दिल्ली में सीएए एवं एनआरसी के विरोध के नाम पर दंगा फैलाने वालों के विरुद्ध एक्शन लेने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीशों ने शाहीन बाग एवं देश के कई अन्य स्थानों पर 70 दिन से ज़्यादा से चल रहे आंदोलन की फंडिंग को लेकर नोटिस जारी कर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इसके अलावा एक याचिका को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस थमाते हुए कांग्रेस हाईकमान, हर्ष मंदर, अमानतुल्लाह खान और स्वरा भास्कर जैसे लोगों पर कार्रवाई के संबंध में जवाब मांगा है।
दिल्ली हाई कोर्ट में हिन्दू सेना और संजीव कुमार द्वारा दो याचिका दायर की गयी है। इन याचिकाओं में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह सीएए के खिलाफ चल रहे प्रोटेस्ट की फंडिंग कहां से हो रही है इसकी जांच के आदेश दें। इसके अलावा संजीव कुमार द्वारा दायर याचिका में हर्ष मंदर, आरजे साएमा, स्वरा भास्कर, आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान के विरुद्ध आईपीसी और आईटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दायर करने की मांग की गयी है।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, आप नेता मनीष सिसोदिया, अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी व वारिस पठान और वकील महमूद प्राचा के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
लॉयर्स वॉयस द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, इन भड़काऊ भाषणों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर उचित कार्रवाई के लिए दिशा निर्देश जारी किए जाएं। उक्त लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए जाएं।
अब बता दें कि किस तरह से इन लोगों ने सीएए के विरोध पर अफवाह फैलाते हुए मुसलमानों के विरुद्ध दंगे भड़काए हैं। अमानतुल्लाह खान और वारिस पठान के बयानों से हम सभी अच्छा खासा परिचित हैं, परंतु जिस तरह हर्ष मंदर, आरजे साएमा जैसे लोगों ने अफवाहें फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ सकते हैं, दिल्ली के दंगों को भड़काने में कहीं न कहीं इन लोगों का हाथ भी बराबर रहा है।
उदाहरण के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने सीएए के पारित होते ही अफवाह फैलाई थी कि सीएए के पारित होने से अल्पसंख्यकों को अपनी नागरिकता सिद्ध करने हेतु लाइन में लगना पड़ेगा, और इससे मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी। इसके पीछे प्रियंका गांधी ने तो इंडिया गेट के सामने धरना भी दिया था।
अब आते हैं हर्ष मंदर पर। अपने आप को सामाजिक कार्यकर्ता कहने वाले हर्ष मंदर दरअसल, ढोंगी अरबपति जॉर्ज सोरोस के चाटुकार हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी के अस्तित्व से ही चिढ़ मचती है, जैसा जनाब ने अपने ट्विटर पर कई बार दिखाया है। महोदय ने सीएए के पारित होने पर एनआरसी को कोई डॉक्यूमेंट न सबमिट करने का निर्णय किया है, और ये भी कहा है कि वे सीएए के पारित होने के बाद इस्लाम में परिवर्तन कर लेंगे। ये अलग बात है कि जनाब ने अपना वादा अभी तक पूरा नहीं किया है।
हर्ष मंदर ने इसके अलावा ‘कारवां ए मोहब्बत’ के लिए लिखे लेख में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर हुई पुलिस की कार्रवाई में ये भी आरोप लगाया था कि पुलिस ने जय श्री राम के नारे लगाते हुए ‘निर्दोष विद्यार्थियों’ को बेरहमी से पीटा था। हालांकि, उनकी पोल कुछ ही दिनों में खुल गयी, जब यूपी पुलिस ने साक्ष्यों सहित हर्ष मंदर के झूठ को उजागर किया था। इसी संबंध में संजीव कुमार द्वारा दायर याचिका में पूछा गया था।
“क्या हम अंग्रेजी शासन में हैं? क्या श्री मंदर महात्मा गांधी हैं? वर्तमान सरकार भारत के लोगों द्वारा चुनी गयी है और हर्ष मंदर जैसे लोग इसी सरकार को हटाना चाहते हैं। हम ये भी जानना चाहते हैं कि क्या हर्ष मंदर अपने वादे के अनुसार मुसलमान हो चुके हैं? हर्ष मंदर का ट्वीट न सिर्फ राष्ट्रद्रोही है, अपितु भारत के विरुद्ध जंग का ऐलान करता है, जिसमें कुछ भी लोकतान्त्रिक नहीं है”।
अब आते हैं आरजे साएमा पर। कहने को यह रेडियो मिर्ची की आरजे है, पर इन्होंने इस स्टेशन को मानो दंगाइयों को भड़काने का साधन बना लिया है। 15 दिसंबर 2019 को आरजे साएमा ने ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर्स का घेराव कर सीएए के विरोध में प्रदर्शन करना चाहिए, और उन्हें किसी भी तरह से दिल्ली पुलिस के सामने झुकना नहीं चाहिए।
जब इस ट्वीट की भयावहता के बारे में सोशल मीडिया की जनता ने अवगत कराते हुए आरजे साएमा को लताड़ा, तो मोहतरमा ने ट्वीट ही डिलीट कर दिया। परंतु उसके वर्तमान ट्वीट देखते हुए ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता कि वे स्थिति को काबू में करने के लिए कुछ भी कर रही हैं, और दुख की बात तो यह है कि रेडियो मिर्ची ऐसे लोगों को अपने मंच का अभी भी इस्तेमाल करने दे रही है।
अब बात सीएए विरोधी दंगे भड़काने की हो रही हो, और स्वरा भास्कर का नाम न लें, ऐसा हो सकता है क्या? मोदी सरकार के धुर-विरोधियों में से एक और देशद्रोहियों का खुलेआम समर्थन करने वाली स्वरा भास्कर ने सीएए विरोध के नाम पर जितनी अफवाहें फैलाई हैं, उसे देख तो शर्जील इमाम भी बिल्कुल मासूम आदमी लगेगा। दिल्ली पुलिस को सबसे ज़्यादा यदि किसी ने अपमानित किया है, तो वो स्वरा भास्कर हैं। रतन लाल की हत्या के बाद स्वरा भास्कर ने न सिर्फ उनके बलिदान का उपहास उड़ाया, बल्कि उसके लिए भी दिल्ली पुलिस को दोषी ठहराया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसे समय में दंगाइयों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के लिए न सिर्फ पुलिस को खुली छूट दी है, अपितु केंद्र सरकार को भी दंगे भड़काने वाले बुद्धिजीवियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है।
दिल्ली हाई कोर्ट में हिन्दू सेना और संजीव कुमार द्वारा दो याचिका दायर की गयी है। इन याचिकाओं में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह सीएए के खिलाफ चल रहे प्रोटेस्ट की फंडिंग कहां से हो रही है इसकी जांच के आदेश दें। इसके अलावा संजीव कुमार द्वारा दायर याचिका में हर्ष मंदर, आरजे साएमा, स्वरा भास्कर, आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान के विरुद्ध आईपीसी और आईटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दायर करने की मांग की गयी है।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, आप नेता मनीष सिसोदिया, अमानतुल्ला खान, एआईएमआईएम के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी व वारिस पठान और वकील महमूद प्राचा के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
लॉयर्स वॉयस द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, इन भड़काऊ भाषणों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर उचित कार्रवाई के लिए दिशा निर्देश जारी किए जाएं। उक्त लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए जाएं।
अब बता दें कि किस तरह से इन लोगों ने सीएए के विरोध पर अफवाह फैलाते हुए मुसलमानों के विरुद्ध दंगे भड़काए हैं। अमानतुल्लाह खान और वारिस पठान के बयानों से हम सभी अच्छा खासा परिचित हैं, परंतु जिस तरह हर्ष मंदर, आरजे साएमा जैसे लोगों ने अफवाहें फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ सकते हैं, दिल्ली के दंगों को भड़काने में कहीं न कहीं इन लोगों का हाथ भी बराबर रहा है।
उदाहरण के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने सीएए के पारित होते ही अफवाह फैलाई थी कि सीएए के पारित होने से अल्पसंख्यकों को अपनी नागरिकता सिद्ध करने हेतु लाइन में लगना पड़ेगा, और इससे मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी। इसके पीछे प्रियंका गांधी ने तो इंडिया गेट के सामने धरना भी दिया था।
अब आते हैं हर्ष मंदर पर। अपने आप को सामाजिक कार्यकर्ता कहने वाले हर्ष मंदर दरअसल, ढोंगी अरबपति जॉर्ज सोरोस के चाटुकार हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी के अस्तित्व से ही चिढ़ मचती है, जैसा जनाब ने अपने ट्विटर पर कई बार दिखाया है। महोदय ने सीएए के पारित होने पर एनआरसी को कोई डॉक्यूमेंट न सबमिट करने का निर्णय किया है, और ये भी कहा है कि वे सीएए के पारित होने के बाद इस्लाम में परिवर्तन कर लेंगे। ये अलग बात है कि जनाब ने अपना वादा अभी तक पूरा नहीं किया है।
हर्ष मंदर ने इसके अलावा ‘कारवां ए मोहब्बत’ के लिए लिखे लेख में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर हुई पुलिस की कार्रवाई में ये भी आरोप लगाया था कि पुलिस ने जय श्री राम के नारे लगाते हुए ‘निर्दोष विद्यार्थियों’ को बेरहमी से पीटा था। हालांकि, उनकी पोल कुछ ही दिनों में खुल गयी, जब यूपी पुलिस ने साक्ष्यों सहित हर्ष मंदर के झूठ को उजागर किया था। इसी संबंध में संजीव कुमार द्वारा दायर याचिका में पूछा गया था।
“क्या हम अंग्रेजी शासन में हैं? क्या श्री मंदर महात्मा गांधी हैं? वर्तमान सरकार भारत के लोगों द्वारा चुनी गयी है और हर्ष मंदर जैसे लोग इसी सरकार को हटाना चाहते हैं। हम ये भी जानना चाहते हैं कि क्या हर्ष मंदर अपने वादे के अनुसार मुसलमान हो चुके हैं? हर्ष मंदर का ट्वीट न सिर्फ राष्ट्रद्रोही है, अपितु भारत के विरुद्ध जंग का ऐलान करता है, जिसमें कुछ भी लोकतान्त्रिक नहीं है”।
अब आते हैं आरजे साएमा पर। कहने को यह रेडियो मिर्ची की आरजे है, पर इन्होंने इस स्टेशन को मानो दंगाइयों को भड़काने का साधन बना लिया है। 15 दिसंबर 2019 को आरजे साएमा ने ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर्स का घेराव कर सीएए के विरोध में प्रदर्शन करना चाहिए, और उन्हें किसी भी तरह से दिल्ली पुलिस के सामने झुकना नहीं चाहिए।
जब इस ट्वीट की भयावहता के बारे में सोशल मीडिया की जनता ने अवगत कराते हुए आरजे साएमा को लताड़ा, तो मोहतरमा ने ट्वीट ही डिलीट कर दिया। परंतु उसके वर्तमान ट्वीट देखते हुए ऐसा तो बिल्कुल नहीं लगता कि वे स्थिति को काबू में करने के लिए कुछ भी कर रही हैं, और दुख की बात तो यह है कि रेडियो मिर्ची ऐसे लोगों को अपने मंच का अभी भी इस्तेमाल करने दे रही है।
अब बात सीएए विरोधी दंगे भड़काने की हो रही हो, और स्वरा भास्कर का नाम न लें, ऐसा हो सकता है क्या? मोदी सरकार के धुर-विरोधियों में से एक और देशद्रोहियों का खुलेआम समर्थन करने वाली स्वरा भास्कर ने सीएए विरोध के नाम पर जितनी अफवाहें फैलाई हैं, उसे देख तो शर्जील इमाम भी बिल्कुल मासूम आदमी लगेगा। दिल्ली पुलिस को सबसे ज़्यादा यदि किसी ने अपमानित किया है, तो वो स्वरा भास्कर हैं। रतन लाल की हत्या के बाद स्वरा भास्कर ने न सिर्फ उनके बलिदान का उपहास उड़ाया, बल्कि उसके लिए भी दिल्ली पुलिस को दोषी ठहराया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसे समय में दंगाइयों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के लिए न सिर्फ पुलिस को खुली छूट दी है, अपितु केंद्र सरकार को भी दंगे भड़काने वाले बुद्धिजीवियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है।
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