पालघर हिंसा में मारे गए सन्तो की मौत पर नया खुलासा सामने आया है,2014 में चर्च का शीशा टूटने पर लोकसभा को सर पर उठाने वाली सोनिया गांधी और कांग्रेस की टीम पालघर पर चुप क्यों है,
सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाको में मिशनरियों का आदिवासियों को कनवर्ट करने का कार्य जोरो पर जारी है।वहीं गृहमंत्री द्वारा जारी 101 अपराधियों की सूची में एक भी मुसलमान नही होने से भी इस आशंका को बल मिला है कि हिन्दू मुसलमान का रायता फैला कर किसी और को बचाने की तैयारी कहीं न कही कोई और कर रहा है।
नपुर तहसील क्षेत्र के वेदपुर गांव निवासी चिंतामणि तिवारी के छह पुत्रों में चौथे नंबर के पुत्र संत कल्पवृक्ष बचपन से ही वैरागी प्रवृत्ति के थे। यहां प्राथमिक विद्यालय भुसौला में कक्षा तीन में पढ़ रहे थे। उसी समय मन विरक्त हुआ और घर-बार छोड़कर महाराष्ट्र चले गए।
बचपन में उनका नाम कृष्णचंद्र तिवारी था। वहां मुंबई के वनदेवी मंदिर में गुरु ओंकारेश्वर नाथ का सानिध्य प्राप्त कर संत जीवन में रम गए। घरवालों ने कई बार उनसे घर आने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं लौटे। यहां गांव में उनके छोटे भाई राकेश चंद्र तिवारी ने बताया कि चार भाई मुंबई में ही रहते हैं। एक भाई दिनेश चंद्र ने संत के शव का अंतिम संस्कार कराया।
65 वर्षीय संत की इतने लंबे समय बाद इस तरह से मौत की सूचना मिलने के बाद घरवाले स्तब्ध हैं। मंगलवार को जब अमर उजाला टीम वेदपुर उनके घर पहुंची तो घर पर सांत्वना देने वालों का मजमा लगा था। घरवालों की विवशता यह है कि लॉकडाउन के कारण कोई पहुंच नहीं पाया।
क्या था मामला?
जूना अखाड़े के दो साधु महंत सुशील गिरी महाराज( 35 ), महंत चिकने महाराज कल्पवृक्ष गिरी(65) अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे(30 ) के साथ मुंबई से गुजरात के सूरत में अपने साथी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। तभी पालघर के एक गांव में गांव वालों ने इन्हें डकैत समझ कर पीट-पीटकर मार डाला। ये तीनों मुंबई के कांदिवली इलाके से मारुति ईको कार में सवार होकर सूरत निकले, जहां उनके साथी की मौत हो गई थी। दोनो साधुओं को ही उनका अंतिम संस्कार करना था। जब इनकी गाड़ी महाराष्ट्र-गुजरात बॉर्डर पर पहुंची तो पुलिस ने उन्हें रोक कर वापस भेज दिया। इसके बाद तीनों ने अंदरूनी जंगल वाले रास्ते से होकर आगे बढ़ना तय किया।
इस बीच पालघर जिले के कई गांवों में अफवाह फैल गई कि लॉकडाउन का फायदा उठाकर अपराधी तत्व बैखौफ होकर चोरी डकैती को अंजाम दे रहे हैं। लोगों का अपहरण कर उनकी किडनी निकाल रहे हैं। इस अफवाह के चलते गांव वालों ने बिना कुछ सोचे समझे इनकी गाड़ी देख इन पर हमला कर दिया और गाड़ी को पलट दिया।
पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने वहां पहुंचकर इन तीनों को अपनी गाड़ी में बैठाया लेकिन गांव वालों की भारी भीड़ के सामने पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम थी, इसलिए तीनों घायलों को छोड़कर पुलिसकर्मी भाग खड़े हुए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने इन्हें पीट-पीटकर मार डाला।
कलेक्टर कैलाश शिंदे ने बताया कि घटना से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें यह देखा जा सकता है कि ग्रामीणों ने मृतक की कार को लाठी, पत्थर और अन्य वस्तुओं से क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची लेकिन फिर भी ग्रामीणों ने तीनों लोगों पर हमला जारी रखा।
पालघर में संतों की मॉब लिंचिंग पर अर्नब ने सोनिया गॉंधी को घेरा
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं सहित तीन लोगों की भीड़ ने निर्मम तरीके से हत्या कर दी। लेकिन कॉन्ग्रेस चुप रही, क्योंकि राज्य में वह शिवसेना के साथ सत्ता में साझीदार है। इस मॉब लिंंचिंग पर चुप्पी को लेकर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉंधी को घेरते हुए ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक अर्नब गोस्वामी ने तीखे सवाल पूछे हैं।
अर्नब ने कहा कि इस मामले में मीडिया का रवैया काफ़ी पक्षतापूर्ण है। कोरोना वायरस पर तो सभी न्यूज़ चैनल कार्यक्रम कर रहे हैं। लेकिन साधुओं की मॉब लिंचिंग पर सारे के सारे मौन धारण किए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर भी निशाना साधा और उनसे सवाल पूछे।
अर्नब ने याद दिलाया कि देश की 80% जनसंख्या सनातन धर्म को मानती है। सनातनी है। वे साधुओं की क्रूरता से की गई हत्या से व्याकुल दिखे। अर्नब ने कहा कि आज भारत में हिन्दू होना और भगवा वस्त्र धारण करना पाप हो गया है।
मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी को घेरते हुए उन्होंने पूछा कि अगर किसी मौलवी या किसी पादरी की इस तरह से हत्या की गई होती तो क्या मीडिया, सेक्युलर गैंग व राजनीतिक दल आज शांत होते? एक पैनलिस्ट ने जवाब दिया कि अगर ऐसा होता तो अब तक पता नहीं क्या-क्या जला दिया गया होता।
इसके बाद अर्नब ने पूछा कि अगर पादरियों की हत्या होती तो क्या ‘इटली वाली एंटोनिया माइनो’ चुप रहतीं? इस दौरान पैनल में ‘तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त’ पर ठुमके लगाने वाले और ख़ुद को संभल स्थित कल्कि धाम का पीठाधीश्वर बताने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णन भी मौजूद थे। वे कॉन्ग्रेस नेता भी हैं।
अर्नब ने उनसे कहा कि अगर किसी पादरी की हत्या होती तो आपकी पार्टी और आपकी पार्टी की ‘रोम से आई हुई, इटली वाली’ सोनिया गाँधी बिलकुल चुप नहीं रहतीं। अर्नब ने दावा किया कि मॉब लिंचिंग पर सोनिया गाँधी आज चुप हैं तो इसका मतलब है कि वो मन ही मन में खुश भी हैं। मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी की चुप्पी को लेकर अर्नब ने कहा:
“सोनिया गाँधी तो खुश हैं। वो इटली में रिपोर्ट भेजेंगी कि देखो, जहाँ पर मैंने सरकार बनाई है, वहाँ पर हिन्दू संतों को मरवा रही हूँ। वहाँ से उन्हें वाहवाही मिलेगी। लोग कहेंगे कि वाह, सोनिया गाँधी ने अच्छा किया। इनलोगों को शर्म आनी चाहिए। क्या उन्हें लगता है कि हिन्दू चुप रहेंगे? आज प्रमोद कृष्णन को बता दिया जाना चाहिए कि क्या हिन्दू चुप रहेंगे? पूरा भारत भी यही पूछ रहा है। बोलने का समय आ गया है।”
बता दें कि अर्नब गोस्वामी ने हाल ही में एक लाइव शो के दौरान ही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से त्यागपत्र दे दिया था। अर्नब ने अपने इस्तीफे के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के गिरते हुए मूल्यों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने व्यक्तिगत पूर्वग्रहों के लिए नैतिकता से समझौता किया है। उन्होंने कहा कि वह काफी लंबे वक्त से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। लेकिन अब यह मात्र कुछ लोगों का समूह है, जिनमें फेक खबरों को फेक कहने का दम नहीं है।
सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाको में मिशनरियों का आदिवासियों को कनवर्ट करने का कार्य जोरो पर जारी है।वहीं गृहमंत्री द्वारा जारी 101 अपराधियों की सूची में एक भी मुसलमान नही होने से भी इस आशंका को बल मिला है कि हिन्दू मुसलमान का रायता फैला कर किसी और को बचाने की तैयारी कहीं न कही कोई और कर रहा है।
नपुर तहसील क्षेत्र के वेदपुर गांव निवासी चिंतामणि तिवारी के छह पुत्रों में चौथे नंबर के पुत्र संत कल्पवृक्ष बचपन से ही वैरागी प्रवृत्ति के थे। यहां प्राथमिक विद्यालय भुसौला में कक्षा तीन में पढ़ रहे थे। उसी समय मन विरक्त हुआ और घर-बार छोड़कर महाराष्ट्र चले गए।
बचपन में उनका नाम कृष्णचंद्र तिवारी था। वहां मुंबई के वनदेवी मंदिर में गुरु ओंकारेश्वर नाथ का सानिध्य प्राप्त कर संत जीवन में रम गए। घरवालों ने कई बार उनसे घर आने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं लौटे। यहां गांव में उनके छोटे भाई राकेश चंद्र तिवारी ने बताया कि चार भाई मुंबई में ही रहते हैं। एक भाई दिनेश चंद्र ने संत के शव का अंतिम संस्कार कराया।
65 वर्षीय संत की इतने लंबे समय बाद इस तरह से मौत की सूचना मिलने के बाद घरवाले स्तब्ध हैं। मंगलवार को जब अमर उजाला टीम वेदपुर उनके घर पहुंची तो घर पर सांत्वना देने वालों का मजमा लगा था। घरवालों की विवशता यह है कि लॉकडाउन के कारण कोई पहुंच नहीं पाया।
क्या था मामला?
जूना अखाड़े के दो साधु महंत सुशील गिरी महाराज( 35 ), महंत चिकने महाराज कल्पवृक्ष गिरी(65) अपने ड्राइवर निलेश तेलगडे(30 ) के साथ मुंबई से गुजरात के सूरत में अपने साथी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। तभी पालघर के एक गांव में गांव वालों ने इन्हें डकैत समझ कर पीट-पीटकर मार डाला। ये तीनों मुंबई के कांदिवली इलाके से मारुति ईको कार में सवार होकर सूरत निकले, जहां उनके साथी की मौत हो गई थी। दोनो साधुओं को ही उनका अंतिम संस्कार करना था। जब इनकी गाड़ी महाराष्ट्र-गुजरात बॉर्डर पर पहुंची तो पुलिस ने उन्हें रोक कर वापस भेज दिया। इसके बाद तीनों ने अंदरूनी जंगल वाले रास्ते से होकर आगे बढ़ना तय किया।
इस बीच पालघर जिले के कई गांवों में अफवाह फैल गई कि लॉकडाउन का फायदा उठाकर अपराधी तत्व बैखौफ होकर चोरी डकैती को अंजाम दे रहे हैं। लोगों का अपहरण कर उनकी किडनी निकाल रहे हैं। इस अफवाह के चलते गांव वालों ने बिना कुछ सोचे समझे इनकी गाड़ी देख इन पर हमला कर दिया और गाड़ी को पलट दिया।
पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने वहां पहुंचकर इन तीनों को अपनी गाड़ी में बैठाया लेकिन गांव वालों की भारी भीड़ के सामने पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम थी, इसलिए तीनों घायलों को छोड़कर पुलिसकर्मी भाग खड़े हुए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने इन्हें पीट-पीटकर मार डाला।
कलेक्टर कैलाश शिंदे ने बताया कि घटना से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें यह देखा जा सकता है कि ग्रामीणों ने मृतक की कार को लाठी, पत्थर और अन्य वस्तुओं से क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची लेकिन फिर भी ग्रामीणों ने तीनों लोगों पर हमला जारी रखा।
पालघर में संतों की मॉब लिंचिंग पर अर्नब ने सोनिया गॉंधी को घेरा
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं सहित तीन लोगों की भीड़ ने निर्मम तरीके से हत्या कर दी। लेकिन कॉन्ग्रेस चुप रही, क्योंकि राज्य में वह शिवसेना के साथ सत्ता में साझीदार है। इस मॉब लिंंचिंग पर चुप्पी को लेकर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉंधी को घेरते हुए ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक अर्नब गोस्वामी ने तीखे सवाल पूछे हैं।
अर्नब ने कहा कि इस मामले में मीडिया का रवैया काफ़ी पक्षतापूर्ण है। कोरोना वायरस पर तो सभी न्यूज़ चैनल कार्यक्रम कर रहे हैं। लेकिन साधुओं की मॉब लिंचिंग पर सारे के सारे मौन धारण किए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर भी निशाना साधा और उनसे सवाल पूछे।
अर्नब ने याद दिलाया कि देश की 80% जनसंख्या सनातन धर्म को मानती है। सनातनी है। वे साधुओं की क्रूरता से की गई हत्या से व्याकुल दिखे। अर्नब ने कहा कि आज भारत में हिन्दू होना और भगवा वस्त्र धारण करना पाप हो गया है।
मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी को घेरते हुए उन्होंने पूछा कि अगर किसी मौलवी या किसी पादरी की इस तरह से हत्या की गई होती तो क्या मीडिया, सेक्युलर गैंग व राजनीतिक दल आज शांत होते? एक पैनलिस्ट ने जवाब दिया कि अगर ऐसा होता तो अब तक पता नहीं क्या-क्या जला दिया गया होता।
इसके बाद अर्नब ने पूछा कि अगर पादरियों की हत्या होती तो क्या ‘इटली वाली एंटोनिया माइनो’ चुप रहतीं? इस दौरान पैनल में ‘तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त’ पर ठुमके लगाने वाले और ख़ुद को संभल स्थित कल्कि धाम का पीठाधीश्वर बताने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णन भी मौजूद थे। वे कॉन्ग्रेस नेता भी हैं।
अर्नब ने उनसे कहा कि अगर किसी पादरी की हत्या होती तो आपकी पार्टी और आपकी पार्टी की ‘रोम से आई हुई, इटली वाली’ सोनिया गाँधी बिलकुल चुप नहीं रहतीं। अर्नब ने दावा किया कि मॉब लिंचिंग पर सोनिया गाँधी आज चुप हैं तो इसका मतलब है कि वो मन ही मन में खुश भी हैं। मॉब लिंचिंग पर सोनिया गॉंधी की चुप्पी को लेकर अर्नब ने कहा:
“सोनिया गाँधी तो खुश हैं। वो इटली में रिपोर्ट भेजेंगी कि देखो, जहाँ पर मैंने सरकार बनाई है, वहाँ पर हिन्दू संतों को मरवा रही हूँ। वहाँ से उन्हें वाहवाही मिलेगी। लोग कहेंगे कि वाह, सोनिया गाँधी ने अच्छा किया। इनलोगों को शर्म आनी चाहिए। क्या उन्हें लगता है कि हिन्दू चुप रहेंगे? आज प्रमोद कृष्णन को बता दिया जाना चाहिए कि क्या हिन्दू चुप रहेंगे? पूरा भारत भी यही पूछ रहा है। बोलने का समय आ गया है।”
बता दें कि अर्नब गोस्वामी ने हाल ही में एक लाइव शो के दौरान ही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से त्यागपत्र दे दिया था। अर्नब ने अपने इस्तीफे के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के गिरते हुए मूल्यों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने व्यक्तिगत पूर्वग्रहों के लिए नैतिकता से समझौता किया है। उन्होंने कहा कि वह काफी लंबे वक्त से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। लेकिन अब यह मात्र कुछ लोगों का समूह है, जिनमें फेक खबरों को फेक कहने का दम नहीं है।
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