अब्दुल हामिद तो छोटे से घर में अपने 30 सदस्यीय परिवार के साथ रह रहा था। स्थिति ये है कि उस परिवार के 9 लोग फ़िलहाल कोरोना के शिकार हैं। इंदौर में भी 18 नए मरीजों में से 12 लोग एक ही घर में रहते थे।
सभी हॉटस्पॉट्स पर नज़र डालें तो हमें पता चलता है कि हर जगह या तो मुस्लिम बहुल इलाक़ों में ये वायरस तेज़ी से फैला और इसने आसपास के क्षेत्रों को भी अपने चपेट में ले लिया, या फिर पहला मरीज कोई मुसलमान ही निकला। चाहे वो जोधपुर की युवती हो या सीवान का युवक।
देश भर में कोरोना वायरस के कई हॉटस्पॉट हैं। इनमें यूपी और दिल्ली से लेकर राजस्थान और बिहार तक के इलाक़े शामिल हैं। यूपी और दिल्ली में तो पुलिस ने ऐसे हॉटस्पॉट्स को चिह्नित कर के इलाक़े को सील करने की कवायद शुरू कर दी है। ये भी देखा गया है कि जहाँ पूरा क्षेत्र सील किया गया, वहाँ कोरोना वायरस के मामलों में कमी आई।
दिल्ली में हाल ही में चाँदनी महल एरिया को सील किया गया, जहाँ की मस्जिदों से निकले 52 जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए। राजधानी में अब तक 30 ऐसे इलाक़ों को सील किया जा चुका है। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ मस्जिद वाला एरिया सिर्फ़ राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे देश में कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना।
यहाँ हुए मजहबी कार्यक्रमों में 2500 लोगों ने शिरकत की, जहाँ लोगों को डॉक्टरों की सलाह न मानने को कहा गया। इस मस्जिद से जितने लोगों को निकाला गया, उनमें से 712 संक्रमित निकले। अब ये लोग जिन-जिन के संपर्क में आए होंगे, उन्हें भी पुलिस क्वारंटाइन करने में लगी है।
जाँच में पता चला है कि 50 लोगों ने अपना फ़र्ज़ी पता दे रखा था, जबकि कइयों ने फोन बंद कर लिए हैं। यहाँ के मुसलमान देश के अलग-अलग राज्यों में गए, जहाँ कोरोना के मामलों में भारी बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई।
जयपुर में भी कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 250 पार होने को है। यहाँ का रामगंज कोरोना के हॉटस्पॉट में शामिल है, जहाँ स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला कर के उन्हें खदेड़ दिया गया था। आशा कर्मियों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था। मेडिकल स्क्रीनिंग के लिए गई टीम को भी ग़लत बताया गया।
जयपुर में जितने मामले आए हैं, उसके आधे लगभग रामगंज से ही हैं, जहाँ पुलिस ने कर्फ्यू लगा दिया है। यहाँ से 6 अप्रैल को 250 ,ऐसे लोगों को क्वारंटाइन किया गया, जो कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए थे। बताया गया कि मरकज़ से आए एक व्यक्ति ने और जमात के लोगों ने यहाँ कोरोना फैलाया। रहमानी मस्जिद और मस्जिद एरिया में सैकड़ों लोग रुके हुए थे।
इसी तरह राजस्थान के जोधपुर में नागौरी गेट कोरोना का हॉटस्पॉट बना। यहाँ 22 वर्षीय नगमा नामक महिला कोरोना वायरस की पहली संक्रमित थी, जिसके बाद ये पूरे इलाक़े में फ़ैल गया। यहाँ सघन बसावट और ज्यादा जनसँख्या होने के कारण न तो ‘सोशल डिस्टन्सिंग’ की अपील काम आई और न ही पुलिस की तैनाती।
आलम ये है कि जोधपुर में अब तक कोरोना के 43 मामले सामने आए हैं और सभी इसी इलाक़े के हैं। यहाँ 36 हज़ार लोगों की स्क्रीनिंग हुई। एक अब्दुल हामिद तो छोटे से घर में अपने 30 सदस्यीय परिवार के साथ रह रहा था। स्थिति ये है कि उस परिवार के 9 लोग फ़िलहाल कोरोना के शिकार हैं। ऐसे कई घर यहाँ पर हैं।
इंदौर के टाटपट्टी बाखल में मेडिकल टेस्ट के लिए पहुँचे स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला कर दिया गया और उन्हें वहाँ से खदेड़ दिया गया। इसके अलगे ही 3 दिनों में वहाँ से कोरोना वायरस के 18 नए मरीज निकले। इनमें से 12 लोग तो एक ही घर में रहते थे।
प्रशासन ने पूरे एरिया को सैनिटाइज करने की व्यवस्था की। यहाँ तक कि जिन लोगों ने डॉक्टरों पर पत्थरबाजी की, उनमें से एक जावेद ख़ान नामक व्यक्ति कोरोना पीड़ित पाया गया। इंदौर में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 300 पार हो गई है। मध्य प्रदेश में जितने लोगों की मौत हुई है, उनमें से 72% इंदौर के हैं। बाखल की तरह खजराना से भी डॉक्टरों को लौटा दिया गया।
बिहार के सीवान में कोरोना वायरस के अब तक 29 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 23 रघुनाथपुर के ही हैं। यहाँ ओमान से लौटे एक व्यक्ति ने पार्टियाँ की और क्रिकेट खेलता रहा, जिसके बाद उसके ही परिवार के 14 सदस्य संक्रमित पाए गए।
बिहार में कोरोना वायरस के 64 मामलों में से लगभग आधे सीवान के ही हैं। लॉकडाउन की घोषणा के बावजूद यहाँ के मैरवा स्थित एक मस्जिद में 200 लोग नमाज पढ़ने पहुँच गए थे। पुलिस ने उन्हें समझा-बुझा कर वापस लिया।
अगर ऊपर के सभी हॉटस्पॉट्स पर नज़र डालें तो हमें पता चलता है कि हर जगह या तो मुस्लिम बहुल इलाक़ों में ये वायरस तेज़ी से फैला और इसने आसपास के क्षेत्रों को भी अपने चपेट में ले लिया, या फिर पहला मरीज कोई मुसलमान ही निकला। चाहे वो जोधपुर की युवती हो या सीवान का युवक। स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले भी मुस्लिमों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में ही हुए, पुलिसकर्मियों को भी ऐसे ही इलाक़ों में निशाना बनाया गया। मस्जिदों में जुटे लोगों को समझाने-बुझाने में प्रशासन को ताक़त झोंकनी पड़ी।
सभी हॉटस्पॉट्स पर नज़र डालें तो हमें पता चलता है कि हर जगह या तो मुस्लिम बहुल इलाक़ों में ये वायरस तेज़ी से फैला और इसने आसपास के क्षेत्रों को भी अपने चपेट में ले लिया, या फिर पहला मरीज कोई मुसलमान ही निकला। चाहे वो जोधपुर की युवती हो या सीवान का युवक।
देश भर में कोरोना वायरस के कई हॉटस्पॉट हैं। इनमें यूपी और दिल्ली से लेकर राजस्थान और बिहार तक के इलाक़े शामिल हैं। यूपी और दिल्ली में तो पुलिस ने ऐसे हॉटस्पॉट्स को चिह्नित कर के इलाक़े को सील करने की कवायद शुरू कर दी है। ये भी देखा गया है कि जहाँ पूरा क्षेत्र सील किया गया, वहाँ कोरोना वायरस के मामलों में कमी आई।
दिल्ली में हाल ही में चाँदनी महल एरिया को सील किया गया, जहाँ की मस्जिदों से निकले 52 जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए। राजधानी में अब तक 30 ऐसे इलाक़ों को सील किया जा चुका है। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ मस्जिद वाला एरिया सिर्फ़ राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे देश में कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना।
यहाँ हुए मजहबी कार्यक्रमों में 2500 लोगों ने शिरकत की, जहाँ लोगों को डॉक्टरों की सलाह न मानने को कहा गया। इस मस्जिद से जितने लोगों को निकाला गया, उनमें से 712 संक्रमित निकले। अब ये लोग जिन-जिन के संपर्क में आए होंगे, उन्हें भी पुलिस क्वारंटाइन करने में लगी है।
जाँच में पता चला है कि 50 लोगों ने अपना फ़र्ज़ी पता दे रखा था, जबकि कइयों ने फोन बंद कर लिए हैं। यहाँ के मुसलमान देश के अलग-अलग राज्यों में गए, जहाँ कोरोना के मामलों में भारी बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई।
जयपुर में भी कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 250 पार होने को है। यहाँ का रामगंज कोरोना के हॉटस्पॉट में शामिल है, जहाँ स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला कर के उन्हें खदेड़ दिया गया था। आशा कर्मियों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था। मेडिकल स्क्रीनिंग के लिए गई टीम को भी ग़लत बताया गया।
जयपुर में जितने मामले आए हैं, उसके आधे लगभग रामगंज से ही हैं, जहाँ पुलिस ने कर्फ्यू लगा दिया है। यहाँ से 6 अप्रैल को 250 ,ऐसे लोगों को क्वारंटाइन किया गया, जो कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए थे। बताया गया कि मरकज़ से आए एक व्यक्ति ने और जमात के लोगों ने यहाँ कोरोना फैलाया। रहमानी मस्जिद और मस्जिद एरिया में सैकड़ों लोग रुके हुए थे।
इसी तरह राजस्थान के जोधपुर में नागौरी गेट कोरोना का हॉटस्पॉट बना। यहाँ 22 वर्षीय नगमा नामक महिला कोरोना वायरस की पहली संक्रमित थी, जिसके बाद ये पूरे इलाक़े में फ़ैल गया। यहाँ सघन बसावट और ज्यादा जनसँख्या होने के कारण न तो ‘सोशल डिस्टन्सिंग’ की अपील काम आई और न ही पुलिस की तैनाती।
आलम ये है कि जोधपुर में अब तक कोरोना के 43 मामले सामने आए हैं और सभी इसी इलाक़े के हैं। यहाँ 36 हज़ार लोगों की स्क्रीनिंग हुई। एक अब्दुल हामिद तो छोटे से घर में अपने 30 सदस्यीय परिवार के साथ रह रहा था। स्थिति ये है कि उस परिवार के 9 लोग फ़िलहाल कोरोना के शिकार हैं। ऐसे कई घर यहाँ पर हैं।
इंदौर के टाटपट्टी बाखल में मेडिकल टेस्ट के लिए पहुँचे स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला कर दिया गया और उन्हें वहाँ से खदेड़ दिया गया। इसके अलगे ही 3 दिनों में वहाँ से कोरोना वायरस के 18 नए मरीज निकले। इनमें से 12 लोग तो एक ही घर में रहते थे।
प्रशासन ने पूरे एरिया को सैनिटाइज करने की व्यवस्था की। यहाँ तक कि जिन लोगों ने डॉक्टरों पर पत्थरबाजी की, उनमें से एक जावेद ख़ान नामक व्यक्ति कोरोना पीड़ित पाया गया। इंदौर में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या 300 पार हो गई है। मध्य प्रदेश में जितने लोगों की मौत हुई है, उनमें से 72% इंदौर के हैं। बाखल की तरह खजराना से भी डॉक्टरों को लौटा दिया गया।
बिहार के सीवान में कोरोना वायरस के अब तक 29 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 23 रघुनाथपुर के ही हैं। यहाँ ओमान से लौटे एक व्यक्ति ने पार्टियाँ की और क्रिकेट खेलता रहा, जिसके बाद उसके ही परिवार के 14 सदस्य संक्रमित पाए गए।
बिहार में कोरोना वायरस के 64 मामलों में से लगभग आधे सीवान के ही हैं। लॉकडाउन की घोषणा के बावजूद यहाँ के मैरवा स्थित एक मस्जिद में 200 लोग नमाज पढ़ने पहुँच गए थे। पुलिस ने उन्हें समझा-बुझा कर वापस लिया।
अगर ऊपर के सभी हॉटस्पॉट्स पर नज़र डालें तो हमें पता चलता है कि हर जगह या तो मुस्लिम बहुल इलाक़ों में ये वायरस तेज़ी से फैला और इसने आसपास के क्षेत्रों को भी अपने चपेट में ले लिया, या फिर पहला मरीज कोई मुसलमान ही निकला। चाहे वो जोधपुर की युवती हो या सीवान का युवक। स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले भी मुस्लिमों के प्रभाव वाले क्षेत्रों में ही हुए, पुलिसकर्मियों को भी ऐसे ही इलाक़ों में निशाना बनाया गया। मस्जिदों में जुटे लोगों को समझाने-बुझाने में प्रशासन को ताक़त झोंकनी पड़ी।
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