और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भीड़ भी इकट्ठा की। इसके अलावा वे अफसरों की बातों तक को अनसुना कर रहे थे। अब सरकार अगर इन लोगों पर इतनी ढील दिखाएगी तो अगले शुक्रवार को भी यही लोग मस्जिदों में इकट्ठा होंगे और नियमों और क़ानूनों को ठेंगा दिखाएंगे।
परन्तु बात यहीं पर नहीं रुकती। ममता बनर्जी अब भी केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान चला रही हैं। ICMR की माने तो बंगाल महाराष्ट्र और दिल्ली को भी बहुत पीछे छोड़ सकता है, और उसकी वर्तमान स्थिति एक सक्रिय टाइम बॉम्ब से कम नहीं है।
इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान ICMR के कोलकाता स्थित टेस्टिंग सेंटर के निदेशक डॉ शांता दत्ता ने बताया कि कैसे राज्य सरकार यह तय कर रही है कि कितने सैंपल भेजे जाएं। डॉ शांता दत्ता के अनुसार, “स्थिति तो यह है कि हम प्रतिदिन 20 सैंपल भी टेस्ट नहीं कर पाते। हम जो सुझाव देते हैं, उस हिसाब से सैंपल इकट्ठा किए ही नहीं जाते। पहले तो केवल हम ही बंगाल में टेस्टिंग कर रहे थे, परन्तु अब चूंकि अन्य सेंटर भी खुल चुके हैं, इसलिए हमारे सेंटर को प्राप्त होने वाले सैंपल बहुत कम हैं”.
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त मेडिकल टीम जब बंगाल पहुंची तो ममता बनर्जी के प्रशासन ने उनके साथ बेहद आपत्तिजनक व्यवहार किया। टीम को अंत में यहां तक पूछना पड़ा कि यदि प्रशासन नहीं सहयोग कर सकती है, तो क्या बीएसएफ से सुरक्षा मांगना उनका अधिकार नहीं है?
सच कहें तो ममता बनर्जी ने अपने हाथों से बंगाल के विनाश की नींव रखी है। जिस तरह से वे वुहान वायरस की स्थिति को देखते हुए अपने राज्य को तैयार कर रही हैं, वह अपने आप में किसी भयावह सपने से कम नहीं।
यदि वुहान वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, तो ये उनके राज्य के लिए काफी हानिकारक होगा। ममता बनर्जी सही मायनों में शी जिनपिंग के राह पर चल पड़ी है, और लगता है कि वे कई निर्दोषों की बलि चढ़ाकर ही तृप्त होगीं।
बंगाल राज्य वास्तव में वुहान वायरस से निपटने के लिए कितना तैयार है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस महामारी से होने वाले मृत्यु के आंकड़ों को सिर्फ 24 घंटों में चार गुना ज्यादा बढ़ा दिया गया है.
गुरुवार को महज 15 लोगों की मृत्यु से अचानक आंकड़ा बढ़कर शुक्रवार को 57 तक पहुंच गया था। हालांकि सर्जरी सूत्रों के अनुसार इनमें से 39 ऐसे थे, जो वुहान वायरस के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं के कारण मारे गए, और जिसे तय करने का अधिकार सिर्फ बंगाल के विशेषज्ञों की एक कमेटी के पास है।
बता दें कि अन्य राज्यों के मुकाबले बंगाल की हालत बहुत खराब है। बताया जा रहा है कि राज्य में लॉकडाउन के नियमों का जमकर उल्लंघन हो रहा है। कहीं मछली बाजार सजा है तो कहीं मिठाई की दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाकर लोग भीड़ लगाए खड़े हैं। जिस पुलिस पर नियमों को सख्ती से लागू कराने की जिम्मेदारी उसी पर धार्मिक आयोजनों के लिए छूट देने का आरोप है। बंगाल में अभी कोरोना के लगभग 120 मामले सामने आ चुके हैं और अगर ऐसे ही राज्य में ढील दिखाई जाती रही, तो यह संख्या तेजी से बढ़ेगी।
गृह मंत्रालय ने भी अपने पत्र में कहा था कि बंगाल सरकार इन बाज़ारों पर कोई नियंत्रण नहीं है क्या? पत्र में आगे लिखा है “कोलकाता में नारकेल डांगा, टोपसिया, राजबाजार, गार्डेनरीच, मेतियाबुर्ज, इकबालपुर और मुनिकटला जैसी जगहों पर सब्जी, मछली और मांस बाजारों में कोई भी नियंत्रण नहीं है। इन जगहों पर लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को ताक पर रखकर बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसे में परेशान करने वाली बात यह है कि नारकेल डांगा जैसी जगहों पर कोविड-19 के कथित तौर पर अधिक मामले नजर आये हैं”।
बीते शुक्रवार को मुस्लिम धर्म के लोग बड़ी संख्या में मस्जिदों में नमाज़ पढ़ते नज़र आए थे, और यह भी चिंता का विषय है। तबलिगी जमात कांड का बोझ पूरा देश सह रहा है, ऐसे में देश में और तबलीगी जमात को जन्म नहीं दिया जा सकता, लेकिन लगता है कि बंगाल सरकार तो इसी मूड में हैं।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद शहर में पिछले शुक्रवार की नमाज़ के लिए बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए, और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भीड़ भी इकट्ठा की। इसके अलावा वे अफसरों की बातों तक को अनसुना कर रहे थे। अब सरकार अगर इन लोगों पर इतनी ढील दिखाएगी तो अगले शुक्रवार को भी यही लोग मस्जिदों में इकट्ठा होंगे और नियमों और क़ानूनों को ठेंगा दिखाएंगे।
परन्तु बात यहीं पर नहीं रुकती। ममता बनर्जी अब भी केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान चला रही हैं। ICMR की माने तो बंगाल महाराष्ट्र और दिल्ली को भी बहुत पीछे छोड़ सकता है, और उसकी वर्तमान स्थिति एक सक्रिय टाइम बॉम्ब से कम नहीं है।
इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान ICMR के कोलकाता स्थित टेस्टिंग सेंटर के निदेशक डॉ शांता दत्ता ने बताया कि कैसे राज्य सरकार यह तय कर रही है कि कितने सैंपल भेजे जाएं। डॉ शांता दत्ता के अनुसार, “स्थिति तो यह है कि हम प्रतिदिन 20 सैंपल भी टेस्ट नहीं कर पाते। हम जो सुझाव देते हैं, उस हिसाब से सैंपल इकट्ठा किए ही नहीं जाते। पहले तो केवल हम ही बंगाल में टेस्टिंग कर रहे थे, परन्तु अब चूंकि अन्य सेंटर भी खुल चुके हैं, इसलिए हमारे सेंटर को प्राप्त होने वाले सैंपल बहुत कम हैं”.
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त मेडिकल टीम जब बंगाल पहुंची तो ममता बनर्जी के प्रशासन ने उनके साथ बेहद आपत्तिजनक व्यवहार किया। टीम को अंत में यहां तक पूछना पड़ा कि यदि प्रशासन नहीं सहयोग कर सकती है, तो क्या बीएसएफ से सुरक्षा मांगना उनका अधिकार नहीं है?
सच कहें तो ममता बनर्जी ने अपने हाथों से बंगाल के विनाश की नींव रखी है। जिस तरह से वे वुहान वायरस की स्थिति को देखते हुए अपने राज्य को तैयार कर रही हैं, वह अपने आप में किसी भयावह सपने से कम नहीं।
यदि वुहान वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, तो ये उनके राज्य के लिए काफी हानिकारक होगा। ममता बनर्जी सही मायनों में शी जिनपिंग के राह पर चल पड़ी है, और लगता है कि वे कई निर्दोषों की बलि चढ़ाकर ही तृप्त होगीं।
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