अब `नमस्ते` में भी विपक्ष को दिखा `हिंदुत्व`, `कोरोना को नमस्ते` पर संसद में कोहराम

लोकसभा में कोरोना वायरस पर चर्चा के दौरान गुरुवार को भारतीय अभिवादन नमस्कार और आदाब पर विवाद हुआ.

नई दिल्ली: लोकसभा में कोरोना वायरस पर चर्चा के दौरान गुरुवार को भारतीय अभिवादन नमस्कार और आदाब पर विवाद हुआ. हिंदू अभिवादन नमस्कार शब्द का विपक्ष ने किया विरोध. दरअसल, लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कोरोनावायरस को लेकर बयान दिया. उसके बाद विपक्षी सांसदों ने इस पर अपने अपने सुझाव दिए.

इसी दौरान वाईएसआर कांग्रेस के सांसद टीआर राजू ने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि कोरोनावायरस जिस तरह से फैल रहा है, उससे बचाव के उपाय करना जरूरी है. तमाम जानकार इस बीमारी से बचाव के लिए बता रहे हैं कि आप हाथ मत मिलाइए एक दूसरे से संपर्क में मत आइए लिहाजा भारतीय परंपरा में जो अभिवादन होता है यानी हाथ जोड़कर नमस्कार करना उसका प्रचार-प्रसार सरकार को करना चाहिए.


जैसे ही पिया राजू ने कहा कि हिंदू परंपरा में हाथ जोड़ हाथ जोड़कर अभिवादन करना प्रचलित है, बस इसी बात को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी सांसदों ने विरोध करना शुरू कर दिया. उनकी आपत्ति थी कि हिंदू परंपरा के नमस्कार शब्द का ही प्रचार करने की मांग वाईएसआर कांग्रेस के सांसद क्यों कर रहे हैं. सांसदों के विरोध को देखते हुए राजू ने चर्चा के दौरान ही कहा ठीक है, नमस्कार के साथ-साथ आप आदाब शब्द का भी प्रचार कर सकते हैं और उन्होंने एक हाथ से आदाब करते हुए विपक्षी सांसदों को संबोधित किया लेकिन फिर भी विपक्षी सांसद नहीं माने और इसका विरोध किया. हालांकि सत्ता पक्ष के सांसदों ने विपक्षी सांसदों के इस तरह के विरोध को गैरजरूरी बताया और उन्होंने भी विपक्ष के तरीके के खिलाफ विरोध जताया.

ऐसे में सवाल उठता है कि 'नमस्ते' में कांग्रेस को 'हिंदुत्व' क्यों दिखा? 'नमस्ते' को विपक्ष ने सियासी चश्मे से क्यों देखा? जिस नमस्ते के खिलाफ कांग्रेस ने संसद में मजहबी एजेंडा चलाया, आदाब की मांग करके दलहित को चमकाने की कोशिश की, उसी नमस्ते की अहमियत दुनिया को खुद इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने समझाई है.

नेतन्याहू ने हाल ही में एक बयान में कहा, "जैसे मैं हाथ मिलाने से बच रहा हूं, आप भी वैसा ही करें. आप नमस्ते करने के भारतीय तरीके को लागू करने की कोशिश कर सकते हैं या 'शालोम' की तरह कोई अन्य शब्द कह सकते हैं, या कोई अन्य तरीका खोजें, लेकिन किसी भी तरह हाथ न मिलाएं."

अच्छा होता कांग्रेस पार्टी नमस्ते पर नेतन्याहू से ही कुछ सीख ले लेती और कोरोना की दहशत को हटाकर भी देखें तो नमस्ते करने से कांग्रेस इतनी घृणा क्या सिर्फ अपने मुस्लिम वोटबैंक के लिए नहीं कर रही है? जबकि ये बात हर किसी को मालूम है कि 'नमस्ते' करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है. भारत में आदर से प्रणाम करने का शब्द है 'नमस्ते'. वैदिक संस्कृति में हाथ जोड़ कर और साष्टांग होकर प्रणाम किया जाता था.

प्रभु श्रीराम अपने गुरुजनों को हाथ जोड़कर प्रणाम करते थे. महाभारत के महाबली नमस्कार करके अपनी श्रद्धा जताते थे. त्रेता से लेकर द्वापर और कलियुग तक प्रणाम की परंपरा भारतीय संस्कृति की धारा में आज भी बहती चली आ रही है. काश नमस्ते की ये अहमियत कांग्रेस को भी समझ में आती तो सोचकर देखिए, ऐसे नाजुक वक्त में विपक्ष के नेताओं को भी दुनिया आदर में नमस्ते जरूर करती.

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