दिल्ली और अलीगढ़ दंगों के जुड़ रहे तार, हिंसा भड़काने के पीछे PFI और भीम आर्मी का हाथ

दिल्ली और अलीगढ़ के हालिया दंगों के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और भीम आर्मी का हाथ होने की बात सामने आई है। इससे पहले बीते साल भी यूपी और दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हुई हिंसा के पीछे पीएफआई का हाथ सामने आया था। ​उत्तर-पूर्वी दिल्ली में रविवार को हिंसा भड़की थी। मंगलवार को भी कई इलाकों में आगजनी और पत्थरबाजी की खबरें हैं। हिंसा में अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके साथ ही अलीगढ़ में भी हिंसक घटनाएँ हुई हैं।

हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और भीम आर्मी की भूमिका संदिग्ध दिख रही है। पीएफआई कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है। भीम आर्मी का प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ रावण है।

उत्तर प्रदेश राज्य खुफिया विभाग (UP State Intelligence) ने कुछ प्रमुख मोबाइल फोन नंबरों की कॉल डिटेल के आधार पर खुलासा किया है कि दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में पिछले दो दिनों में आगजनी और गोलीबारी की विभिन्न घटनाओं के तार अलीगढ़ में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन से जुड़े हुए हैं। खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अलीगढ़ के अंबेडकर पार्क में विरोध-प्रदर्शन करने वाले भीम आर्मी के पदाधिकारियों ने नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपने के बाद पीएफआई के अधिकारियों से मुलाकात की थी।

इसी दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रों के एक संगठन ने भी भीम आर्मी और पीएफआई नेताओं से मुलाकात की। रिपोर्ट में कहा गया है कि भीम आर्मी की अगुआई में एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल शहर के बीच एक धार्मिक स्थान पर पहुँचा, जहाँ उन्होंने पोस्टर हटाने शुरू कर दिए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने मंदिरों पर पत्थरबाजी की। पुलिस द्वारा विरोध करने पर आक्रोशित भीड़ ने पुलिस बल पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके बाद शहर के ऊपरकोट क्षेत्र तथा जमालपुर क्षेत्र में भी हिंसा शुरू हो गई, जहाँ पहले से ही सीएए को लेकर पिछले काफी दिनों से विरोध-प्रदर्शन चल रहा था।

टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक  अलीगढ़ पुलिस के एक सर्किल ऑफिसर (CO) ने फोन पर बताया, “विभिन्न स्थानों पर एक साथ ही हिंसक घटनाएँ शुरू हो गईं। ऐसा लगता है कि यह (पत्थरबाजी) सुनियोजित थी और दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिला में हुई हिंसा से संबद्ध है। हम कुछ महत्वपूर्ण फोन नंबरों के डाटा ले रहे हैं।” बताया जा रहा है कि दिल्ली और अलीगढ़ में सीएए संबंधित हिंसाओं के समय और पैटर्न में काफी समानताएँ हैं।

रिपोर्ट में बताया कि दिल्ली और यूपी दोनों जगहों पर हिंसा की शुरुआत पत्थरबाजी से हुई। भीड़ बढ़ने के बाद हिंसा करने वालों, जिनमें ज्यादातर हथियारों से लैस थे ने आगजनी करना और दुकानें लूटना शुरू कर दिया। वहीं अलीगढ़ में खैर मार्ग क्षेत्र में दुकानों में लूटपाट हुई, दिल्ली के जाफराबाद क्षेत्र में एक पेट्रोल पंप में आग लगा दी गई और कई दुकानों को लूटा गया।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हिंसक प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों को निशाना बनाकर हमला किया। इन हमलों में दिल्ली में हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की मौत हो गई। इसी तरह अलीगढ़ में पुलिस निरीक्षक रविंद्र कुमार सिंह और कई अन्य कॉन्स्टेबलों पर भीड़ ने हमला कर दिया। सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों समेत अन्य सरकारी संपत्तियों को भी नष्ट कर दिया।

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि पीएफआई ने अपने बैंक खाते से सीएए-विरोधी प्रदर्शनों में संलिप्त कई लोगों को रुपए भेजे थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसे 73 बैंक खाते चिह्नित किए गए थे। ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रमुख लेन-देन पीएफआई के दिल्ली स्थित मुख्य खाते से हुई थी।

पीएफआई का मुख्यालय शाहीन बाग में स्थित है, जहाँ सीएए विरोध के नाम पर दो महीने से ज्यादा समय से धरना चल रहा है। पीएफआई नेताओं और भीम आर्मी के पदाधिकारियों के बीच संबंध ईडी ने भी अपनी रिपोर्ट में उजागर किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि पीएफआई का दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद परवेज अहमद शाहीन बाग प्रदर्शन का प्रमुख हिस्सेदार है। परवेज, भीम आर्मी के कई व्हाट्सएप ग्रुपों से भी जुड़ा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिल्ली के जामिया में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन के पीछे भी PFI का हाथ सामने आया था। पुलिस ने कहा था कि PFI के अराजक तत्वों द्वारा पथराव और आगजनी की शुरुआत की गई। पुलिस ने बताया कि विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत दिल्ली में हुई, क्योंकि कार्यकर्ताओं को पता था कि मीडिया इस ख़बर को तुरंत ब्रेक कर देगा और इससे हिंसा को फैलाने में अधिक मदद मिलेगी।

उन्होंने बताया कि जामिया में हिंसा से दो दिन पहले 13 दिसंबर को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन PFI के लगभग 150 सदस्यों ने विभिन्न राज्यों से दिल्ली में प्रवेश किया था। पुलिस और खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, जामिया इलाक़े में हिंसा भड़कने से पहले वो कहीं छिप गए थे।

Comments

  1. As reported by Stanford Medical, It is in fact the one and ONLY reason women in this country get to live 10 years more and weigh an average of 19 KG lighter than we do.

    (And realistically, it is not related to genetics or some secret-exercise and EVERYTHING around "HOW" they eat.)

    P.S, I said "HOW", not "WHAT"...

    TAP this link to uncover if this short quiz can help you discover your real weight loss possibilities

    ReplyDelete

Post a Comment