अब लखनऊ में मचाया कोरोना जिहाद, पुलिस से भिड़े नमाज़ी, मस्जिद में जमा की भीड़

जिस प्रकार से एक के बाद एक घटनाएं होती जा रही हैं उसके बाद अब सवाल खड़े होने शुरू हो चुके है कि क्या सच मे रची गई है कोई बड़ी साजिश इस देश के विरुद्ध ? संकट काल मे जिस प्रकार से आदेशों का उलंघन कर के भीड़ जमा करवाई जा रही है उस से ये साफ होता जा रहा है कि कहीं न कहीं इस देश की जनता निशाने पर है कुछ बेहद असमाजिक तत्वों के .. खास बात ये है कि इसके लिए प्रयोग में लाई जा रही हैं मस्जिदें जिसके इमाम तक इस पूरे मामले ने कहीं कहीं शामिल मिल रहे हैं..

सवाल ये उठता है कि आखिर ख़ुद को इस महामारी से बचा रही जनता का क्या दोष है और वो इनके निशाने पर क्यों आ चुकी है ? अभी दिल्ली में तब्लीगी जमात के कुकृत्य से दिल्ली में महामारी फैलने पर विवाद चल ही रहा है कि अचानक ही एक और मामले ने भारत वालों के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी हैं..



दिल्ली वाली ही हरकत लखनऊ में एक मस्जिद में दोहराई गई है और सबसे खास बात ये हैं कि यहां पुलिस से बाकायदा उलझा गया है और पुलिस से कहा गया है कि हम ऐसा करने से नहीं रुकने वाले हैं..

इस मामले में मीडिया को जानकारी देते हुए लखनऊ पुलिस के एडीसीपी पश्चिमी विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि रविवार दोपहर सआदत गंज पुलिस को सूचना मिली थी कि झवाई टोला इलाके में एक मस्जिद में 25- 30 लोग इकट्ठे होकर नमाज पढ़ रहे हैं.

जानकारी पर इलाके में गश्त कर रहे सब इंस्पेक्टर मनोज पालीवाल सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए. सब इंस्पेक्टर मनोज पालीवाल ने मस्ज़िद के इमाम इदरीस और मुतवल्ली मोहम्मद फ़ाज़िल को कोरोना के बारे में बताया और लॉकडाउन के दौरान इकट्ठे होने पर रोक की जानकारी भी दी.

इस पूरे मामले पर एसआई मनोज पालीवाल ने मस्ज़िद के इमाम इदरीस, मुतवल्ली मोहम्मद फ़ाज़िल इलाके के रहने वाले फैज़ल, इलियास, मोहम्मद कदीर, शब्बू और आतिफ समेत 24 अज्ञात लोगों पर लॉकडाउन के उल्लंघन के आरोप में धारा 188 और 1897 के एपेडेमिक एक्ट की धारा 3 में एफआईआर दर्ज कराई..

बताया जा रहा है कि मस्ज़िद में पहले से मौजूद लोग पुलिस से उलझ गए और कहा कि कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. इस पर पुलिस और नमाजियों में बहस होने लगी. चेतावनी देने के बाद एक सिपाही ने पूरे हंगामे की वीडियो बनाना शुरू कर दी

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