इंदौर पहले से ही कोरोना के हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित है, ऐसे में वहाँ ये सब होना चिंता का विषय है। स्टिंग के बाद माँग की जा रही है कि प्रशासन मेडिकल इक्विपमेंट सप्लायर से पिछले एक माह में सप्लाई किए गए मशीनों की सूची ले।
मध्य प्रदेश स्थित इंदौर के मच्छी बाजार और बंबई बाजार में मछलियों की ख़रीद-बिक्री के बीच दवाओं का कारोबार चल रहा है। सिर्फ़ दवाएँ ही नहीं, ऑक्सीजन जनरेटर, मास्क, पीपीई किट और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (HCQ) जैसी चीजों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।
बता दें कि भारत सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स ने कोरोना के मरीजों के लिए HCQ का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। हालाँकि, आमजनों को इसे बिना डॉक्टर की सलाह के लेने के लिए मना किया गया है। बावजूद इसके लोग इसे ख़रीदने के लिए लालायित हैं।
जिन इलाकों में ये सब हो रहा है, वो कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है। वहाँ चोरी-छिपे इलाज भी चल रहा है। कई मौतें हो चुकी हैं। ‘दैनिक भास्कर’ के एक स्टिंग के मुताबिक, मेडिकल उपकरणों की ख़रीद-बिक्री और चोरी-छिपे कारोबार के बीच कई लाशों का गिरना संदिग्ध परिस्थितियों की ओर इशारा करता है।
इन चीजों की डिलीवरी के लिए गाड़ी आती है। लॉकडाउन में गाड़ी निकालना संभव नहीं है, इसीलिए उस गाड़ी ने खाद्य सामग्रियों के वितरण का कर्फ्यू पास ले रखा है और उसकी आड़ में ये सब किया जा रहा है।
मुंबई की एक कुरियर कम्पनी के खाते से इन दवाओं के सप्लायर को राशि का भुगतान किया जाता है। स्टिंग में ये भी खुलासा हुआ है कि अप्रैल से लेकर अब तक वहाँ 227 लोगों की मौत हो चुकी है। अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ही यहाँ 127 लोग काल के गाल में समा गए थे। इन सभी की लाशों को वहीं के कब्रिस्तानों में दफनाया गया।
इंदौर पहले से ही कोरोना के हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित है, ऐसे में वहाँ ये सब होना चिंता का विषय है। स्टिंग के बाद माँग की जा रही है कि प्रशासन मेडिकल इक्विपमेंट सप्लायर से पिछले एक माह में सप्लाई किए गए मशीनों की सूची ले। इसमें ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर और बायपेप मशीनें शामिल हैं।
‘दैनिक भास्कर’ में स्टिंग को लेकर प्रकाशित ख़बर
ऑक्सीजन सिलिंडर की सप्लाई को लेकर भी नज़र रखने की माँग की जा रही है। ‘दैनिक भास्कर’ ने एक ख़रीददार वाजिद और सप्लायर के बीच के बातचीत को एक्सेस किया है, जिसमें सप्लायर कह रहा है कि मामला स्ट्रिक्ट होने के कारण डिलीवरी में दिक्कत है। इसमें ऑक्सीजन के लिए फिलिप्स के मशीनों के लेन-देन की बात चल रही है। एक पेशेंट के मरने की बात भी कही जा रही है। इससे पता चलता है कि लोगों की मौतें हो रही हैं।
एक सप्लायर को पहली बार 93 हज़ार रुपए और दूसरी बार 1.28 लाख रुपए भुगतान किए गए। इंडेक्स लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के जरिए भुगतान की बात पता चली है। इसी नाम से एक प्रतिष्ठित कम्पनी भी है। , इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया कि पुलिस के पास इस बात की सूचना है कि एक सामानांतर चिकित्सा व्यवस्था चलाई जा रही है। इसकी जाँच क्राइम ब्रांच से कराने का आश्वासन दिया गया है।
मध्य प्रदेश स्थित इंदौर के मच्छी बाजार और बंबई बाजार में मछलियों की ख़रीद-बिक्री के बीच दवाओं का कारोबार चल रहा है। सिर्फ़ दवाएँ ही नहीं, ऑक्सीजन जनरेटर, मास्क, पीपीई किट और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (HCQ) जैसी चीजों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।
बता दें कि भारत सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स ने कोरोना के मरीजों के लिए HCQ का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। हालाँकि, आमजनों को इसे बिना डॉक्टर की सलाह के लेने के लिए मना किया गया है। बावजूद इसके लोग इसे ख़रीदने के लिए लालायित हैं।
जिन इलाकों में ये सब हो रहा है, वो कोरोना से बुरी तरह प्रभावित है। वहाँ चोरी-छिपे इलाज भी चल रहा है। कई मौतें हो चुकी हैं। ‘दैनिक भास्कर’ के एक स्टिंग के मुताबिक, मेडिकल उपकरणों की ख़रीद-बिक्री और चोरी-छिपे कारोबार के बीच कई लाशों का गिरना संदिग्ध परिस्थितियों की ओर इशारा करता है।
इन चीजों की डिलीवरी के लिए गाड़ी आती है। लॉकडाउन में गाड़ी निकालना संभव नहीं है, इसीलिए उस गाड़ी ने खाद्य सामग्रियों के वितरण का कर्फ्यू पास ले रखा है और उसकी आड़ में ये सब किया जा रहा है।
मुंबई की एक कुरियर कम्पनी के खाते से इन दवाओं के सप्लायर को राशि का भुगतान किया जाता है। स्टिंग में ये भी खुलासा हुआ है कि अप्रैल से लेकर अब तक वहाँ 227 लोगों की मौत हो चुकी है। अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ही यहाँ 127 लोग काल के गाल में समा गए थे। इन सभी की लाशों को वहीं के कब्रिस्तानों में दफनाया गया।
इंदौर पहले से ही कोरोना के हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित है, ऐसे में वहाँ ये सब होना चिंता का विषय है। स्टिंग के बाद माँग की जा रही है कि प्रशासन मेडिकल इक्विपमेंट सप्लायर से पिछले एक माह में सप्लाई किए गए मशीनों की सूची ले। इसमें ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर और बायपेप मशीनें शामिल हैं।
‘दैनिक भास्कर’ में स्टिंग को लेकर प्रकाशित ख़बर
ऑक्सीजन सिलिंडर की सप्लाई को लेकर भी नज़र रखने की माँग की जा रही है। ‘दैनिक भास्कर’ ने एक ख़रीददार वाजिद और सप्लायर के बीच के बातचीत को एक्सेस किया है, जिसमें सप्लायर कह रहा है कि मामला स्ट्रिक्ट होने के कारण डिलीवरी में दिक्कत है। इसमें ऑक्सीजन के लिए फिलिप्स के मशीनों के लेन-देन की बात चल रही है। एक पेशेंट के मरने की बात भी कही जा रही है। इससे पता चलता है कि लोगों की मौतें हो रही हैं।
एक सप्लायर को पहली बार 93 हज़ार रुपए और दूसरी बार 1.28 लाख रुपए भुगतान किए गए। इंडेक्स लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के जरिए भुगतान की बात पता चली है। इसी नाम से एक प्रतिष्ठित कम्पनी भी है। , इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया कि पुलिस के पास इस बात की सूचना है कि एक सामानांतर चिकित्सा व्यवस्था चलाई जा रही है। इसकी जाँच क्राइम ब्रांच से कराने का आश्वासन दिया गया है।
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