जब से देश में CAA विरोधी दंगे शुरू हुए हैं तब से यह कहा जा रहा था कि इन दंगों को विदेशी फंडिंग मिल रही है। अब जैसे-जैसे दिन बीत रहें हैं वैसे-वैसे पोल खुलती जा रही है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार को अब सबूत मिलने लगे हैं कि इन दंगों को पाकिस्तान के इशारों पर ही पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन हुए थे।
देश में इन दंगों के आयोजन के लिए पाकिस्तान से दिशा निर्देश मिलने के साथ ही धन भी मुहैया कराया गया था। यहां तक कि इस्लामाबाद ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में दिल्ली के दंगों की 2002 के गुजरात दंगों के साथ बराबरी करने का पूरा प्रयास किया गया था।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ लोगों द्वारा फोन पर की गयी बातचीत के कॉल रिकॉर्ड जुटाए हैं। जहां उनका मानना था कि पाकिस्तानी एजेंट द्वारा पर्याप्त फंड देने के बावजूद 3-4 मार्च को CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पर्याप्त भीड़ नहीं जुट पाई, इसलिए वे फंडिंग के स्रोतों को बंद कर रहे हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स द्वारा सुनी गई इस तरह की एक कॉल में, एक हैंडलर अपने एजेंट को डांटते हुए कहता है कि उसे अपने ऊपर के अधिकारियों को प्रदर्शनों में कम भीड़ के बारे में स्पष्टीकरण देना होगा। हालांकि, कॉल का संदर्भ स्पष्ट है, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स यह प्रमाणित नहीं करता है कि इसे कब और किन दो वक्ताओं की बातचीत के दौरान रिकॉर्ड किया गया था।
दंगों के दौरान भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 7 वर्ष पुरानी वीडियो शेयर करते दिखे थे जो कि बांग्लादेश की थी और उन्होंने यह कहा कि भारत की पुलिस मुस्लिमों का नरसंहार कर रही है। इमरान खान इसी तरह की झूठी खबर फैलाकर विश्व के सामने भारत को बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
यही नहीं तुर्की और ईरान जैसे देश भी पाकिस्तान की लाइन पर ही चल रहे हैं और पाकिस्तान का भारत के खिलाफ एजेंडे में मदद कर रहे हैं। पाकिस्तान अपने देश में भारत और नरेंद्र मोदी के खिलाफ इसी तरह से झूठी खबरें फैलाकर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का इस्तेमाल करते हैं।
कुछ दिनों पहले AIMIM के अध्यक्ष ओवैसी की रैली में एक लड़की स्टेज पर आकर ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद!’ के नारे भी लगा चुकी है। अमूल्या लियोना नाम की उस लड़की का वीडियो या कहिए एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह कहती हुई नजर आ रही है कि उसके पीछे लोगों का बहुत बड़ा समूह काम करता है और वही तय करता है कि कहां क्या बोलना है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है ऐसे तत्वों की फंडिंग कहां से हो रही है।
ईडी ने इस बात की पुष्टि की थी कि कैसे PFI ने शाहीन बाग में हो रहे कट्टरपंथी प्रदर्शनों में निवेश किया है और कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी ने भी PFI के इस अभियान में वित्तीय रूप से पूरा पूरा सहयोग किया है। बता दें कि वर्ष 2012 में ही PFI पर असम में SMS के जरीए दंगें भड़काने का आरोप है जिसमें 20-30 प्रतिशत SMS पाकिस्तान से अपलोड किए गए थे। पाकिस्तान से PFI जैसे संगठन का लिंक किसी से छुपा नहीं है।
नागरिकता कानून संशोधन के खिलाफ प्रोटेस्ट हिसंक रूप देने की साजिश रचने वाले इस आतंकी संगठन के खिलाफ यूपी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए PFI से जुड़े 25 लोगों को गिरफ्तार किया था।
देश भर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों और फिर विदेशी अखबारों में स्तम्भ लिखकर भारत को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। अब तो खुफिया विभाग को सुबूत भी मिल चुके हैं। ऐसे में अब गृह मंत्रालय को तुरंत ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
देश में इन दंगों के आयोजन के लिए पाकिस्तान से दिशा निर्देश मिलने के साथ ही धन भी मुहैया कराया गया था। यहां तक कि इस्लामाबाद ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में दिल्ली के दंगों की 2002 के गुजरात दंगों के साथ बराबरी करने का पूरा प्रयास किया गया था।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ लोगों द्वारा फोन पर की गयी बातचीत के कॉल रिकॉर्ड जुटाए हैं। जहां उनका मानना था कि पाकिस्तानी एजेंट द्वारा पर्याप्त फंड देने के बावजूद 3-4 मार्च को CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पर्याप्त भीड़ नहीं जुट पाई, इसलिए वे फंडिंग के स्रोतों को बंद कर रहे हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स द्वारा सुनी गई इस तरह की एक कॉल में, एक हैंडलर अपने एजेंट को डांटते हुए कहता है कि उसे अपने ऊपर के अधिकारियों को प्रदर्शनों में कम भीड़ के बारे में स्पष्टीकरण देना होगा। हालांकि, कॉल का संदर्भ स्पष्ट है, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स यह प्रमाणित नहीं करता है कि इसे कब और किन दो वक्ताओं की बातचीत के दौरान रिकॉर्ड किया गया था।
दंगों के दौरान भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 7 वर्ष पुरानी वीडियो शेयर करते दिखे थे जो कि बांग्लादेश की थी और उन्होंने यह कहा कि भारत की पुलिस मुस्लिमों का नरसंहार कर रही है। इमरान खान इसी तरह की झूठी खबर फैलाकर विश्व के सामने भारत को बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
यही नहीं तुर्की और ईरान जैसे देश भी पाकिस्तान की लाइन पर ही चल रहे हैं और पाकिस्तान का भारत के खिलाफ एजेंडे में मदद कर रहे हैं। पाकिस्तान अपने देश में भारत और नरेंद्र मोदी के खिलाफ इसी तरह से झूठी खबरें फैलाकर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का इस्तेमाल करते हैं।
कुछ दिनों पहले AIMIM के अध्यक्ष ओवैसी की रैली में एक लड़की स्टेज पर आकर ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद!’ के नारे भी लगा चुकी है। अमूल्या लियोना नाम की उस लड़की का वीडियो या कहिए एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह कहती हुई नजर आ रही है कि उसके पीछे लोगों का बहुत बड़ा समूह काम करता है और वही तय करता है कि कहां क्या बोलना है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है ऐसे तत्वों की फंडिंग कहां से हो रही है।
ईडी ने इस बात की पुष्टि की थी कि कैसे PFI ने शाहीन बाग में हो रहे कट्टरपंथी प्रदर्शनों में निवेश किया है और कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी ने भी PFI के इस अभियान में वित्तीय रूप से पूरा पूरा सहयोग किया है। बता दें कि वर्ष 2012 में ही PFI पर असम में SMS के जरीए दंगें भड़काने का आरोप है जिसमें 20-30 प्रतिशत SMS पाकिस्तान से अपलोड किए गए थे। पाकिस्तान से PFI जैसे संगठन का लिंक किसी से छुपा नहीं है।
नागरिकता कानून संशोधन के खिलाफ प्रोटेस्ट हिसंक रूप देने की साजिश रचने वाले इस आतंकी संगठन के खिलाफ यूपी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए PFI से जुड़े 25 लोगों को गिरफ्तार किया था।
देश भर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों और फिर विदेशी अखबारों में स्तम्भ लिखकर भारत को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। अब तो खुफिया विभाग को सुबूत भी मिल चुके हैं। ऐसे में अब गृह मंत्रालय को तुरंत ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
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